उत्तर प्रदेश और बिहार राज्य में विशेष तौर पर भोजपुरी और मैथिली भाषा लोकप्रिय मानी जाती है। लोकगीत और भजन के माध्यम से इन भाषाओं को घर-घर पहुंचाने वाली मैथिलि ठाकुर हर संगीत प्रेमी की चहेती बनी हुई हैं। अभी हाल ही में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इनकी खूब प्रशंसा की थी।
आज शायद ही कोई होगा जो बिहार के मधुबनी की रहने वाली मैथिली ठाकुर के नाम से परिचित नहीं हो। मैथिली जैसे कम ही होते हैं जो इतनी कम आयु में आसमान की बुलंदियों को अपने संगीत से छू ले। आजकल सोशल मीडिया पर अपनी गायकी के बल पर प्रसिद्धि पा चुकी मैथिली ठाकुर सुर्खियों में हैं। मैथिली कहतीं हैं, भोजपुरी में भिखारी ठाकुर जिंदा हैं और मैथिल में विद्यापति। इन्होंने मातृभाषा के लिए बहुत काम किया है। इनसे सीखने की आवश्यकता है।
जब मैथिली और संगीत की बात होती है तो मैथिली की सुरीली आवाज में लोक संगीत कानों से सीधा दिमाग को शांति देता है। मैथिली ठाकुर का जन्म 25 जुलाई 2000 को बिहार के मधुबनी जिले के बेनीपट्टी में हुआ था। वह बचपन से ही संगीत के वातावरण में पली और बड़ी हुई हैं। यही कारण है कि लोक गीत को लेकर उनका रुझान बढ़ता गया। मैथिली को संगीत की शिक्षा अपने पिता से मिली। शुरूआती दिनों में मैथिली ने शास्त्रीय संगीत सीखा। बता दें कि लोक संगीत से ही शास्त्रीय संगीत निकला है। इसे इस तरह से समझिए जैसे भोजपुरी और मैथिली किसी राग में बना हुआ है और संगीत को राग में बांध कर गायक गाते हैं। फिर शास्त्रीय झलक दिखाने का प्रयास करते हैं। इस बारे में मैथिली कहती हैं कि पहले वह भी सिर्फ शास्त्रीय गायिका थी।
लोक गायन मैथिली को बहुत पसंद है क्योंकि इन गानों में कुछ अर्थ रहता है। अपनी पिता की सलाह के बाद उन्होंने हर विधा में गाना शुरू किया। आपको जानकर आश्चर्य होगा कि मैथिली ने बॉलीवुड में भी हाथ आजमाया है। उनके बॉलीवुड में गाए गाने चर्चित भी हुए और पहचान भी दी, लेकिन मैथिली ठाकुर को लोक संगीत अधिक प्रिय है। वैसे सफलता उसी चीज में मिलती है जिसमें रूझान हो। थोपी हुई चीज कभी सफलता को पास नहीं आने देगी। जब रूझान होगा, तो उसमें डूबने को मन चाहेगा। यह बात मैथिली ठाकुर पर सटीक बैठती है। कारण मैथिली ठाकुर को बचपन से ही संगीत का शौक था। उन्होंने 3 वर्ष की आयु में दादाजी से संगीत सीखना शुरू किया था। इसके बाद पिता रमेश ठाकुर ने इस विरासत को आगे बढ़ाया। वे कहती हैं, मैं जो कुछ भी जानती हूं, पिताजी (रमेश ठाकुर) की देन है। मैथिली इस बात को स्वीकारती हैं कि पिताजी की प्रेरणा से वो इस ऊंचाई तक पहुंची हैं और पिताजी ही उनके गुरु हैं।
जब मैथिली से भाषाओं में अश्लीलता की बात की तो उनका कहना है कि आप लोगों को जैसा परोसेंगे, वही उन्हें अच्छा लगने लगेगा। वे इसके लिए पुरानी परम्पराओं और संगीत पर आधारित भोजपुरी गीत चुनती हैं। लोकगायिका मैथिली पढ़ाई में भी बहुत आगे रही हैं। उन्हें हाईस्कूल में 90 प्रतिशत और 12वीं में 85 प्रतिशत अंक मिले। मैथिली अपना गायन अपने भाई को भी रियाज के माध्यम से दे रही हैं। इस बारे उनका कहना है कि अपने भाई अयाची को बैठाकर रियाज करवाती हूं। मैं अपने दोनों भाइयों के बिना अधूरी हूं। दोनों के सहयोग से मुझे बल मिलता है। वैसे भी यूट्यूब पर मैं अपने भाई अयाची व ॠषभ के साथ लाइव परफॉर्मेंस देती हूं। अयाची की तालियां और ॠषभ का तबला मुझे शानदार संगत देता है।
बिहार की बेटी मैथिली ठाकुर एक बार फिर से चर्चा में बनी हुई हैं। उनके एक गाने की जो रामायण से जुड़ा है, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एक्स हैंडल पर जमकर प्रशंसा की है। मैथिली ठाकुर पूरे देश में अपनी मधुर आवाज के लिए जानी जाती हैं। 8 मार्च 2024, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर दिल्ली के भारत मंडपम् में नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड्स कार्यक्रम में बिहार की मशहूर लोक गायिका मैथिली ठाकुर को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नेशनल क्रिएटर्स अवॉर्ड से सम्मानित किया। बता दें कि उन्हें कल्चरल एंबेसडर ऑफ द ईयर पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। मैथिली ठाकुर बिहार खादी हैंडलूम और हैंडीक्राट की ब्रांड एम्बेसडर भी हैं।
-दीप्ति अंगरीश