अपनी स्थापना से लेकर अब तक मध्य प्रदेश का प्रवास ‘बीमारू राज्य’ से ‘विकासशील राज्य’ का रहा है। इसका श्रेय जन भागिदारी के साथ ही राज्य में विगत लगभग तीन दशकों से कार्यभार चला रही भाजपा सरकार को भी जाता है। भाजपा के हाथ में सत्ता की बागडोर आने के बाद से अब तक उनके सतत प्रयासों का बखान करता हुआ मुख्य मंत्री डॉ. मोहन यादव का साक्षात्कार…
वर्ष 2003 से अब तक (बीच के डेढ़ वर्ष छोड़कर) भाजपा की सरकार प्रदेश में रही है। पिछले 20 वर्षों में हुए विकास कार्यों का आप कैसे वर्णन करेंगे?
वर्ष 2003 में जब भारतीय जनता पार्टी को सेवा के लिए म.प्र. मिला तब हर क्षेत्र अभाव और अव्यवस्थाओं से जूझ रहा था। स्वास्थ्य सेवाएं वेंटिलेटर पर थीं। स्कूल एक कमरे में चलते थे, टाट-पट्टी पर बच्चे बैठा करते थे, गुरुओं को चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों की तरह वेतन मिलता था। युवाओं के सपने मर चुके थे। न सरकारी नौकरी थी और न ही प्रदेश में उद्योग और निवेश। नक्सलियों, डकैतों का आतंक था। किसान आत्महत्या को विवश थे। कोई सुध लेने वाला नहीं था। हमें बुरी अवस्था में बीमारू राज्य मिला था।
भाजपा शासन ने म. प्र. को स्वर्णिम दौर दिया। हमने बीमारू म.प्र. को बेमिसाल बना दिया। बेटियों और बहनों को मजबूत किया, गरीबों को सहारा दिया, युवाओं को उम्मीद दी।
सरकार अन्नदाताओं के साथ खड़ी हुई, कृषि में हम देश के अग्रणी राज्य बने। जैविक खेती हो, प्राकृतिक खेती हो या फिर श्रीअन्न का उत्पादन हो म.प्र., देश का ‘फूड बास्केट’ बन चुका है।
हमने प्रदेश के कोने-कोने को सड़कों से जोड़ा। पहले एमपी आते ही लोग गड्ढों से पहचान जाते थे। आज भोपाल हो, बुरहानपुर हो, झाबुआ हो या छतरपुर चमचमाती सड़कों और अधोसंरचना ने प्रदेश का कायाकल्प कर दिया है। स्वास्थ्य सेवाएं नए दौर में हैं। 20 से अधिक मेडिकल कॉलेज, जिला अस्पतालों में जांच और इलाज सुविधाएं, मेडिकल और पैरा मेडिकल स्टाफ की बढ़ती संख्या, आरोग्य मंदिर, आयुर्वेद अस्पतालों ने आम लोगों को बड़ा संबल दिया है।
ढिबरी प्रदेश की छाया से निकलकर हम बिजली में सरप्लस राज्य बने। सौर ऊर्जा के क्षेत्र में हम नए आयाम स्थापित कर रहे हैं। हमने घर-घर खेत-खेत तक पानी पहुंचाया।
हमने शिक्षा व्यवस्था सुधारी। शिक्षकों को सम्मान दिलाया। स्कूलों में ड्रॉप आउट दर कम हुई। नए कॉलेज और विश्वविद्यालय स्थापित हुए। बड़े संस्थानों की इकाइयां म.प्र. आईं। सीएम राइज, पीएम श्री स्कूल म.प्र. का भविष्य संवारने की दिशा में मील का पत्थर स्थापित करने को तैयार हैं।
लाड़ली लक्ष्मी, मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह जैसी योजनाओं ने प्रदेश में बेटियों को बोझ से वरदान बना दिया। बेटियों के स्वास्थ्य, शिक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में म.प्र., दूसरे राज्यों के लिए उदाहरण बन गया है। लाड़ली बहना योजना महिला सशक्तिकरण की मिसाल बनी। आहार अनुदान और संबल जैसी योजनाएं गरीब कल्याण की दिशा में अचूक अस्त्र साबित हुईं।
हमने हर तरह के माफिया पर लगाम कसी। डकैत और नक्सलियों का सफाया किया। कानून का राज स्थापित किया। आज उद्योग और धंधे लगने लगे। निवेश आने लगा। शांति स्थापित हुई और विकास का पहिया तेजी से घूमने लगा।
म. प्र. विभिन्न भौगोलिक भिन्नताओं वाला वृहद प्रदेश है। प्रशासनिक दृष्टि से ये भिन्नताएं चुनौतियां हैं या विशेषता?
चुनौतियां ही आपको विशेष बनाती हैं। म.प्र. 5 अंचलों में गूंथा हुआ प्रदेश है। अलग-अलग क्षेत्रों की अलग-अलग विशेषताएं हैं और यही हमारी मजबूती भी है। संस्कृति, खान-पान और उद्योगों के लिहाज से भी राज्य के पांचों अंचल महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। हो सकता है कि मालवा में अलग तरह के लोग और लोक के बीच से निकलकर आपको बुन्देलखंड में अलग तरह से परिस्थितियां संभालनी पड़ें, लेकिन यही खूबसूरती है। प्रशासनिक कुशलता इसी को कहते हैं कि आप विविध और विषम परिस्थितियों में काबिल बने रहें।
मुख्य मंत्री बनने के बाद आपकी प्राथमिकताएं किन कार्यों की हैं?
गरीब, महिला, युवा और किसान हमारी प्राथमिकता हैं। प्रधान मंत्री द्वारा बताई गई इन चारों जातियों और वीआईपी का कल्याण ही हमारे लिए सर्वोपरि है। म.प्र. लगातार गरीब, महिला, युवा और किसान के हित में कार्य कर रहा है। अनेक योजनाएं संचालित की जा रही हैं। आने वाले वर्षों में हम गरीब, महिला, युवा और किसान कल्याण की दिशा में मॉडल स्टेट बनेंगे। वर्तमान में भी महिलाओं और किसानों के लिए जो योजनाएं और नीतियां म.प्र. में संचालित हैं, उनका अनुसरण दूसरे राज्य भी कर रहे हैं।
रोजगार सृजन प्राथमिकताओं में से एक है। अगले वर्ष को हमने उद्योग वर्ष के रूप में घोषित किया है। फरवरी में ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन होगा। प्रदेश में निवेश से रोजगार के नवीन अवसर सृजित होंगे।
जब आप मुख्यमंत्री बने, उस समय आपके सामने कौन सी प्रमुख चुनौतियां थीं?
मेरे सामने ऐसी कोई चुनौती नहीं थी लेकिन विषय जरूर थे। मन में एक संकल्प ने जरूर जन्म लिया था कि 2 दशक से म.प्र. के कायाकल्प का जो कार्य शिवराज सिंह चौहान जी के कार्यकाल में हुआ है, उसका ग्राफ और ऊपर जाना चाहिए। ऐसे कार्य हों, जो मिसाल बनें। ऐसी योजनाएं क्रियान्वित हों, जो जन-कल्याण और विकास की नई इबारत लिखें। बस हर रोज अपने संकल्पों को पूरा करने और अपनी कसी कसौटी पर खरा उतरने के प्रयास जारी हैं।
महिलाओं पर होने वाले कुकर्मों में म.प्र. आज भी अग्रणी है। महिला सुरक्षा के लिए सरकार क्या सख्त कदम उठा रही है?
महिलाओं के प्रति अपराध में म.प्र. अग्रणी है, ऐसा कहना ठीक नहीं। दूसरे राज्यों पर सवाल उठाना मेरा स्वभाव नहीं लेकिन इतना प्रण जरूर है कि प्रदेश की बहन-बेटियों पर बुरी नजर डालने वाले छोड़े तो नहीं जाएंगे।
आज जो बेटी बचाओ का नाटक कर रहे हैं, वो एक बार 20 साल पीछे जा कर देख लें। ये वही प्रदेश था, जहां कोख में बेटियां मार दी जाती थीं। हम तो वो प्रदेश हैं, जिसने सबसे पहले ये सोचा कि बेटियां जब पैदा हों तो बधाइयां बजें, मंगलगीत गाए जाएं। बहन-बेटियों की सुरक्षा हमारी पहली प्राथमिकता है। हम आंकड़ों के साथ बात कर रहे हैं। प्रदेश में विगत 7 माह में अपराध में कमी आई है। महिलाओं के खिलाफ होने वाले गंभीर अपराधों में कमी दर्ज की गई है।
महिलाओं के विरुद्ध अपराधों में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाकर त्वरित कार्यवाही की जा रही है। इसका नतीजा ये है कि जहां एक ओर गैंग रेप के प्रकरणों में 19.01% की कमी आई है, वहीं गम्भीर अपराधों और दहेज प्रताड़ना के केस 3.23% कम हुए हैं साथ ही छेड़छाड़ के अपराधों में 9.85% की कमी आई है। कुल मिलाकर अपराधों में 7.91% की कमी आई है।
म.प्र. मासूम बेटियों से रेप पर फांसी की सजा देने वाला देश का पहला राज्य है। बेटियों की सुरक्षा के लिए हर जिले में महिला थाने खोले गए। ऊर्जा महिला हेल्प डेस्क स्थापित की गई। आशा, मुस्कान और मैं भी अभिमन्यू जैसे अभियान चलाए गए।
आपकी सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण की दिशा में उठाए गए कदमों का क्या प्रभाव दिखाई दे रहा है?
महिला सशक्तिकरण का म.प्र. मॉडल देश भर में सर्वश्रेष्ठ है, कई अन्य राज्य भी हमारी योजनाओं का अनुसरण कर रहे हैं। बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का नारा म.प्र. में साकार हो रहा है और हम ये बात पूरे तथ्यों, आंकड़ों और प्रमाण के साथ रखते हैं।
हमने बेटियों के जन्म से पहले ही उनकी प्रारंभिक और उच्च शिक्षा के विषय में सोचा और लाड़ली लक्ष्मी समेत अन्य योजनाएं संचालित कीं। सैनिटेशन एवं हाईजीन योजना अंतर्गत 19 लाख से अधिक बालिकाओं के बैंक खाते में 57 करोड़ 18 लाख रुपए की राशि का अंतरण किया गया है। ऐसा करने वाला म.प्र., देश का पहला राज्य बना। माहवारी स्वच्छता के लिए हमारा ये प्रयास बेटियों में आत्मविश्वास भर रहा है। ये प्रयास सर्वाइकल कैंसर से बेटियों को सुरक्षित करने की दिशा में भी छोटा का कदम है।
प्रदेश में महिलाओं के नाम जमीन, दुकान और घर की रजिस्ट्री में अतिरिक्त छूट दी जा रही है, इससे बहनों के पास संपत्ति की शक्ति आई है। बहनों का मान बढ़ा है। आज बहनों के घर तक नल जल योजना के माध्यम से शुद्ध पेयजल पहुंचा है। हर घर शौचालय ने बहनों का जीवन आसान किया है।
स्टार्ट-अप नीति में भी महिलाओं को विशेष प्रोत्साहन का प्रावधान हमने किया है। यही वजह है कि प्रदेश के कुल स्टार्टअप्स में से 47% की मालकिन महिलाएं हैं। महिला उद्यमियों के प्रोत्साहन के लिए अतिरिक्त छूट दी जा रही है, इंडस्ट्रियल क्लस्टर्स में कुछ इंडस्ट्रियल प्लॉट्स सिर्फ महिलाओं के लिए आरक्षित किए गए हैं। बेटियों में अपना काम शुरू करने का आत्मविश्वास हमने भरा है।
पंचायत एवं नगरीय निकायों में बहनों को आरक्षण देकर उनका राजनैतिक सशक्तिकरण किया। सभी नगरीय निकायों के निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के मानदेय में 20 प्रतिशत वृद्धि की घोषणा हमने की है। स्व-सहायता समूह के माध्यम से विविध प्रकार के उद्यम प्रारम्भ कर माताएं-बहनें लखपति बन रही हैं। 5 लाख स्व-सहायता समूहों के माध्यम से अब तक करीब 62 लाख ग्रामीण बहनें आत्मनिर्भर हुईं। ड्रोन दीदी के रूप में समूह की बहनों को नई पहचान मिली है।
आपकी सरकार पर्यावरण और विकास में संतुलन बनाए रखने के लिए क्या प्रयास कर रही है?
मुझे यह कहते हुए अत्यंत गर्व और खुशी हो रही है कि हमारा म.प्र. उन अग्रणी राज्यों में से एक है, जिसने पर्यावरण संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के महत्व को गहराई से समझा है। म.प्र. में देश का सबसे बड़ा वन क्षेत्र है, जो राज्य के क्षेत्रफल का 30.72 प्रतिशत तथा देश के कुल वन क्षेत्र का 12.30 प्रतिशत है। म.प्र. सरकार क्लीन और ग्रीन एनर्जी के विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए निरंतर कार्य कर रही है। प्रधान मंत्री के नेतृत्व में हमारा म.प्र. भी प्रकृति संरक्षण के साथ प्रगति के पथ पर अग्रसर है। स्वच्छ भारत मिशन में म.प्र. देश का ध्वजवाहक बना हुआ है। हमारे इंदौर को लगातार 7 बार देश के स्वच्छतम शहर का पुरस्कार मिला है।
जो पानी अभी तक वेस्ट होता था, उसका बेस्ट उपयोग कैसे किया जाता है, हमारे इंदौर ने ये करके दिखाया है। इंदौर को देश का पहला वाटर प्लस शहर घोषित होने का गौरव प्राप्त है। दोस्तों हमारा म.प्र. प्रकृति के प्रति अपने कर्तव्यों के प्रति सजग है। हमारे झाबुआ और अलीराजपुर जिले के जनजातीय समाज की हलमा परम्परा अद्भुत है। वर्षा जल के संग्रहण का यह अभियान जनभागीदारी के माध्यम से चलाया जाता है, जिससे ग्राउंड वाटर लेवल भी सुधरा है और वनों की सघनता भी बढ़ी है।
वर्षा जल के संग्रहण और संरक्षण एवं जल संरचनाओं के पुनरुद्धार के लिए हाल ही में हमने म.प्र. में मिशन मोड में जल गंगा संवर्धन अभियान का संचालन किया है। इस अभियान के तहत पूरे प्रदेश में 5 हजार 100 से अधिक तालाबों, लगभग 10 हजार कूपों/बावड़ियों, 8 हजार से अधिक रिचार्ज पिटों की साफ-सफाई और जीर्णोद्धार कार्य के साथ ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग, घाट निर्माण एवं वाटर रिचार्ज संरचनाओं का निर्माण कार्य किया गया। इस अभियान को जन आन्दोलन का स्वरूप देकर 42 लाख से अधिक पौधे लगाए गए, विभिन्न तालाबों से लगभग 1 करोड़ घन मीटर से अधिक गाद निकालकर 3 करोड़ से अधिक घन मीटर की अतिरिक्त जल संग्रहण क्षमता विकसित की गई।
एक पेड़ मां के नाम अभियान के अंतर्गत म.प्र. वासियों ने प्रदेश में साढ़े 6 करोड़ पौधे लगाए हैं। हम म.प्र. में पर ड्रॉप मोर क्रॉप के उद्देश्य की पूर्ति के लिए ड्रिप सिंचाई प्रणाली, प्रेशराइज्ड सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली, स्प्रिंकलर सिस्टम जैसे नवाचारों को धरातल पर उतार रहे हैं जिससे फसलों का उत्पादन भी बढ़ा है और जल का संरक्षण भी हो रहा है ।
हम ओंकारेश्वर में विश्व का सबसे बड़ा फ्लोटिंग सोलर प्लांट बना रहे हैं। इस प्लांट से सौर ऊर्जा के उत्पादन के साथ ही पानी का वाष्पीकरण भी कम होगा। रीवा सौर परियोजना के अंतर्गत बड़े-बड़े सौर ऊर्जा पार्क स्थापित किए हैं। सांची देश की पहली सोलर सिटी बनी है।
2012 में प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा की क्षमता 500 मेगावाट से भी कम थी, लेकिन हमने अलग से विभाग का गठन करके सौर, पवन, बायोमास और लघु जल ऊर्जा की क्षमता को बढ़ाने के लिए नीतियां बनाईं, जिससे यह क्षमता अब 7 हजार मेगावाट तक पहुंच गई है। आज राज्य की कुल ऊर्जा में 21% नवकरणीय ऊर्जा का योगदान है। म.प्र. नवकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में नवाचार करने में भी अग्रणी राज्य है।
आपके राज्य में कृषि और किसानों की स्थिति कैसी है?
हमारी सरकार के प्रयासों के कारण म.प्र. देश की फूड बास्केट बन चुका है। हम सोयाबीन और गेहूं उत्पादन में देश के अग्रणी राज्य हैं। जैविक खेती और श्रीअन्न के प्रोडक्शन में भी म.प्र. अग्रणी है। हमें 7 बार कृषि कर्मण पुरस्कार मिल चुका है। फसल विविधिकरण और प्राकृतिक खेती को प्रदेश में बढ़ावा दिया जा रहा है।
श्रीअन्न के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए रानी दुर्गावती श्री अन्न प्रोत्साहन योजना लागू की गई है। इसके अंतर्गत किसानों को प्रति क्विंटल 1000 रुपए की विशेष प्रोत्साहन राशि प्रदान की जा रही है। रानी दुर्गावती श्रीअन्न प्रोत्साहन योजना में 3 हजार 900 रुपए प्रति हेक्टेयर अतिरिक्त सहायता राशि हमने स्वीकृत की है। हाल ही में हमने किसानों के हित में निर्णय लेते हुए सोयाबीन का समर्थन मूल्य 4 हजार 892 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित किया है।
शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए सरकार क्या प्रयास कर रही है?
स्वस्थ और शिक्षित नागरिक सफल सरकार की निशानी हैं। शिक्षा और स्वास्थ्य की दिशा में म.प्र. उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल कर रहा है। प्रदेश के प्रत्येक नागरिक का उत्तम स्वास्थ्य और हर बच्चे को शिक्षा हमारी प्राथमिकता है।
हाल ही में प्रदेश में पीएमश्री एयर एम्बुलेंस सेवा का शुभारम्भ किया गया है। इससे प्रदेश के दूरस्थ क्षेत्रों से गंभीर रूप से बीमार या दुर्घटनाग्रस्त लोगों को एयरलिफ्ट कर समय पर उपचार उपलब्ध कराने में बड़ी सहायता मिल रही है। वर्ष 2024-25 में तीन और शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय मंदसौर, नीमच एवं सिवनी में जल्द ही संचालित किए जाएंगे। आगामी दो वर्षों में आठ और नए शासकीय चिकित्सा महाविद्यालय संचालित करने का लक्ष्य हमने रखा है।
बालाघाट, शहडोल, सागर, नर्मदापुरम और मुरैना में आयुर्वेद चिकित्सालय जल्द ही प्रारंभ होंगे। हम प्रत्येक जिला अस्पताल एवं सिविल अस्पतालों को एक-एक शव-वाहन उपलब्ध करा रहे हैं। चिकित्सा शिक्षा विभाग और लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग का विलय सुशासन और कार्यदक्षता का उदाहरण बना है।
प्रदेश में चिकित्सा महाविद्यालयों को पीपीपी मोड पर स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। मेडिकल कॉलेजों के साथ नए नर्सिंग कॉलेजों की स्थापना के लिए राशि स्वीकृत की गई है। आयुष्मान भारत योजना के क्रियान्वयन में हम अग्रणी हैं। स्वास्थ्य संस्थानों में 46 हजार 491 नए पदों (नियमित/संविदा/आउटसोर्स) के सृजन की स्वीकृति दी गई है।
अब बात शिक्षा की करते हैं, तो पिछले वर्षों में लगभग 50 हजार शिक्षकों की नियुक्ति की गई है। नई शिक्षा नीति के अनुरूप प्रदेश में शैक्षणिक गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए 40 हजार से अधिक शिक्षकों को विभिन्न विषयों का प्रशिक्षण दिया गया है। म.प्र. राष्ट्रीय शिक्षा नीति एवं नेशनल कर्रिकुलम फ्रेमवर्क को लागू करने वाला देश का अग्रणी राज्य है। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में प्रदेश सरकार द्वारा व्यावसायिक शिक्षा पर विशेष बल दिया जा रहा है। इस वर्ष 2 हजार 383 हायर सेकेण्ड्री स्कूलों में व्यावसायिक शिक्षा प्रारंभ की गयी है, जिसमें लगभग तीन लाख छात्र व्यावसायिक शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं।
शैक्षिक नींव की मजबूती के लिए यह आवश्यक है कि प्रारंभिक कक्षाओं में ही बच्चों की उपलब्धियों पर ध्यान केन्द्रित किया जाए। इस दिशा में हमने शासकीय विद्यालयों में कक्षा 5वीं और 8वीं का वार्षिक मूल्यांकन बोर्ड पैटर्न पर प्रारंभ किया है।
प्रदेश में सी.एम. राइज स्कूल योजना के अंतर्गत सर्व सुविधा संपन्न विद्यालय निर्मित किए जा रहे हैं। प्रदेश में इस तरह के 9 हजार 200 विद्यालय बनाने का लक्ष्य है। प्रथम चरण में 370 तथा द्वितीय चरण में 276 विद्यालय प्रारंभ किए गए हैं। प्रदेश के 576 विद्यालयों को पीएमश्री योजना में शामिल करके सर्व-सुविधा युक्त बनाया जा रहा है।
दूर-दराज के क्षेत्रों में निवास करने वाले बच्चों की शिक्षा तक आसान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए 4 लाख 50 हजार छात्र-छात्राओं को निःशुल्क साइकिल प्रदान की गई है।
प्रदेश में पहली बार नर्सरी से लेकर कक्षा 12 तक संगीत, खेल तथा 21वीं सदी के कौशल पर आधारित पाठ्यक्रम तैयार किए गए हैं। साथ ही प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई। प्रदेश में योग आधारित जीवन शैली को बढ़ावा देने के लिए योग आयोग का गठन किया गया है।
खरगोन में क्रांतिसूर्य टंट्या भील विश्वविद्यालय, सागर में रानी अवंतीबाई लोधी विश्वविद्यालय एवं गुना में तात्या टोपे विश्वविद्यालय प्रारंभ किया गया है। उज्जैन के इंजीनियरिंग कॉलेज में आईआईटी का सैटेलाइट कैंपस प्रारंभ करने का निर्णय लिया है।
किसी राज्य की वास्तविक शक्ति वहां के युवा होते हैं। म.प्र. के युवा स्थानांतर न करें इसके लिए आप क्या प्रयास कर रहे हैं?
इसमें एक बात और मैं जोड़ना चाहता हूं कि हम देश के सबसे युवा राज्यों में एक हैं, हमारे पास सपने और सामर्थ्य दोनों है। युवाओं के लिए प्रदेश में अच्छे शिक्षण संस्थान, उद्योग-धंधे और स्किल्ड करने के लिए कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है हमारे बच्चे यहीं पढ़ें, यहीं प्रशिक्षित हों और यहीं नौकरी करके म.प्र. को आगे बढ़ाने की दिशा में काम करें। इन्वेस्ट इन एमपी और रीजनल इंडस्ट्री कॉन्क्लेव के माध्यम से प्रदेश में निवेश और रोजगार के अवसर सृजित करने की दिशा में हम सफल हो रहे हैं। हमारे युवा कंपनियों के लिए तैयार हों इसके लिए उन्हें प्रशिक्षित किया जा रहा है।
पिछले रोजगार दिवस से आज तक 3 लाख से अधिक युवाओं को 2 हजार 300 करोड़ से अधिक के ऋण वितरित कर स्वरोजगार से जोड़ा गया है।
रोजगार दिवस के माध्यम से प्रतिमाह औसतन 3 लाख लोगों को स्व-रोजगार के लिए 1 हजार 900 करोड़ रुपए से अधिक के ऋण वितरित किए जा रहे हैं। रोजगार मेलों के माध्यम से प्रतिवर्ष लगभग 80 हजार युवाओं को निजी क्षेत्र में रोजगार प्राप्त करने में सहयोग मिल रहा है।
प्रदेश में राज्य और केंद्र मिला कर अब तक कुल 54 एमएसएमई क्लस्टर्स स्वीकृत किए जा चुके हैं। स्किल गैप को दूर करने के लिए 2 टेक्नोलॉजी सेंटर और 3 एक्टेंशन सेंटर बनाए जा रहे हैं। प्रदेश में 9 हजार 800 लघु उद्यम स्थापित किए गए हैं। नई स्टार्ट-अप नीति आने के बाद प्रदेश में 3 हजार 480 से अधिक स्टार्ट-अप्स और 60 से अधिक इन्क्यूबेटर्स कार्यरत हैं।
आपकी सरकार के माध्यम से पर्यटकों को लुभाने के लिए कौन से विशेष प्रयास हो रहे हैं?
प्रधान मंत्री के नेतृत्व में देश आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पुनरुत्थान का साक्षी बन रहा है। हम भाग्यशाली हैं कि म.प्र. के पास प्राकृतिक, सांस्कृतिक और धार्मिक धरोहरें हैं। इसके संरक्षण और संवर्धन के लिए सरकार निरंतर प्रयास कर रही है। हमारा लक्ष्य जल्द ही प्रदेश में पर्यटन और अध्यात्म आधारित अर्थव्यवस्था को विकसित करना है।
प्रदेश के धार्मिक स्थलों का कायाकल्प हो रहा है। महाकाल लोक के निर्माण से ये यात्रा शुरू हो गई है। हमने 1450 कि.मी. लंबे राम वन गमन पथ के निर्माण का निर्णय लिया है। साथ ही जहां-जहां भगवान श्रीकृष्ण के चरण पड़े, उन स्थानों को तीर्थ के रूप में विकसित किया जाएगा। आने वाले दिनों में ये आध्यात्मिक पर्यटन का विशेष केंद्र होंगे। वर्ष 2028 का सिंहस्थ पूरी दुनिया देखेगी, इसकी तैयारी हमने प्रारंभ कर दी है। टास्कफोर्स का गठन किया जा चुका है। बजट में 500 करोड़ रुपए का प्रावधान किया गया है।
पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए, पर्यटकों की सहूलियत के लिए पीएम श्री पर्यटन वायु सेवा प्रारम्भ की गई। प्रदेश के 8 शहरों भोपाल, इंदौर, जबलपुर, रीवा, उज्जैन, ग्वालियर, सिंगरौली और खजुराहो को हवाई सेवा से जोड़ा गया। धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए पीएम श्री धार्मिक पर्यटन हेली सेवा का संचालन भी प्रारम्भ किया गया है। पहले चरण में भोपाल-उज्जैन-ओंकारेश्वर एवं इंदौर-उज्जैन-ओंकारेश्वर रूट पर यह हवाई सेवा प्रारम्भ की गई है। आने वाले दिनों में हेलीकॉप्टर की संख्या और बढ़ाई जाएगी, जिसमें 16-16 यात्री हवाई सेवा का लाभ ले सकेंगे। प्रदेश के मैहर, दतिया, ओरछा, अन्य धार्मिक, पर्यटन और ऐतिहासिक महत्व के देव स्थलों को भी हवाई यात्रा से जोड़ा जाएगा।
मुख्य मंत्री बनने के बाद से आपने बाहरी उद्योगों को आकर्षित करने के लिए विभिन्न स्थानों पर समिट का आयोजन किया था। इसके क्या परिणाम हुए तथा भविष्य में उद्योगों के लिए आपकी योजनाएं क्या हैं?
आने वाले 5 साल म.प्र. के स्वर्णिम होने वाले हैं। मैं आपके माध्यम से ये बताना चाहता हूं कि निवेश और रोजगार के क्षेत्र में म.प्र. नया अध्याय लिखेगा।
प्रदेश में ओद्योगिक निवेश बढ़ाने के लिए हम योजनाबद्ध तरीके से काम कर रहे हैं। इन्वेस्ट म.प्र. के तहत मैं देश के अन्य राज्यों में निवेशकों से मिलने जा रहा हूं और उन्हें बता रहा हूं कि एमपी कैसे आपके उद्योग को नई ऊंचाइयां दे सकता है।
13 जुलाई को हमने मुम्बई में, 25 जुलाई को तमिलनाडु के कोयम्बटूर में और 8 अगस्त को बेंगलुरु में इन्वेस्ट इन म.प्र. कार्यक्रम का आयोजन किया था, जिसमें देश-विदेश के प्रतिनिधियों ने सहभागिता की और कुल 1.92 लाख करोड़ रुपए के निवेश प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं। इस दौरान कुल 98 इकाइयों का वर्चुअल लोकार्पण किया गया, जिसके अंतर्गत 4,316.11 करोड़ का निवेश प्रस्तावित है। इससे 13,052 रोजगार के अवसर सृजित होने की उम्मीद है। कोलकाता में भी निवेशकों ने म.प्र. में निवेश को लेकर रुचि दिखाई। आने वाले दिनों में अहमदाबाद, पुणे एवं नई दिल्ली में ये सेशन प्रस्तावित हैं।
म.प्र. के हर संभाग की अलग विशेषताएं हैं। हम स्थानीयता को अंतरराष्ट्रीयता में बदलने की सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं। यही वजह है कि वर्ष 2024 में प्रदेश में रीजनल इंडस्ट्री कॉनक्लेव उज्जैन, जबलपुर, ग्वालियर और सागर में आयोजित किए जा चुके हैं। आगामी रीजनल इंडस्ट्री कॉनक्लेव रीवा में प्रस्तावित है।
हिंदी विवेक के म.प्र. विशेषांक के माध्यम से आप हमारे देशभर फैले पाठकों को क्या संदेश देना चाहेंगे?
पाठकों, म.प्र. देश का हृदय है। ज्ञान, ध्यान, कला, संस्कृति और विरासत का पंचामृत है यहां। संस्कृति, पर्यटन और अध्यात्म की त्रिवेणी है। इतिहास, साहित्य और विज्ञान का ऐसा संगम कहीं और नहीं। आइए और हमारा म.प्र. अवश्य देखिए। यहां के शरबती गेंहू की रोटी का स्वाद सोयाबीन की सब्जी के साथ चखिए और सुंदरजा आम खाना मत भूलिए।
बाबा महाकाल के दर्शन करिए, खजुराहो का स्थापत्य देखिए, सांची की शांति महसूस कीजिए और इंदौर का स्वाद लीजिए। ग्वालियर का गौरव और ओरछा का वैभव देखे बिना आपकी म.प्र. यात्रा अधूरी होगी। मैहर से लेकर पचमढ़ी तक और कान्हा से पेंच तक हमारे म.प्र. का कोई सानी नहीं है।
पाठकों, विकास के नए प्रतिमान गढ़ते म.प्र. के स्व-सहायता समूहों की बहनों से मिलिए, स्वच्छता दीदियों से मिलिए, लाड़ली लक्ष्मियों से मिलिए। एक बार यहां आएंगे, तो यहीं के होकर रह जाएंगे। आइए देश के दिल की धड़कन महसूस करिए।