जिहादी ज्वाला में धधकते बांग्लादेश की आधी बिजली काट कर अदाणी पावर कम्पनी ने उसे जोर का झटका दिया है और अपनी राष्ट्रभक्ति का परिचय भी दिया है। आगे चेतावनी भी जारी कर दी है कि यदि बकाया राशि का भुगतान नहीं किया गया तो पूरी बिजली काट दी जाएगी।
बांग्लादेश की अराजकता के बीच यथाशीघ्र ही उसके अंधेरे में डूबने की सम्भावनाएं प्रबल होती दिखाई दे रही है। अदाणी समूह द्वारा स्पष्ट रूप से बांग्लादेश को चेतावनी दी गई है कि यदि वह शीघ्र ही अपनी शेष धनराशि का भुगतान नहीं करेगा तो उसकी विद्युत आपूर्ति बंद कर दी जाएगी। उल्लेखनीय है कि अदाणी पावर की बांग्लादेश पर लगभग 850 मिलियन डालर (करीब 7200 करोड़ रुपए) की धनराशि बकाया है। इस संदर्भ में बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के साथ बातचीत हुई, किंतु इस समस्या का कोई भी समाधान नहीं निकला। अंतत: अदाणी ने विद्युत आपूर्ति काटने की स्पष्ट बात कहकर चेतावनी भी दी और आधी बिजली आपूर्ति को भी रोका।
चूंकि अदाणी पावर समूह द्वारा बकाया धनराशि का भुगतान करने तथा शेष धनराशि की भुगतान सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड (बी.पी.डी.बी) को (लगभग 1500 करोड़ रुपए) लेटर ऑफ क्रेडिट (एल.सी.) देने को भी कहा गया था और इसको देने के लिए 31 अक्टूबर 2024 तक की समयसीमा भी दी गई थी। इसके बाद भी बांग्लादेश पावर डेवलपमेंट बोर्ड अदाणी पावर समूह को लेटर ऑफ क्रेडिट प्रस्तुत नहीं कर सका। फलस्वरूप अदाणी पावर झारखंड लिमिटेड (ए.पी.जे.एल.) द्वारा बांग्लादेश को बिजली की आपूर्ति आधी कर दी। यद्यपि बांग्लादेश बिजली विकास बोर्ड (पी.डी.बी.) ने कृषि बैंक के माध्यम से बकाया राशि के लिए एल. सी. जारी करने की मांग की, किंतु यह कदम बिजली खरीद समझौते की शर्तों के अनुरूप नहीं था। डॉलर की कमी के कारण इस समय बांग्लादेश यह भ्ाुगतान करने में सक्षम नहीं है।
बिजली कम्पनी अदाणी पावर के पूर्ण स्वामित्व वाली अनुषंगी अदाणी पावर झारखंड लिमिटेड ने पड़ोसी देश बांग्लादेश की अब बिजली आपूर्ति कम कर दी। बांग्लादेश ने 1600 मेगावाट से अधिक बिजली की कमी बताई। इसका कारण यह है कि लगभग 1496 मेगावाट क्षमता वाला संयत्र अब एक इकाई से 700 मेगावाट बिजली का ही उत्पादन कर रहा है। बांग्लादेश की बिजली की कटौती करने के पूर्व अदाणी की कम्पनी ने बांग्लादेश के उर्जा सचिव को एक पत्र लिखकर अनुरोध किया था कि बांग्लादेश बिजली विकास बोर्ड से विगत 30 अक्टूबर तक हर सम्भव बकाया धनराशि का भ्ाुगतान करने को कहा जाए। यदि बकाया का भुगतान नहीं होता तो 31 अक्टूबर को बिजली आपूर्ति निलम्बित करके बिजली खरीद समझौते (पीपीए) के अंतर्गत कम्पनी उपचारात्मक कदम उठाने के लिए बाध्य होगी।
अदाणी की बिजली कम्पनी के अनुसार बांग्लादेश बिजली विकास बोर्ड ने न तो बांग्लादेश कृषि बैंक से 17 करोड़ डॉलर की राशि की ॠण सुविधा दी है और न ही 84.6 करोड़ डॉलर की बकाया राशि का भुगतान ही किया है। अदाणी पावर झारखंड का गोदा नामक स्थान पर कोयला आधारित प्लांट है। यहां से बांग्लादेश को हर महीने करीब 1600 मेगावाट बिजली की आपूर्ति की जाती रही है। अदाणी पावर कम्पनी ने गोदा में 800-800 मेगावाट वाली दो यूनिट लगाई हुई है। उल्लेखनीय है कि तात्कालिक प्रधान मंत्री शेख हसीना अपदस्थ होने के बाद जब से अंतरिम सरकार बांग्लादेश की सत्ता में आई है, तब से अदाणी की कम्पनी ने बकाया भ्ाुगतान के लिए उस पर दबाव बनाकर अपनी देशभक्ति का परिचय दिया है।
अदाणी ने स्पष्ट रूप से कहा कि आपूर्ति निलम्बन की अवधि के दौरान कम्पनी बिजली खरीद समझौते (पीपीए) की धारा 13.2 (1) के अंतर्गत क्षमता भुगतान वसूलने का अधिकार सुरक्षित रखती है। पी. पी. ए. के अनुसार कोयले की कीमतों की गणना दो कोयला सूचकांकों-इंडोनेसीया कोयला सूचकांक और आस्ट्रेलियाई न्यूकैसल सूचकांक के औसत मूल्य के आधार पर की जाती है, जिससे कीमतें स्वाभाविक रूप से बढ़ जाती हैं। अदाणी की रिपोर्ट में कहा गया है कि एक वर्ष के पूरक सौदे की अवधि के बाद ही बिजली खरीद समझौते (पी. पी. ए.) के अनुसार शुल्क लेना शुरू किया। वास्तव में पी. डी. बी. प्रति सप्ताह लगभग 18 मिलियन डॉलर का भुगतान कर रहा है, जबकि शुल्क 22 मिलियन डॉलर से अधिक बनता है। इसी कारण से इस देय भुगतान में फिर वृद्धि हुई है।
बांग्लादेश में सत्ता परिवर्तन के पश्चात से भारत विरोधी एजेंडा एक बड़े स्तर पर फल-फूल रहा है। इसके तहत ही शेख हसीना के कार्यकाल में अदाणी समूह के साथ बिजली समझौते पर सबसे अधिक प्रश्न चिन्ह भी उठाए जा रहे हैं। इसी के साथ ही बांग्लादेश के सर्वोच्च न्यायालय के एक वकील ने तो अदाणी कम्पनी के विरुद्ध एक याचिका भी दायर कर दी है। बांग्लादेश की स्थिति सुधरने की बजाय और भी बुरी होती जा रही है। व्याप्त बिजली संकट के कारण जहां उद्योग धंधे बुरी तरह चौपट हो रहे हैं, वहीं व्याप्त अराजकता, कट्टरता, आतंकवाद एवं अपराधीकरण के कारण हिंसा एवं तनाव की स्थिति के कारण बांग्लादेश रसातल की ओर जा रहा है। जिसे देख कर लगता है कि उसकी यह स्थिति जल्द सुधरने वाली नहीं है।
बांग्लादेश में राजनीति एवं सत्ता परिवर्तन के साथ ही अल्पसंख्यकों विशेषकर हिंदुओं पर एक बड़े पैमाने पर हमले किए गए और पूजा स्थलों, व्यापारिक संस्थानों, आर्थिक केंद्रों और घरों को विशेष तौर पर निशाना बनाया गया। जो न केवल मानवीय द़ृष्टिकोण से बहुत ही निंदनीय एवं शर्मनाक है, बल्कि मानवता के घातक पतन का प्रतीक है। जिस स्तर पर हिंदू समाज के विरुद्ध हिंसा का तांडव नृत्य किया गया, वह बहुत संवेदनशील मुद्दा बन चुका है। बांग्लादेश में कार्यवाहक प्रमुख एवं नोबल पुरस्कार विजेता मोहम्मद युनूस की भी मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। बांग्लादेश की 170 मिलियन जनसंख्या में से लगभग 8 प्रतिशत हिंदू ऐतिहासिक रूप से शेख हसीना की आवामी लीग पार्टी के साथ जुड़े रहे हैं। यही कारण है कि बड़ी संख्या में हिंदुओं को दुर्दशा का दंश झेलना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि 5 से 8 अगस्त 2024 तक बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के नाम पर बांग्लादेश आवामी लीग पार्टी तथा उनके विभिन्न सहयोगियों के सभी नेता और कार्यकर्ताओं द्वारा बांग्लादेशी हिंदू, ईसाई तथा बौद्ध धर्म अनुनायी क्रूर नरसंहार एवं मानवता के विरुद्ध अपराधों के शिकार हुए। भारत ने बांग्लादेश की सरकार से हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कड़े कदम उठाने की अपील की है। बांग्लादेश के चटगांव में अभी हाल में साम्प्रदायिक हिंसा की घटनाएं भी सामने आई हैं। बांग्लादेश से हिंदुओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने और चरमपंथियों के विरुद्ध कार्रवाई करने के लिए भी स्पष्ट रूप से कहा गया है।अब बांग्लादेश द्वारा मानव अधिकार हनन की जांच करने के लिए संयुक्त राष्ट्र की टीम भले ही अपना कार्य कर रही है, परंतु उसके घातक कदमों एवं व्याप्त अराजकता पर अंकुश लगाने के लिए भारत को भी कठोर कदम उठाने में अब कोई कोताही नहीं करनी चाहिए।
-डॉ. सुरेंद्र कुमार मिश्र