भारतीय भिक्खु संघ और अन्य संगठनों की ओर से बांग्लादेश दूतावास में आसिफ हमीद (वीज़ा अधिकारी) को एक पत्र सौंपा गया। इस पत्र के माध्यम से संगठन ने बांग्लादेश सरकार से मानवाधिकार उल्लंघनों पर तुरंत कार्रवाई करने की मांग की है। बांग्लादेश सरकार से अपील की गई कि वह अपने नागरिकों के अधिकार, स्वतंत्रता और सुरक्षा की रक्षा के लिए आवश्यक कानूनी कदम उठाए।
भारतीय भिक्खु संघ ने बुलंद की अपनी आवाज
मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (Universal Declaration of Human Rights) स्पष्ट रूप से कहती है, “हर व्यक्ति को सम्मान, स्वतंत्रता और न्याय मिलना चाहिए।” संयुक्त राष्ट्र ने पूरी दुनिया को समानता और मानवता का संदेश दिया है, लेकिन बांग्लादेश में मानवाधिकारों का उल्लंघन, अल्पसंख्यकों पर अत्याचार, महिलाओं पर हिंसा और धार्मिक दमन इस घोषणा का पूरी तरह से विरोध करता है।
अगर सम्मान, स्वतंत्रता और न्याय सभी के लिए हैं, तो बांग्लादेश में क्यों नहीं?
मानवाधिकार केवल कानूनों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि यह प्रत्येक देश के नागरिकों का जन्मसिद्ध अधिकार है। बांग्लादेश में नागरिकों को इन मूलभूत अधिकारों से वंचित रखना वैश्विक मानवाधिकार संहिता का सीधा उल्लंघन है।
बांग्लादेश में अत्याचार और मानवाधिकारों का उल्लंघन:
बांग्लादेश में वंचित वर्गों पर अत्याचार, दमन और हिंसा की घटनाओं में बढ़ोतरी ने वैश्विक स्तर पर गंभीर चिंता पैदा कर दी है। अल्पसंख्यक समुदाय, महिलाओं की असुरक्षा, धार्मिक असहिष्णुता और अन्य मानवाधिकार उल्लंघन के कारण बांग्लादेश के नागरिकों के बुनियादी अधिकारों का बड़े पैमाने पर हनन हो रहा है।
बांग्लादेश सरकार को इन अत्याचारों को तुरंत रोकने के लिए कड़े कदम उठाने चाहिए। इसी उद्देश्य से भारतीय भिक्खु संघ और अन्य संगठनों ने यह अपील की है।
गेटवे ऑफ इंडिया पर शांतिपूर्ण प्रदर्शन:
भारतीय भिक्खु संघ और अन्य संगठनों के संयुक्त प्रयास से 10 दिसंबर 2024 को मुंबई के गेटवे ऑफ इंडिया पर शांतिपूर्ण मौन प्रदर्शन आयोजित किया गया। दोपहर 2 बजे से शुरू हुए इस प्रदर्शन का उद्देश्य बांग्लादेश में मानवाधिकार उल्लंघनों के बारे में जागरूकता फैलाना था। इस प्रदर्शन के जरिए इन अत्याचारों के खिलाफ वैश्विक समर्थन जुटाने और बांग्लादेश सरकार से त्वरित कार्रवाई की मांग की गई।
बांग्लादेश दूतावास को पत्र और तत्काल मांग:
भारतीय भिक्खु संघ और अन्य संगठनों की ओर से बांग्लादेश दूतावास में आसिफ हमीद (वीज़ा अधिकारी) को एक पत्र सौंपा गया। इस पत्र के माध्यम से संगठन ने बांग्लादेश सरकार से मानवाधिकार उल्लंघनों पर तुरंत कार्रवाई करने की मांग की है। बांग्लादेश सरकार से अपील की गई कि वह अपने नागरिकों के अधिकार, स्वतंत्रता और सुरक्षा की रक्षा के लिए आवश्यक कानूनी कदम उठाए।
इस दौरान भारतीय भिक्खु संघ के कार्याध्यक्ष भिक्षु विरत्न महाथेरो, भंते बोधिमित्र थेरो (बांग्लादेश) और भंते बुद्धश्री महाथेरो (पश्चिम बंगाल), डॉ. वैभव देवगिरकर (अध्यक्ष – देव देश प्रतिष्ठान), डॉ. रविंद्र कांबळे (प्रोजेक्ट हेड- देव देश प्रतिष्ठान) ने बांग्लादेश की अमानवीय परिस्थितियों को बयान करते हुए और संबंधित सबूत प्रस्तुत करते हुए अपनी गहरी चिंता व्यक्त की। भिक्खु विरत्न महाथेरो इस विदारक स्थिति को बयान करते समय भावुक हो गए और उनकी आंखों में आंसू छलक पड़े।
भिक्खु विरत्न महाथेरो, कार्याध्यक्ष, भारतीय भिक्खु संघ ने कहा कि “मानवाधिकारों के उल्लंघन का विरोध करना हमारा नैतिक कर्तव्य है। हम, भारतीय भिक्खु संघ, न्याय, समानता और सभी के लिए सम्मान के लिए संघर्ष करते रहेंगे। बांग्लादेश के नागरिकों के अधिकार और स्वतंत्रता की रक्षा करना आवश्यक है और इसके लिए हम एकजुट होकर आवाज उठाएंगे। हमारे लिए सम्मान, स्वतंत्रता और न्याय ही सबसे बड़ा विश्वास है।”
डॉ. वैभव आर. देवगिरकर, अध्यक्ष, देव देश प्रतिष्ठान ने कहा कि “हमारे अधिकार, हमारा भविष्य, अभी! इस घोषणा के साथ हम विश्व मानवाधिकार दिवस पर बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ दृढ़ रुख अपना रहे हैं। इस संघर्ष में न्याय और समानता के लिए हर किसी को अपनी आवाज बुलंद करनी चाहिए। हम किसी भी परिस्थिति में उन अत्याचारों के खिलाफ खड़े रहेंगे, ताकि हर व्यक्ति को सम्मान, स्वतंत्रता और न्याय मिल सके।”
जनता और मीडिया से अपील
भारतीय भिक्खु संघ और अन्य संगठनों ने जनता और मीडिया से इस प्रयास में शामिल होने की अपील की है। बांग्लादेश में हो रहे अत्याचारों के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए सभी को एकजुट होकर अपनी आवाज उठानी चाहिए।
“तो फिर बांग्लादेश में मानवाधिकार क्यों नहीं?” यह केवल एक सवाल नहीं है, बल्कि यह एक वचन है कि हम इन अत्याचारों का विरोध जारी रखेंगे और सभी के लिए सम्मान, स्वतंत्रता और न्याय सुनिश्चित करेंगे। आयोजकों ने यह संदेश दिया।