खिताब पाने का उद्देश्य समाजसेवा – पिंकी राजगडिया

परम्परागत मारवाड़ी परिवार से आई पिंकी राजगडिया का मिसेज इंडिया व मिसेज यूनिवर्स तक का सफर रोमांचक और कड़े परिश्रमों से भरा सफर है। प्रस्तुत है इस सफर के विभिन्न पहलुओं पर हुई बातचीत के महत्वपूर्ण अंश, जो इंगित करते हैं कि भारतीय महिलाएं ठान लें तो हर क्षेत्र में सफलता के झंड़े गाड़ सकती हैं।

मिसेज इंडिया या मिसेज यूनिवर्स बनने के बाद हर किसी का बॉलीवुड में जाने का सपना होता है, लेकिन आपने ऐसा नहीं किया, क्यों?

बॉलीवुड में मेरी कभी रूचि नहीं थी। मेरा मानना था कि अगर प्रतिष्ठित व्यक्ति किसी सामाजिक कार्य से जुड़ते हैं तो लोगों का ध्यान ज्यादा जाता है। मैं हमेशा समाज से जुड़ी रहना चाहती थी। अपने लोगों के लिए, समाज के लिए, अपने देश के लिए कुछ करना चाहती थी। मुझे लगा कि मैं जो सामाजिक कार्य कर रही हूं उससे अधिक से अधिक लोगों का जुड़ाव हो, इसके लिए मुझे पहले किसी विशिष्ट मुकाम पर पहुंचना होगा। इसी कारण मैंने सौंदर्य प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया और आगे बढ़ती गई। आज मुझे अपना निर्णय सही साबित होता दिखाई दे रहा है।

आप किस तरह के सामाजिक कार्य कर रही हैं या भविष्य में करना चाहती हैं?

मैं हमेशा से ही बेटियों के लिए कुछ करना चाहती थी। मैं स्वयं दो बेटियों की मां हूं। आज समाज में पुरुषों और महिलाओं में जो असमानता की भावना दिखाई देती है, घरेलू हिंसा की घटनाएं बढ़ती जा रहीं हैं, ये सब बंद होना चाहिए। जागरूकता आनी चाहिए समाज में, जिस नजरिये से पुरूष को देखते हैं, उसी नजरिये से महिलाओं को देखना चाहिए। जागरूकता से अगर हम काम करें तो हमारा देश और विकसित होगा। यह मेरा मत है। इसी विषय को लेकर ूमैं सामाजिक कार्य कर रही हूं और भविष्य में तेजी के साथ इसे अमली जामा पहनाने की योजना है।

आपकी ये जो सोच है, उसे किस तरह आप जमीनी स्तर पर उतार रही हैं?

अभी मैंने अपना खुद का फांउडेशन शरू किया है। नाम है- ‘चिंगारी शक्ति फांउडेशन’। उससे बहुत दिग्गज लोग जुड़े हैं। इस फाउंडेशन के द्वारा स्कूलों में जाकर ‘सेल्फ डिफेन्स शुड बी द करीकुलम, इन आर स्कुल करिकुलम’ कार्यक्रम करते हैं। इसी को हम आगे लेकर जाना चाहते हैं। विषेशतः लड़कियों के लिए ये कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।

घरेलू हिंसा मामले में महिलाएं स्वयं का बचाव व विरोध नहीं कर पातीं, क्या इसके लिए महिलाओ की मानसिकता बदलने की जरूरत है?

जी हां,महिलाओं की मानसिकता बदलने की दरकार है। महिलाएं बेहद सवेंदनशील व सहनशील होती हैं। वे बड़ी से बड़ी मुसीबतों को भी आसानी से सह लेती हैं। इसी मानसिकता के तहत जब घर में कोई पुरुष महिला पर हाथ उठाता है तो वे उसका विरोध तक नहीं करती। यदि पहली बार ही महिलाएं ऐसी हरकतों का पुरजोर विरोध करने लगे तो ऐसे मामलों पर लगाम लग सकती है। इसके लिए महिलाओं को शिक्षित व जागरूक करना आवश्यक है। तब जाकर महिलाओं की मानसिकता में बदलाव आएगा।

अपनी कामयाबी का श्रेय आप किसे देंगी?

मैं अपने मम्मी-पापा, पति और अपनी दोनों बेटियों सहित पूरे परिवार को अपनी सारी सफलताओं का श्रेय देना चाहूंगी, क्योकि यदि मेरे परिवार ने मेरा साथ नहीं दिया होता तो मैं कुछ भी नहीं कर पाती।

आप अपने मन की कुछ बात कहना चाहती हैं?

हां, जरूर कहना चाहती हूं , मैं एक बेहद परम्परागत मारवाड़ी परिवार की बहू हूं। मैंने अपने परिवार में यह बात बताई कि मुझे मिसेज इंडिया में जाना है, खुद को साबित करना है। ऐसे प्रस्ताव को सहज स्वीकार करना आसान नहीं होता लेकिन मेरे परिवार ने मेरा साथ दिया, मेरी दोनों बेटियों ने सबसे ज्यादा सपोर्ट किया। मेरी बेटियों ने फॉर्म प्रस्तुत किया, मेरे ऑडिशन में भी मेरी बेटियां मेरे साथ जाती थीं। इसके पूर्व मेरी मां ने आगे बढ़ने की प्रेरणा दी और मुझे प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा था कि जब तुम कुछ बनेगी तभी तो समाज के लिए कुछ कर पाओगी।

इसके बाद जब मैं मिसेज इंडिया में गई तब वहां भी ’बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ पर मैंने काम किया था। जिससे प्रभावित होकर मारवाड़ी समाजने मुझे ’प्राइड ऑफ़ मारवाड़ी’ अवार्ड से नवाजा। जिस समाज में हम रहते हैं, उस समाज द्वारा पुरस्कार देकर सम्मानित करना बड़ी बात है। समाज के लिए किए मेरे उल्लेखनीय कार्यो को देखते हुए दिल्ली सरकार ने  मुझे ’समाज रत्न ’ पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके अलावा नेपाल से भी मुझे अवार्ड देकर सम्मानित किया गया। यह मेरे लिए गर्व की बात है। जब कोई इस तरह का सम्बोधन करता है कि देखो मिसेज इंडिया आ रही है, मिसेज एशिया आ रही है, तब बेहद अच्छा लगता है और महसूस होता है कि हमारी मेहनत रंग लाई।

आप ग्लैमरस वर्ल्ड में नहीं जाना चाहती हैं तो भविष्य की आपकी क्या विशेष योजनाएं हैं?

भविष्य की योजनाओं में हमारी ’चिंगारी शक्ति फाउंडेशन’ नामक संस्था केे अंतर्गत प्रधानमंत्री श्री मोदी जी की ’बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ योजनाओं पर काम करने के साथ ही विशेषः रूप से छोटी बच्चियों के लिए शिक्षा, सेल्फ डिफेन्स पर जोर देंगे। स्कूल-कॉलेज, सोसायटी एवं बिल्डिंगों में जाकर जन जागरण करेंगे और इसके साथ ही सेल्फ डिफेन्स का प्रशिक्षण देंगे। हम सरकार से अपील करेंगे कि सेल्फ डिफेन्स को हमारे पाठ्यक्रम में शामिल किया जाए, जिससे लोगों में अपनी सुरक्षा को लेकर जागरूकता आए।

पारम्परिक परिवार की महिलाएं यदि सौंदर्य प्रतियोगिताओं में भाग लेना चाहती हो तो उनके लिए आपकी क्या सलाह है?

किसी भी प्रतियोगिता में शामिल होने के पूर्व आपके परिवार का आपके साथ होना बेहद जरूरी है। परिवार के सहयोग के बिना आगे बढ़ना बहुत मुश्किल होता है। इसलिए मेरी ये सलाह है कि सबसे पहले अपने परिवार के बीच में अपनी बात पूरी स्पष्ट तरीके से रखिए और उसके पीछे आपकी सोच, निष्ठा एवं मंशा जाहिर कीजिए। यदि आपने सही ढंग से अपनी सोच प्रदर्शित कर दी तो सभी लोग सहर्ष आपके प्रस्ताव को स्वीकार कर लेंगे। इसके बाद आप पूरे आत्मविश्वास व निर्भयता से अपने लक्ष्य की ओर सहजता से अग्रसर हो सकती है और सफलता हासिल कर सकती है।

90 के दशक से अब तक जितनी भी मॉडलों ने प्रतियोगिताओं में ख़िताब जीता है, उनमे से किसे आप सबसे अधिक पसंद करती हैं और क्यों?

मैं स्वयं को बेहद ज्यादा पसंद करती हूं, क्योंकि जितनी चुनौतियों और संघर्षों को पार करते हुए मैंने ख़िताब जीता है, यह कोई मामूली बात नहीं है। पहले मेरा वजन 95 किलो था, अपनी कड़ी मेहनत से 55 किलो पर लाना और उसे बनाए करना इतना आसान नहीं होता। सच में बहुत ही मुश्किल पड़ावों से गुजर कर कड़ी मेहनत के बूते मैंने यह सफलता अर्जित की है। इसलिए सर्वप्रथम मैं खुद को ज्यादा पसंद करती हूं। हां, इसके बाद किसी को पसंद करती हूं तो वे हैं ऐश्वर्या राय बच्चन। अपने निजी जीवन व पेशेवर जीवन में सामंजस्य बिठाकर ऐश्वर्या जी जिस तरह काम करती हैं, वह काबिलेतारीफ है। वह घर में खाना भी बनाती है और घर के सारे काम करने के साथ ही अपने पेशेवर काम को भी महत्त्व देती हैं। मेरी नजरो में वे आदर्श बहू (महिला) हैं। इसलिए मैंने उन्हें भी पसंद करती हूं।

आप अपने शरीर को बनाए रखने के लिए क्या करती है और आपका डाइट प्लान क्या है?

मैं अपने स्वास्थ्य का बेहद ध्यान रखतीं हूं। बॉडी को चुस्त व तंदुरुस्त रखने के लिए ध्यान, योग और जिम में व्यायाम करती हूं। मेरे भोजन में स्वास्थ्यकर पदार्थ शामिल हैं। विटामिन व पोषक तत्त्वों से भरपूर हरी सब्जियां, पनीर, दूध और फलों का सेवन करती हूं। थोड़ी -थोड़ी मात्रा में ही मैं नाश्ता एवं भोजन करती हूं। मेरा पूरा प्रयास होता है कि मैं अपने आप को चुस्त रखूं।

अन्य क्षेत्रों में भी क्या आपकी कुछ गतिविधिया हैं?

हां, कुछ जिम्मेदारियों के चलते अन्य क्षेत्रों में भी कुछ गतिविधियां जारी हैं। अभी हाल ही में 6 माह पूर्व मुझे दिल्ली से एशियन स्पोर्ट्स कौंसिल ऑफ़ इंडिया का ब्रांड एम्बेस्डर बनाया गया है। इसके अलावा वीडीआईएस स्पेशल स्कूल तथा एसिड अटैक विक्टिम का भी मुझे ब्रैंड एम्बेस्डर बनाया गया है। जिसके चलते उनके सभी कार्यक्रमों की जिम्मेदारी मुझ पर ही है। सारे कार्यक्रमों की रूपरेखा तैयार करना और कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए मैं अपना पूरा योगदान देती हूं।

साइज झीरो के बारे में आपके विचार क्या है?

मैं साइज ज़ीरो को जरूरी नहीं मानती। मेरा ऐसा मानना है कि आपको दिल, दिमाग एवं स्वास्थ्य से मजबूत होना चाहिए। कुछ लोग साइज ज़ीरो के चक्कर में अपनी सेहत के साथ अन्याय करते हैं, जिससे उनकी सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के सौंदर्य प्रसाधनों को भारतीय बाजार में उतारने के लिए भारतीय महिलाओ को प्रतियोगिताओं में पुरुस्कृत किया गया, ऐसी बातों में कितनी सच्चाई है और इस पर आपकी क्या राय है?

इस तरह की बातें कही जाती रही हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि इसमें कोई सच्चाई है। ये सारी बातें बकवास है। मेरा ऐसा मानना है कि भारतीय महिलाओं ने अपनी करिश्माई आकर्षक सुंदरता और काबिलियत से सारे पुरस्कार जीते हैं।

महिलाओं के पहनावे को लेकर कॉलेज, कार्यालय या अन्य जगह पर ‘कोड ऑफ कंडक्ट’ बनाना कितना उचित है?

मैं इसे सही नहीं मानती। पुरुषों को अपनी सोच में बदलाव लाना चाहिए। हमारा समाज भले पुरुष प्रधान है लेकिन समय के अनुसार बदलाव की आवश्यकता है। महिलाओं के परिधान को लेकर पाबंदियों और टीका -टिप्पणी बंद होनी चाहिए। महिलाओं के कपड़ों से उसे जज मत कीजिये। यह हमारी सोच पर निर्भर करता है कि हम किस नजरिये से उसे देखते है। हमारे समाज को इस मामले में पहल करनी चाहिए।

सौंदर्य प्रतियोगिताओं में पहले से अब में कितना बदलाव आया है?

पहले की प्रतियोगिताओ में सिर्फ सुंदरता देखी जाती थी लेकिन आज के समय ग्लैमर से ज्यादा ’जागरूकता अभियान’ को महत्व दिया जा रहा है जैसे कि मिसेज इंडिया में ’सेव द गर्ल चाइल्ड’, मिसेज एशिया में ’नो डोमेस्टिक वाइलेंस’ और मिसेज यूनिवर्स में ’नो जेंडर डिस्क्रमनेशन’ आदि विषयों को लेकर जागरूकता फैलाई जा रही है। ख़ुशी की बात है कि अब सौंदर्य प्रतियोगिताओं के मंचों से भी सामाजिक बुराइओं को दूर करने हेतु जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। यह एक बड़ा बदलाव दिखाई दे रहा है।

प्रतियोगिता में भाग लेने के दौरान ऐसी किसी ख़ास बात का जिक्र करना चाहेंगी जो आपको सबसे अच्छी लगी?

जी हां, ऐसी एक खास बात का जिक्र जरूर करना चाहूंगी, जिसने मुझे खूब रोमांचित किया। प्रतियोगिता में देश-विदेश के मॉडलों ने हिस्सा लिया था। विदेशियों को भारतीय संस्कृति -संस्कार के बारे में कुछ पता नहीं था। तब मैंने उन्हें बताया कि शादीशुदा भारतीय महिलाएं अनिवार्य रूप से माथे पर ’बिंदिया’ लगाती है। इसे सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। यह जानने के बाद विदेशी महिलाओं की उत्सुकता बढ़ने लगी एवं वे मेरे काफी करीब आ गईं और वे सभी मुझ से बेहद प्रभावित हुईं। इसके बाद वे सभी मुझे सम्मान की नजर से देखने लगीं। जहां कही भी वे लोग मिलते तो ’भारत माता की जय’ बोल कर मेरा अभिवादन करते थे। यह सब मुझे बहुत अच्छा लगता था। मैंने सभी को ’बिंदी’ दी, जिसे लेकर सभी बेहद खुश थीं। मैं अक्सर साड़ी पहनती थी और बिंदिया लगाती थी, जिसे देख कर उन्होंने भी बिंदिया लगाना शुरू किया। यह प्रसंग मुझे बेहद अच्छा लगता है और मुझे सदैव याद आता रहेगा।

भारतीय महिलाओं के प्रति आपकी क्या सोच है और आप ’हिंदी विवेक’ की महिला पाठकों को क्या संदेश देंगी?

मेरे अब तक के अनुभव के आधार पर कह सकती हूं कि भारतीय महिलाएं अपने-आप को बेहद कम आंकती हैं, स्वयं को कमजोर मानती हैं। इसलिए उन्हें मेरी यह सलाह है कि आप किसी से कम नहीं हैं। स्वयं को कमजोर मानना छोड़ दें और स्वयं को किसी से कमजोर न समझें। यदि आपने अपनी सोच बड़ी कर ली तो आप दुनिया में कुछ भी कर सकती हैं; क्योकि आपमें अपार अनंत शक्ति सामर्थ्य व प्रतिभा विद्यमान है। मुझे देखिए, मैं भी आपकी ही तरह एक सामान्य घर से हूं। बावजूद इसके दो बार इंटरनेशनल प्लेटफॉर्म में खड़ी हुई, तो आप क्यों नहीं कर सकती? हम सभी में टेलेंट है। हम सभी को मिलकर समाज में एक बड़ा बदलाव लाने का संकल्प लेकर आगे बढ़ना चाहिए।

This Post Has One Comment

  1. हरीओम राजपुरोहित

    गर्व है हमे आप पर पिनकी जी , काश आप जैसी सोच सभी माडल हो ।

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