| युवाओं के लिए वार्षिक योजना स्पष्टता, ध्यान एवं नियंत्रण प्रदान करती है। यह केवल एक सूची नहीं है अपितु यह आपके भविष्य को सक्रिय रूप से आकार देने का एक कार्य है। समय-समय पर अपने कार्यों की समीक्षा करते रहें। |
किसी भी व्यक्ति, विशेषकर युवाओं के लिए सफलता प्राप्त करने के लिए वार्षिक योजना बनाना अत्यंत आवश्यक है। इससे उन्हें अपने स्वप्न को साकार करने एवं अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए एक रोडमैप तैयार करने में सुविधा होती है, किंतु वार्षिक योजना कैसे बनाएं, यह पश्न उठता है। इसका सरल उत्तर है कि अपने लक्ष्यों के अनुसार वार्षिक योजना बनानी चाहिए।
आत्म-मूल्यांकन और चिंतन
सर्वप्रथम आत्म-मूल्यांकन और चिंतन करें अर्थात पिछले वर्ष का मूल्यांकन करें और अपनी वर्तमान स्थिति को समझें। पिछले वर्ष आपका लक्ष्य क्या था? आपने पिछले वर्ष क्या प्राप्त किया? क्या कार्य किया? उन अनुभवों से क्या महत्वपूर्ण पाठ सीखा? आप कहां विफल हुए? कौन सी चुनौतियां सामने आईं? उन असफलताओं का कारण क्या था? आपने अपना समय सबसे अधिक किन गतिविधियों में व्यतीत किया? आपको सबसे अधिक प्रसन्नता अथवा कष्ट किससे मिला? इस विषय में आपने क्या कार्य किया? आपको किस ज्ञान के अभाव की अनुभूति हुई? आपने कौन से नए कौशल विकसित किए?
जीवन के प्रमुख क्षेत्र
अपने जीवन के प्रमुख क्षेत्रों का भी मूल्यांकन करें। इन क्षेत्रों में संतुलन बनाए रखना समग्र सफलता के लिए अत्यंत आवश्यक है। आप अपने व्यावसायिक विकास के किस चरण में हैं? आपको आगे बढ़ने के लिए कितने श्रम एवं योग्यता की आवश्यकता है? इस क्षेत्र में आपने क्या नया किया? व्यक्तिगत विकास की बात करें तो आपने क्या प्रगति की? आपका शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य कैसा है? सफलता के लिए शरीर एवं मस्तिष्क का स्वस्थ होना आवश्यक है। आपकी आर्थिक स्थिति कैसी है? बचत, निवेश एवं ऋण की स्थिति क्या है? आपके अपने परिवार एवं मित्रों के साथ सम्बंध कैसे हैं? इन सम्बंधों का भी व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए यदि सम्बंध मधुर न हों तो उन्हें सुधारने का प्रयास करना चाहिए। आपकी रुचि किन विषयों में है? यदि व्यक्ति अपनी ही रुचि के क्षेत्र में होता है तो उसे दोहरा लाभ प्राप्त होता है। उसे धन की प्राप्ति भी होती है और उसका समय भी उत्तम प्रकार से व्यतीत हो जाता है।
दीर्घकालिक दृष्टि
आपकी दीर्घकालिक दृष्टि और लक्ष्य निर्धारण का होना भी आवश्यक है। वार्षिक योजना सदैव एक बड़े संदर्भ का भाग होनी चाहिए। आप योजना एक वर्ष की बनाएं, परंतु आपकी दीर्घकालिक दृष्टि होनी चाहिए कि आप स्वयं को 5, 10 अथवा 20 वर्ष पश्चात् कहां देखना चाहते हैं। यही दीर्घकालिक दृष्टि आपकी वार्षिक योजना को दिशा देगी।
अपनी दृष्टि स्पष्ट करें
अपनी कल्पना का उपयोग करें। यदि सब कुछ ठीक चला, तो 5 वर्ष पश्चात् आपका जीवन कैसा दिखेगा? इसे एक डायरी में लिखें। आपकी वार्षिक योजना के लक्ष्य स्पष्ट होने चाहिए। यह सुनिश्चित करता है कि आपके लक्ष्य स्पष्ट, मापने योग्य और प्राप्त करने योग्य हैं। लक्ष्य स्पष्ट रूप से परिभाषित होना चाहिए, जैसे पूर्व से उत्तम करना है। पिछली बार जो कमी रह गई, वह इस बार नहीं होनी चाहिए। लक्ष्य यथार्थवादी और प्राप्त करने योग्य होना चाहिए। लक्ष्य आपके दीर्घकालिक दृष्टिकोण और मूल्यों के अनुरूप होना चाहिए। लक्ष्य पूरा करने के लिए एक निश्चित समय-सीमा होनी चाहिए, जैसे आगामी 6 महीने। उदाहरण के लिए आपको इतना कार्य करना है, इतना धन अर्जित करना है, इतना निवेश करना है, इतनी बचत करनी है, यह कोर्स करना है एवं इतनी पुस्तकें पढ़नी हैं आदि।

बड़े लक्ष्य प्राप्त करने के लिए दीर्घकालिक योजना की समय-समय पर समीक्षा करनी चाहिए। उदाहरण के लिए वार्षिक योजना की प्रति महीने समीक्षा करनी चाहिए। इससे ज्ञात होता रहेगा कि कार्य उचित प्रकार हो रहा है अथवा नहीं। एक बार जब आपके वार्षिक लक्ष्य निर्धारित हो जाते हैं तो आपको उन्हें छोटे, प्रबंधनीय चरणों में विभाजित करने की आवश्यकता होती है। उदाहरण के लिए आपको वर्ष में 36 हजार रुपये की बचत करनी है तो एक महीने में 3 हजार रुपये बचाने होंगे। किसी कारणवश किसी महीने में कम बचत रही तो इसे आगामी महीने में पूर्ण करने के लिए अधिक रुपये जुटाने होंगे। जीवन में ऊपर-नीचे होता रहता है। इस लक्ष्य को 4 भागों में विभाजित किया जा सकता है, जैसे वार्षिक लक्ष्यों को त्रैमासिक लक्ष्यों में और त्रैमासिक लक्ष्यों को मासिक कार्यों में विभाजित करना उचित होगा।
स्मरण रहे कि सफलता मासिक अथवा वार्षिक प्रयासों से नहीं अपितु दैनिक कार्यों के संचय से प्राप्त होती है। इसलिए अपनी मासिक प्राथमिकताओं को दैनिक सूची में रखें।
बाधाओं का अनुमान लगाएं
योजना बनाते समय उन सम्भावित बाधाओं के बारे में भी सोचें, जो आपकी प्रगति को बाधित कर सकती हैं। उनके लिए आकस्मिक योजनाएं बनाएं। उदाहरण के लिए कार्य के दबाव के कारण अध्ययन के लिए समय नहीं मिल रहा है। यदि कार्य का दबाव आता है तो प्रातःकाल अथवा देर रात्रि का समय अध्ययन के लिए आरक्षित करें। इस बात का ध्यान रखें कि आपकी नींद भी पूरी हो जाए और अध्ययन भी ठीक प्रकार से हो। इसलिए समय प्रबंधन का ध्यान रखें। यदि आवश्यक न हो तो कार्य को आगे के लिए न टालें। आपकी योजना को सफल बनाने के लिए उत्पादकता और निरंतरता अत्यंत आवश्यक है।
अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्राथमिकता का निर्धारण करें। जो कार्य महत्वपूर्ण और अति आवश्यक हों, उन्हें तुरंत करें। जो कार्य महत्वपूर्ण तो हैं, परंतु आवश्यक नहीं हैं, उनके लिए योजना बनाएं। जो कार्य न महत्वपूर्ण हैं और न आवश्यक हैं, उन्हें अपनी सूची से तुरंत हटा दें। उल्लेखनीय है कि आपकी सफलता के लक्ष्य प्राय: ’महत्वपूर्ण’ होते हैं, इसलिए इन पर अधिक ध्यान दें।
अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए हड़बड़ी से कार्य न करें अपितु सजगता से विचार करते हुए कार्य करें। प्रत्येक समय कार्य को स्वयं पर हावी न करें। ऐसा करने से तनाव बढ़ जाता है और कार्य ठीक प्रकार से नहीं हो पाता। स्वयं को भी समय दें, अपने परिवार के सदस्यों और मित्रों के साथ भी समय व्यतीत करें। प्रतिस्पर्धा का भाव रखें, परंतु ईर्ष्या से बचें। मन को स्थिर एवं शांत रखें। कार्य में लचीलापन रखें। योजना एक मार्गदर्शिका है, इसे नियम न बनाएं। जीवन अप्रत्याशित है, इसलिए अपनी योजना को आवश्यकतानुसार परिवर्तित करने के लिए तत्पर रहें।
-डॉ. सौरभ मालवीय

