बदलाव की डगर पर पाकिस्तान?
हालांकि पिछले कुछ महीनों से उदारवादी, प्रगतिशील और कट्टरपंथी विरोधी शक्तियां उभर कर सामने आ रही हैं, फिर भी कुल मिलाकर पाकिस्तानी समाज और प्रशासन पर कट्टरपंथी जेहादियों का दबाव बना हुआ है।
हालांकि पिछले कुछ महीनों से उदारवादी, प्रगतिशील और कट्टरपंथी विरोधी शक्तियां उभर कर सामने आ रही हैं, फिर भी कुल मिलाकर पाकिस्तानी समाज और प्रशासन पर कट्टरपंथी जेहादियों का दबाव बना हुआ है।
1947 में जब भारतीय उमहाद्वीप आजाद हुआ और उसके दो टुकडे बनाम भारत और पाकिस्तान विश्व राजनीतिक पटल पर उमर कर आए। उस समय विश्व राजनीति भी स्पष्ट रूप से दो भागों में विभाजित थी।
हामिद कर्जई इस सच्चाई को जानते हैं। इसी लिए वह पाकिस्तान पर संपूर्ण भरोसा नहीं करते हैं। यह बात उन्होंने खुल कर भी कही है। अब देखना है कि अमेरिकी सेना की वापसी के बाद हानिद कर्जई और उनका प्रशासक किस तरह नई चुनौतियों का सायना करता है?
एक बार जब लोग अपने- अपने गली-मुहल्ले, समाज और देश में बदलाव लाने के लिए कटिबद्ध हो जाएंगे, तो उनके सैलाब को बड़े से बड़ा तानाशाह भी नहीं रोक पाएगा। इस्लामी देशों में इस सच्चाई का सबूत मिल गया है।
जुलाई की मनहूस शाम को मुंबई बम धमाकों पर सारे देश की आवाज बनकर भारतीय मुसलमानों और उनके नेताओं ने गहरा शोक जताया।