लक्ष्मी आई मेरे द्वार

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“लक्ष्मी जी मेरी बात सुन कर अपने उल्लू पर सवार होकर अन्तर्धान हो गई और मेरे अंधेरे कमरे में गृहलक्ष्मी दरवाजा खोल कर बोली-“क्या उल्लुओं की तरह पड़े हुए हो? सवेरा हो गया है, अब उठो भी?” मैंने कहा-“जब भी मैं सुनहरे सपने देखता हूं तब तुम पता नहीं बीच…

 लक्ष्मी आई मेरे द्वार

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 ‘‘लक्ष्मी जी मेरी बात सुन कर अपने उल्लू पर सवार होकर अन्तर्धान हो गई और मेरे अंधेरे कमरे में गृहलक्ष्मी दरवाजा खोल कर बोली-‘‘क्या उल्लुओं की तरह पड़े हुए हो? सवेरा हो गया है, अब उठो भी?’’ मैंने कहा-‘‘जब भी मैं सुनहरे सपने देखता हूं तब तुम पता नहीं बीच में क्यों आ धमकती हो? वह बोली- ‘‘निखट्टुओं को तो सपने ही आएंगे ना?’’

बात कुछ भी नहीं थी मगर …..!

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मैं बेबात कुछ नहीं बात होते हुए भी ज्ञानी जी से उलझ गया। ऐसे ज्ञानी आपके इर्द-गिर्द भी होंगे, आप संभलोगे? कृपया ज्ञानी जी की तरह बेबात मुझसे सवाल नहीं उठाएं, मैंने सारे उत्तर इसमें दे दिए हैं।

विरहाकुल लक्ष्मी नंबर एक

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 ‘‘मेरी तो आपसे इस दीपावली के मौके पर यही गुजारिश है कि आप ‘लक्ष्मी नंबर दो’ और ‘गृहलक्ष्मी नंबर दो’ का विचार ही मन में न लाएं और ‘विरहाकुल लक्ष्मी नंबर एक’ को नमन करें, पूजा करें।’’

मखमली शाल

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बहुत दिनों के बाद मेरा गांव जाना हुआ। वहां जाने पर मुझे पता चला कि मेरा लंगोटिया यार पीताम्बर भी आया हुआ है। उसके चाचा का तीन-चार दिन पहले ही देहांत हुआ है।

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