नायक को नायक ही रहने दो – कोई नाम न दो
क्या ये कह देना भर काफी है कि कमर्शियल सिनेमा का काम सिर्फ मनोरंजन है, स्कूली शिक्षा बाँटना नहीं! और...
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मुद्दा ये है कि अब स्त्री को सम्मान सहित उसका बराबरी का स्थान देकर क्या- क्या हासिल हो सकता है।...
सन 1973 में राजेश खन्ना के साथ फ़िल्म 'दाग' से अपने फ़िल्मी करियर की शुरआत करने वाले फ़िल्मी दुनिया के...
“कुछेक गज की साड़ी में कितना कुछ समाया होता है! बचपन में मां का आंचल, बड़े होने पर मां की...
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