पर्यटन क्षेत्रों से समृद्ध महाराष्ट्र

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महाराष्ट्र इतिहास, अध्यात्म एवं संस्कृति से भरापूरा है और पर्यटन के अनोखे अवसर प्रदान करता है। प्रकृति ने इसे खूब सौगात दी है। यहां के समुद्र तट और अरण्य दोनों समान रूप से आकर्षक है। महाराष्ट्र पर्यटन की दृष्टि से बहुत समृद्ध है। परंतु ऐसा लगता है कि जितना आवश्यक है उतनी शासकीय मदद नहीं मिलती या फिर राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण प्रदेश पर्यटन के विकास में पिछड़ रहा है। यहां कई ऐतिहासिक किले हैं, पत्थरों में उकेरी हुई उत्कृष्ट चित्रकारी है, कास पठार जैसे अनेक स्थान हैं जो महाराष्ट्र में ‘वैली

पधारो म्हारे राजस्थान

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 पर्यटन के क्षेत्र में राजस्थान सदैव अग्रसर रहा है| भौगोलिक विविधता, रोमांचकारी- अद्भुत इतिहास, ऐतिहासिक स्थल, प्राकृतिक सुंदरता, वैविध्यपूर्ण संस्कृति के कारण यह पर्यटकों का प्रमुख आकर्षण केन्द्र रहा है|

पूर्वोत्तर की प्राकृतिक छटा

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 पूर्वोत्तर भारत के सात राज्य सप्तभगिनी कहलाते हैं| ये राज्य प्राकृतिक आभा से मनोरम तो हैं ही, अपनी लोक संस्कृति के लिए भी विख्यात हैं| खानपान से लेकर पहनावा तक भिन्नता के कारण पर्यटक बेहद आकर्षित होते हैं|

मनमोहक… केरल व तमिलनाडु

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 दक्षिणी राज्य केरल और तमिलनाडु अपने मनमोहक प्राकृतिक नजारों एवं धार्मिक स्थलों के कारण प्रसिद्ध हैं| वन्य जीवन की विविधता, पहाड़ों की शीतल बयारें और बैक वाटर की सैर को कौन भूल सकता है!

कश्मीर का आध्यात्मिक महत्व

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कश्मीर के आध्यात्मिक महत्व का आरंभ ‘शारदा पीठ’ से होता है| इसका दक्षिण द्वार आद्य श्री शंकराचार्य  ने खोला था| यह ‘शारदा पीठ’ आज पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में है|  यह शारदा पीठ यानी विद्या की देवता ‘सरस्वती माता’ का मंदिर| प्राचीन काल में इस प्रदेश को शारदा देश कहा जाता था|

रोमांचक हृदय स्थली मध्यप्रदेश

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      मध्यप्रदेश भारत के बीचोबीच होने के कारण इसे ‘भारत का हृदय’ कहा जाता है| क्षेत्रफल के हिसाब से यह भारत के दूसरे क्रमांक का राज्य है| कुल ५१ जिले इस राज्य के अंतर्गत आते हैं| मध्यप्रदेश की राजधानी ‘भोपाल’ है|

‘मनभावन पर्यटन’

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हे  विश्‍वची माझे घर’ अर्थात यह विश्‍व ही मेरा घर है यह उक्ति   इस भूतल पर रहने वाले प्रत्येक प्राणी पर लागू होती है| प्रत्येक प्राणी फिर वह चाहे छोटी सी चींटी हो या मानव, एक स्थान से दूसरे स्थान पर भ्रमण करता है| यह उसका स्वाभाविक गुणधर्म है|

 नर्मदा के किनारे बसे गांव

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नर्मदा परिक्रमा करते वक्त उसके किनारे बसे छोटे-छोटे अविकसित गांव और उनके बाशिन्दे सीधे-सरल ग्रामीण दिखाई देते हैं| वे सब नर्मदा-मैया के बालक हैं| जो नर्मदा परिक्रमा करते हैं, उन लोगों को सेवा वे बड़ी श्रध्दा और आत्मीयता से करते हैं| वे मानते हैं कि हम सब नर्मदा-मैया के ही बच्चे हैं, तीर्थयात्रियों की सेवा यानी नर्मदा मैया की सेवा यानी ईश्‍वर सेवा| जीवन की पाठशाला का इन ग्रामीणों का तत्वज्ञान बहुत उच्च श्रेणी का है|

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