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रोमांचक हृदय स्थली मध्यप्रदेश

रोमांचक हृदय स्थली मध्यप्रदेश

by पूजा बापट
in पर्यावरण, पर्यावरण विशेषांक -२०१७, सामाजिक
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मध्यप्रदेश भारत के बीचोबीच होने के कारण इसे ‘भारत का हृदय’ कहा जाता है| क्षेत्रफल के हिसाब से यह भारत के दूसरे क्रमांक का राज्य है| कुल ५१ जिले इस राज्य के अंतर्गत आते हैं| मध्यप्रदेश की राजधानी ‘भोपाल’ है|

पर्यटन के शौकीनों को राज्य का आकर्षण है| यह राज्य विविध प्रकार से पर्यटकों का मनोरंजन करता है| प्रकृति ने भी भारतवर्ष के ‘दिल’ को सुंदरता प्रदान की है| प्रत्यक्ष भगवान शंकर ‘महादेव’ इस राज्य में रह चुके हैं| प्रकृति के विविध रंग इस राज्य में देखने को मिलते हैं| कहीं पर अभयारण्य, कहीं पहाड़ियां, विविध राजमहल, किले, सुंदर हवेलियां, महादेव की सुपुत्री नर्मदा नदी का उगम इसी राज्य में हुआ है|

इस पवित्र नदी के उद्गम स्थान अमरकंटक में, विंध्य पर्वत का बेटा ‘मैकल’ पर्वत है| यह सब से अद्भुत वरदान भगवान शंकर ने मध्य प्रदेश को दिया है| इस शिवकन्या की कृपा मध्य प्रदेश को प्राप्त है, उसकी कृपादृष्टि इस राज्य पर बनी हुई है| जिसके कारण यह राज्य सदाबहार और खुशकिस्मत लोगों से भरपूर है|

मध्य प्रदेश जनता बड़ी हंसमुख, खुश और संतोष – प्रवृत्ति लिए हुए हैं| ६०% नर्मदा मध्यप्रदेश से ही बहती है| उसके किनारे के सारे गांव,जिले, सूबे सुजलाम् सुखलाम् हैं| नदी ने उनको सुंदरता दी है| हंसते-खेलते हुए नर्मदा इस राज्य से बहती है|

जैसे किसी महायोगी को हम कहते हैं कि वह ती बड़ा विशाल-हृदयी है; उसी तरह इस राज्य में रहने वाले लोग विशाल-हृदयी है, दिलदार हैं|

मध्यप्रदेश के इतिहास को देखें तो यहां पर मौर्य राज्य रहा| इनके इतिहास का गवाह बने हुए कई शहर आज पर्यटकों यह आकर्षण का केंद्र है| १,००,००० वर्ष पूर्व की एक जगह जो भोपाल शहर से कुछ ही किलोमीटर की दूरी पर है वह है ‘भीमबेटका’| यह पुरातन स्थल ‘विश्‍व विरासत स्थल’ माना जाता है| यह स्थल मध्यप्रदेश के ‘रायसेन’ जिले में है| यहां पर बहुत बड़ी-बड़ी गुफाएं हैं| इन गुफाओं की दीवारों पर आदिमानव संस्कृति के अवशेष देखने को मिलते हैं| शायद १ लाख साल पूर्व मानव की यह रहने की जगह होगी|  प्रस्तर पर  खुदे चित्रों से उस काल के रहन-सहन का प्रदर्शन किया गया है| उस कालखंड के पशु, स्त्रियों के वस्त्र, आभूषण, पुरुषों के शस्त्र, युध्दकला सब का लेखा-जोखा दीवार पर खुदे चित्रों से जाहिर होता है|

‘इंदौर’ भी मध्यप्रदेश का ऐतिहासिक महत्व प्राप्त शहर है| इस शहर का इतिहास बड़ा पुराना है| पहले बाजीराव के साथ मराठा सरदार जब उत्तर विजय प्राप्त कर आए, तब मालवा प्रांत के ‘इंदौर’ शहर की जागीर उन्होंने मल्हारराव होलकर को दी थी| तत्पश्‍चात मल्हारराव होलकर का बेटा खंडेराव होलकर युध्द में मारा गया| उनकी पत्नी अहिल्याबाई होलकर ने राजपाट संभाला| उन्होंने इतना उत्कृष्ट काम किया कि हर स्त्री उन पर गर्व कर सकती है| ‘श्रेष्ठ शासक’ के नाम से वे विख्यात हैं| अहिल्याबाई ने नर्मदा तट पर कई घाट बनाए| उसमें महेश्‍वर घाट और होशंगाबाद का सेठानी घाट देखने लायक है| महेश्‍वर का किला तो सारे मध्यप्रदेश की शान है|

मध्यप्रदेश की चर्चा करते समय ‘ग्वालियर’ का उल्लेख करना ही होगा| सन १९४८ से १९५६ तक यह शहर मध्यभारत की राजधानी था| जैसे होलकर खानदान वैसे ही मराठा वतनदार शिंदे| राणाजी शिंदे के खानदान ने ग्वालियर पर वर्चस्व प्रस्थापित किया|

तीन एकड़ की भूमि पर ग्वालियर का किला बना है| इस किले को देखने हेतु पूरी दुनिया से पर्यटक आते हैं| ग्वालियर में कई ऐतिहासिक भवन, स्मारक, किले, महल देखना यात्रियों का सुंदर अवसर है| उनमें से ‘जयविलास भवन’ अत्यंत सुंदर और आकर्षक है| मध्यप्रदेश में भगवान शिवशंकर ने स्वयं अपने स्थान निर्माण किए हैं| वे हैं क्षिप्रा नदी के किनारे बसा उजैन का ‘महांकालेश्‍वर’ और नर्मदा किनारे बसा ‘ओंकारेश्‍वर’| बारह ज्योतिर्लिंगों में से उपरोक्त दो शिवलिंग इस राज्य में विराजमान हैं|

कई साधु-संतों ने इस राज्य पर अपनी आध्यात्मिक छाप छोड़ी| आद्य शंकराचार्य ने जिस जगह पर तीन दिन अपनी देह सुरक्षित रख कर परकाया प्रवेश किया, मंडल मिश्र और उसकी पत्नी को हराया वह स्थल है ‘गुप्त महादेव मंदिर’| यहां गोंदवलेकर महाराज, टेंबे स्वमी महाराज जैसे संतों ने तप किया| तात्पर्य यह कि मध्यप्रदेश इतिहास, विज्ञान और अध्यात्म का त्रिवेणी संगम है|

प्राकृतिक सुषमा का वरदहस्त प्राप्त इस राज्य को विंध्य, सतपुड़ा, मैकल पवतों ने घेरा है| मध्यप्रदेश में कई घने जंगल हैं, अभयारण्य हैं| भारत के सर्वाधिक शेर यही मौजूद हैं| इसलिए यह राज्य ‘टायगर स्टेट’ के नाम से भी जाना जाता है| पशु-प्रेमी, पक्षी प्रेमी, प्रकृति प्रेमी, जगंल प्रेमी यात्रियों के लिए मध्यप्रदेश में घूमना चुनौती भरा है| कान्हा राष्ट्रीय उद्यान भारत का महत्वपूर्व राष्ट्रीय उद्यान हैं| बड़े पैमाने पर यहां ‘व्याघ्र-परियोजना’ चलाई जाती है| यह ‘व्याघ्र-परियोजना’ सर्वाधिक सफल हुई है|

मध्यप्रदेश का ‘खजुराहो’ शहर वास्तुकला के लिए मशहूर है| देश-विदेश के  पर्यटक इस स्थान को भेंट देने के लिए उत्सुक रहते हैं| यहां के शिल्प पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र है| केन नदी के दाहिने किनारे पर खजुराहो-सागर नामक तालाब के किनारे यह शहर बसा है|

मध्यप्रदेश सतपुडा पर्वत की शृंखला में ‘पचमढ़ी‘ है| यह पर्वतीय स्थल है| यात्रियों, झुआलॉजी के छात्रों, बोटॅनी के छात्रों आदि के लिए यहां प्रकृति का अविष्कार है| यहां घना जंगल, विविध वृक्ष, पौधे, उनकी प्रजातियां देखने को मिलती हैं| तीन-चार दिन पर्यटन हो सकता है| पैदल, छोटी गाड़ी लेकर, जीप से  अनेक स्थल घूमने जा सकते हैं| पचमढ़ी पर्वतों की रानी है|

मध्यप्रदेश राज्य के अनेक पर्यटन स्थल पक्षियों को लुभाते हैं| अविरत बहने वाली नर्मदा नदी किनारे के अनुभव प्राप्त करने, महादेव भगवान की छाया प्राप्त करने, बाघों के अभयारण्यों को भेंट देने, अनेक वास्तु कला और आविष्कार देखने मध्यप्रदेश आइये, जो कि ‘भारत का दिल’ है|

मध्यप्रदेश ५१ जिले हैं, उनमें के एक है ‘जबलपुर’ जो सारी दुनिया में विख्यात है| इस शहर को ‘संस्कारधानी’ कहते हैं| इस शहर में बाईस किलोमीटर की दूरी पर है ‘भेडाद्याट’| यह नर्मदा किनारे बसा छोटा शहर है| यहां के ‘मार्बल रॉक्स’ सारे विश्‍व का आकर्षण है| यहां के विविध रंगां ेवाले सफेद, पीले, हरे, लाल जैसे मार्बल रॉक्स यानी संगमरमर के पहाड़ यहां की पहचान है| इन संगमरमर के पहाड़ों के बीच  बोटिंग करना सुखद अनुभव है| गाईड इसका वर्णन हंसते-खेलते करते हैं, यात्री खुश होते हैं| प्रकृति ने इन्हें-इन पहाडों को- कई आकारों में गढ़ा है| कहीं पर हाती की सूंड जैसा, कहीं पर शिवलिंग जैसा, कहीं पर बंदर जैसा तो कहीं कछुए जैसा, कहीं-प्रेमी युगुल के समान- यह रूप देखने में बड़ा मजा आता है| कई हिंदी फिल्मों की शूटिंग यहां हुई है| हाल ही में प्रदर्शित ‘मोहेंजोदडो‘ फिल्म की शूटिंग भी यहीं हुई है| इसके अलावा भेडाघाट का पुरातन काल का ‘चौंसठ योगिनी मंदिर’ भी भेट देखने योग्य है|

मध्यप्रदेश के अभयारण्यों में भटकने वाले पशु प्रेमियों के लिए भी कई जगहें  हैं| बारह मास यहां घूमा जा सकता है| ये पाकर्स हैं – पेंच राष्ट्रीय उद्यान, कान्हा राष्ट्रीय उद्यान, पन्ना राष्ट्रीय उद्यान| मध्यप्रदेश खाने के शौकीनों के लिए भी उत्तम हैं| इंदौर शहर के छप्पन बाजार में छप्पन भोग (व्यजन) मिलते हैं| आप इसे ‘खाऊ गली‘ भी कह सकते हैं|

यह शहर ‘रतलामी सेव के लिए मशहूर है| देश की मध्यस्थलीह मध्यप्रदेश राज्य के उत्तर-पश्‍चिमी दिशा में राजस्थान राज्य है| उत्तर की ओर उत्तर प्रदेश राज्य है| पूर्व की ओर छत्तीसगढ़ राज्य है, दक्षिण की ओर महाराष्ट्र है| पश्‍चिम की ओर गुजरात है|

सब से बड़ा शहर इंदौर है तो जबलपुर यह राज्य का सब से महत्वपूर्ण व्यावसायिक केंद्र है| भारत की ४०% आदिवासी जनता मध्यप्रदेश राज्य में है| यहां पर गोंड, भील,बंजारा जैसी विविध जनजातियां के यहां का टेक्सटाइल महत्वपूर्ण है| यहां की हैण्डलूम, चंदेरी, महेश्‍वरी साड़ियां, खवैयों के लिए कई मिठाइयां, रतलामी सेव, अलग-अलग फरसाण प्रसिद्ध है|

कुल मिला कर मध्यप्रदेश की यात्रा मनोरंजक एवं संस्मरणीय होगी|

 

Tags: biodivercityecofriendlyforestgogreenhindi vivekhindi vivek magazinehomesaveearthtraveltravelblogtravelblogger

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