देश की संस्कृति और बाबासाहब

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 बाबासाहब आंबेडकरने लाखों अनुयायियों के साथ बौद्ध पंथ अपनाया तब वीर सावरकर ने वक्तव्य दिया - ‘‘आंबेडकर का पंथान्तर, हिंदू धर्म में विश्वासपूर्वक ली गई छलांग है। बौद्ध आंबेडकर, हिंदू आंबेडकर ही हैं। आंबेडकर ने एक अव

समरस समाज और राष्ट्रीय सुरक्षा

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देश को मजबूती से खड़ा होना है, तो समाज को समरस होना होगा। सौभाग्य से हमारी संस्कृति के मूल चिंतन में ऐसा करने की क्षमता है। ये लड़ाई वैचारिक भी है, और कर्म की भी है। ये हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा का एक महत्वपूर्ण आयाम है, ये स

वैश्विक पटल पर नए भारत का उदय

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इक्कीसवीं सदी के प्रारंभिक वर्षों में भारत की अपार आर्थिक संभावनाओं की चर्चा प्रारंभ हुई, परंतु विदेश नीति और कूटनीति के क्षेत्र में हमारी क्षमताओं का विषय प्राय: चर्चाओं से अछूता ही रहा। 26 मई 2014 को नई भारतीय कूटनीति का आगाज हुआ है, जो इच्छाशक्ति के साथ भारतीय हितों को आगे बढ़ाने को प्रतिबद्ध तो है ही, साथ ही क्षेत्रीय शक्ति बनने की महती आकांक्षा से भी प्रेरित है। नरेंद्र मोदी सरकार की विदेश नीति से इस बात के संकेत मिलते हैं।

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