अंधेरे पर उजाले की जीत

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देश भर मे केरल ही ऐसा प्रदेश था, जहां पहले दिवाली नहीं मनाई जाती थी, क्योंकि मान्यता है कि बलि राजा केरल का था और विष्णु ने वामन अवतार लेकर उसका नाश किया था। लेकिन अब सबकुछ बदल चुका है। वहां भी घर-आंगन दीयों से सजे दिखाई देते हैं।

मानवीय अतिक्रमण से जंगलों को हानि

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जो ‘जंगलधन’ चला गया है उस पर अफसोस करने से कोई लाभ नहीं होगा| नया जंगल पनपे इसलिए अपनी ओर से पौंधे लगाना शुरू कर दें| इससे फिर जंगल पनपेंगे| हमें ‘पौधा लगाओ, हरियाली बचाओ’ नारे पर अमल करना होगा| पर्यावरण की रक्षा में यह अहम् भूमिका अदा करेगा|

रोशनी की तलाश

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उ त्तम मातृभक्त तो था ही, भगवान के प्रति भी उसकी बहुत आस्था थी| वह हर वर्ष गणेश चतुर्थी के समय अपने गांव गणपतीपुले के पुश्तैनी घर में पूरे विधि-विधान के साथ श्रीगणेशजी की स्थापना करता और दस दिन तक श्री गणेशजी की पूजा, आरती, भजन- कीर्तन, और सेवा में लगा रहता| वह सबके साथ मिलजुलकर रहना पसंद करता था|

 रोशनी  की  तलाश

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 दोनों की रोशनी की तलाश खत्म हुई और जगमगाते उजाले लेकर दीवाली की वह रात आई जिसका न जाने कब से उनको इंतजार था|

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