वैक्सीनेशन की सुस्त रफ़्तार

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इस परिस्थिति से कैसे निपटा जाये और इसका सबसे सटीक जवाब है सभी का जल्द से जल्द वैक्सीनेशन लेकिन वर्तमान हालत को देखते हुए देश में टीकाकरण की प्रगति संतोषजनक नहीं है, कई राज्यों में वैक्सीन की कमी हैं। कोरोना को रोकने के लिए वैक्सीनेशन है सबसे बड़ा हथियार, लेकिन वैक्सीन की किल्लत चुनौती बन गई है।

वैक्सीन की कमी या राजनीति?

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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने वैक्सीन की कमी के इन दावों को पूरी तरह नकार दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्य और नेता जनस्वास्थ्य जैसे मुद्दे के राजनीतिकरण में लगे हैं और वैक्सीन की कमी जैसी बातें कहकर बेवज़ह लोगों में घबराहट फैला रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र जैसे राज्यों पर वैक्सीन को लेकर ‘मिसमैनेजमेंट’ और ‘मनमानी’ का आरोप लगाया।

कोरोना के खिलाफ लड़ाई निर्णायक दौर में

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निर्धारित प्रोटोकॉल के अनुसार सबसे पहले कोविड 19 वैक्सीन हेल्थकेयर कर्मियों यानी डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिक्स और स्वास्थ्य से जुड़े लोगो को दी जाएगी। सभी सरकारी और प्राइवेट हॉस्पिटल को मिलाकर इनकी संख्या 80 लाख से एक करोड़ बताई जा रही है।

कोरोना वैक्सीन पर एकाधिकार की कोशिश

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अमीर देश कोरोना की दवा या वैक्सीन पर अपने इंटिलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स नहीं छोड़ना चाहते। इससे उन्हें कोई मतलब नहीं कि मानवता को रोज कोरोना थोड़ा-थोड़ा कर लील रहा है। उन्हें अपने मुनाफे से मतलब है। न्यूज एजेंसी राइटर्स के मुताबिक एक सीक्रेट मीटिंग में अमीर देशों खासकर यूरोपीय यूनियन और अमेरिका ने इंटिलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स छोड़ने के प्रस्ताव का विरोध किया।

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