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कोरोना वैक्सीन पर एकाधिकार की कोशिश

कोरोना वैक्सीन पर एकाधिकार की कोशिश

by शशांक व्दिवेदि
in जनवरी- २०२१, विशेष, सामाजिक, स्वास्थ्य
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अमीर देश कोरोना की दवा या वैक्सीन पर अपने इंटिलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स नहीं छोड़ना चाहते। इससे उन्हें कोई मतलब नहीं कि मानवता को रोज कोरोना थोड़ा-थोड़ा कर लील रहा है। उन्हें अपने मुनाफे से मतलब है। न्यूज एजेंसी राइटर्स के मुताबिक एक सीक्रेट मीटिंग में अमीर देशों खासकर यूरोपीय यूनियन और अमेरिका ने इंटिलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स छोड़ने के प्रस्ताव का विरोध किया।

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच पूरी दुनिया को वैक्सीन का इंतजार है। इन सभी को आसानी से वैक्सीन मुहैया कराना भारत जैसी बड़ी जनसँख्या वाले देश के लिए बड़ी चुनौती है। देश में फाइजर और मॉडर्ना जैसी महंगी वैक्सीन तो तैयार नहीं हो रही, लेकिन जल्द से जल्द भारी मात्रा में वैक्सीन के उत्पादन में इसकी भूमिका अहम होगी। इसकी वजह है कि यहां एस्ट्राजेनेका-ऑक्सफोर्ड की वैक्सीन समेत 8 किफायती वैक्सीन तैयार की जा रही हैं।

असल में दुनियाभर में बेची जाने वाली वैक्सीन का 60% हिस्सा सिर्फ भारत में तैयार किया जाता है। भारत का फार्मा सेक्टर करीब 2।9 लाख करोड़ रुपए का है। पिछले दिनों भारत में ऑस्ट्रेलिया के राजदूत बैरी ओ फैरेल ने भारत में वैक्सीन बना रही कंपनियों का दौरा किया था। उन्होंने कहा था कि सिर्फ भारत के पास ही दुनिया की जरूरतों को पूरी करने लायक वैक्सीन तैयार करने की कैपेसिटी है। दुनिया के दूसरे देशों के राजनयिकों ने भी यह बात कही है।

पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) दुनिया की सबसे बड़ा वैक्सीन मैन्युफैक्चरर है। इसने अब तक एस्ट्राजेनेका के 5 करोड़ डोज स्टॉक कर लिए हैं। फर्म जुलाई तक कोवीशील्ड के 40 करोड़ डोज तैयार करने की तैयारी में है। इसके साथ ही एक साल में 100 करोड़ डोज तैयार करने के लिए यह नई प्रोडक्शन लाइन भी शुरू कर रहा है। फार्मास्यूटिकल पैकेज करने वाली कंपनी स्कॉट काइशा भी भारत में वैक्सीन वायल का प्रोडक्शन बढ़ा रही है। डेनमार्क की पोस्ट कंपनी डीएचएल वैक्सीन को भारत और इसके बाहर पहुंचाने की तैयारियों में जुट गई है। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के सीईओ अदार पूनावाला के मुताबिक, भारत में बड़े पैमाने पर सस्ती वैक्सीन तैयार होगी। ऐसे में दुनिया का कोई भी दूसरा देश महामारी से लड़ने में भारत जितना काम नहीं कर सकेगा। पुणे में इंस्टीट्यूट के कैंपस में हर घंटे एस्ट्राजेनेका की हजारों डोज तैयार की जा रही हैं। इसके बाद इन्हें लो टेम्परेचर और ऊंची छत वाले कमरों में रखा जा रहा है।

भारत ने की वैक्सीन की एडवांस बुकिंग

भारत ने देश में कोरोना के कहर से लोगों को निजात दिलाने के लिए एडवांस में ही बड़ी मात्रा में कोरोना वैक्सीन की डोज की बुकिंग की ओर बड़ा कदम बढ़ाया है। देश के सभी नागरिकों को वैक्सीन उपलब्ध कराने के लिए भारत ने अब तक 160 करोड़ डोज का ऑर्डर दिया है। 30 नवंबर तक के आंकड़ों के अनुसार, कोरोना वैक्सीन की कन्फोर्म डोज के बुकिंग के मामले में भारत दुनियाभर में शीर्ष स्थान पर है। इतना ही नहीं भारत में कोरोना वैक्सीन की खरीद से लेकर भंडारण और वितरण तक का खाका तैयार कर लिया गया है।

भारत ने सबसे अधिक कोविड-19 वैक्सीन ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की बुक की है। भारत ने ऑक्सिफोर्ड-एस्ट्रा जेनेका की वैक्सी न की 50 करोड़ डोज का ऑर्डर दिया है। भारत के साथ-साथ अमेरिका ने भी इतनी डोज का ऑर्डर दिया है। अमेरिका ने भी ऑक्सीफोर्ड-एस्ट्रााजेनेका की वैक्सीसन के 50 करोड़ डोज का आर्डर दिया है।ये आंकड़े ड्यूक यूनिवर्सिटी के लॉन्च एंड स्केल स्पीडोमीटर से प्राप्त हुए हैं। भारत, अमेरिका के अलावा यूरोपीय यूनियन समेत कई देशों ने ऑक्स्फोर्ड-एस्ट्रा जेनेका की वैक्सीन को बुक कर रखा है। इसके अलावा भारत ने नोवावैक्स को वैक्सीन की 1 अरब डोज का ऑर्डर दिया है। जबकि अमेरिका इससे वैक्सीन नहीं खरीद रहा है। यूरोपीय यूनियन ने 11 करोड़ डोज का ऑर्डर दिया है। भारत ने सनोफी-जीएसके की कोरोना वैक्सीन को लेकर इससे अब तक कोई करार नहीं किया है। हालांकि, अमेरिका, यूरोपीय यूनियन, कनाडा और ब्रिटेन ने इसके वैक्सीन की डोज का ऑर्डर दे रखा है।

भारत ने रूसी कोरोना वैक्सीयन स्पुतनिक-त वैक्सीटन की 10 करोड़ डोज बुक कर रखी है। फिलहाल रूसी वैक्सीन का अंतिम ट्रायल भारत में हो रहा है और इसका हैदराबाद की डॉ रेड्डी के साथ ट्रायल के लिए समझौता हुआ है। रूस की वैक्सीन को भारत के अलावा, अब तक किसी देश ने बुक नहीं किया है। स्पुतनिक-5 को गामलेया रिसर्च इंस्टिट्यूट ने विकसित किया है।

कोरोना वैक्सीन पर एकाधिकार की कोशिश

अमीर देश कोरोना की दवा या वैक्सीन पर अपने इंटिलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स नहीं छोड़ना चाहते। इससे उन्हें कोई मतलब नहीं कि मानवता को रोज कोरोना थोड़ा-थोड़ा कर लील रहा है। उन्हें अपने मुनाफे से मतलब है। न्यूज एजेंसी राइटर्स के मुताबिक एक सीक्रेट मीटिंग में अमीर देशों खासकर यूरोपीय यूनियन और अमेरिका ने इंटिलेक्चुअल प्रॉपर्टी राइट्स छोड़ने के प्रस्ताव का विरोध किया। अगर उनका ये रुख जारी रहता है तो ये मुद्दा विश्व व्यापार संगठन विश्व व्यापार जनरल काउंसिल में उठ सकता है। अगर वहां इसपर आम सहमति नहीं बनी तो फिर इसका निपटारा वोट के जरिए होगा जो कि रेयर होगा।

एकाधिकारों में ढील के पैरोकारों का कहना है कि अगर अमीर देश नहीं माने तो ये कोरोना से जंग की राह में बड़ा रोड़ा साबित हो सकता है। इनकी दलील है कि जैसे एड्स के मामले में अधिकार छोड़े गए, वैसे ही कोरोना के मामले में भी छोड़ने चाहिए। इनका आरोप है कि ये देश लोगों की जिंदगी से ज्यादा अपने मुनाफे पर ध्यान दे रहे हैं।

अधिकारों में छूट का प्रस्ताव सबसे पहले भारत और साउथ अफ्रीका जैसे देशों ने किया था। पांच कोरोना वैक्सीन पर रिसर्च का दावा करने वाले चीन ने भी प्रस्ताव का समर्थन किया है। दरअसल जिन देशों में सबसे पहले वैक्सीन बनने की उम्मीद है कि उनमें से ज्यादातर अमीर देश हैं। किसी आविष्कार पर आम तौर पर इस तरह के अधिकारों का दावा किया जाता है। इसमें होता ये है कि आविष्कारक को एक तय समय तक उस चीज के इस्तेमाल के एक्सक्लूसिव राइट्स मिलते हैं।

दुनिया अब सही मायने में एक ग्लोबल विलेज है। अमेरिकी शेयर बाजार गिरेंगे तो उसका असर सुदूर पूर्व के इंडेक्स पर दिखेगा। चीन में कोई वायरस हमला करेगा तो सबसे ज्यादा लोग पश्चिम के देश अमेरिका में मारे जाएंगे। जैसे इंसानों का दुनिया के एक छोर से दूसरे छोर में जाना आसान और इस वजह से तेज हुआ है उसी तरह से किसी भी अच्छी और बुरी चीज का एक से दूसरी जगह पहुंचना चंद घंटों की बात है। लेकिन दूरदृष्टि दोष से संक्रमित वर्ल्ड लीडर ये बात नहीं समझ पाते। मसलन चीन ने अपनी इमेज बचाने के लिए कोरोना के प्रकोप के बारे में बताने में देरी की, आज दुनिया भुगत रही है। चीन का भी कूटनीतिक से लेकर आर्थिक मोर्चे पर कम नुकसान नहीं हुआ। मामला दबाने की उसकी गलती आत्मघाती साबित हुई। अमेरिका ने ट्रंप के नेतृत्व में इस महासंकट में महाशक्ति की भूमिका निभाने के बजाय अपनी ऊर्जा चीन को गलत ठहराने में लगाई। विश्व स्वास्थ्य संगठन के संसाधन रोके। आज दुनिया का सबसे संक्रमित देश खुद अमेरिका है। दुनिया के कई राष्ट्रध्यक्षों ने कोरोना को लेकर दूरदृष्टि रखने के बजाय निकट के सियासी मुनाफे पर नजर गड़ाई, कोरोना से जंग में साधन जुटाने के बजाय जुमलों से काम चलाया और आज उनके देश बड़ा खामियाजा भुगत रहे हैं।

अमीर देश का दृष्टिदोष ही है कि वो सोचते हैं कि एक्सक्लूसिव राइट्स के चलते वो अपने देश के नागरिकों को पहले वैक्सीन मुहैया कराकर वाहवाही लूट लेंगे। अपने देश की कंपनियों को मुनाफा दिलवाएंगे। लेकिन इस वायरस पर वो पुराना विज्ञापन सटीक बैठता है- ’एक भी बच्चा छूटा तो सुरक्षा चक्र टूटा’। जितना कोरोना का वायरस लोगों को मार रहा है उतना ही कोरोना के कारण आई आर्थिक तबाही भी खतरनाक है।

अब ज्यादा से ज्यादा देशों के लिए कारोबार और व्यापार रोकना मुश्किल हो रहा है। आप वैक्सीन नहीं देंगे लेकिन व्यापार जारी रखेंगे और जारी रखना होगा संक्रमण का जरिया। फिर क्या करेंगे? ये वक्त मुनाफे और स्वार्थी होने का नहीं, बड़ा दिल रखने का है। उस लोक के लिए नहीं, इसी लोक के लिए, कल के लिए नहीं, आज के लिए।

भारत में कोरोना वैक्सिनेशन

केंद्र सरकार ने कोरोना वैक्सिनेशन के प्लान की घोषणा कर दी है। वैक्सीन कब, किसे और कहां मिलेगी, यह सब बताने के लिए को -विन ((Co-WIN)) ऐप डेवलप किया है। इसका इस्तेमाल वैक्सिनेशन में किया जाएगा। सरकार का कहना है कि हर उस भारतीय को वैक्सीन लगाई जाएगी, जिसे लगानी जरूरी है।

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है कि केंद्र सरकार ने अगस्त में कोविड-19 के लिए वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन पर नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप (NEGV-C) बनाया था। नेशनल एक्सपर्ट ग्रुप ने कोविड-19 के वैक्सिनेशन, वैक्सीन की खरीद प्रक्रिया वैक्सीन का चुनाव ,वैक्सीन की डिलीवरी ,इसके ट्रैकिंग मैकेनिज्म पर अपनी रुपरेखा तय कर ली है ।

फ़िलहाल इसमें एक करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स: इमसें स्वास्थ्य से जुड़े काम करने वाले सभी कर्मचारी शामिल रहेंगे।

1) दो करोड़ फ्रंटलाइन वर्कर्स: इसमें केंद्र और राज्यों की पुलिस, आर्म्ड फोर्सेस, होमगार्ड्स, सिविल डिफेंस और डिजास्टर मैनेजमेंट वॉलंटियर्स, म्युनिसिपल वर्कर्स शामिल रहेंगे।

2) 27 करोड़ 50 साल से अधिक उम्र वाले: ऐसे लोग जिनकी उम्र 50 साल या उससे ज्यादा है उन्हें पहले टीका मिलेगा। साथ ही 50 वर्ष से कम उम्र के ऐसे लोग जो हाई-रिस्क कैटेगरी में आते हैं, यानी जिन्हें डाइबिटीज, ब्लड प्रेशर या अन्य बीमारियां हैं उन्हें भी पहले वैक्सीन दी जाएगी।

वैक्सिनेशन की निगरानी के लिए सिस्टम

राज्य स्तर पर हर राज्य में स्टेट स्टीयरिंग कमेटी (SST) बनेगी, जिसकी अध्यक्षता मुख्य सचिव करेंगे। यह केंद्र से कोऑर्डिनेशन करेगी। वहीं, स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख सचिव की अध्यक्षता में स्टेट टास्क फोर्स (STF) होगा, जो वैक्सीन के लॉजिस्टिक्स और ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट जैसे पहलुओं पर फैसले लेगा। स्टेट कंट्रोल रूम (STR) बनेंगे, जो वैक्सिनेशन शुरू होने पर सक्रिय होंगे।

वैक्सीन को लेकर संदेह !!

वैक्सीन को लेकर कई तरह के संदेह जताए जा रहे हैं। दुष्प्रचार अभियान, अफवाह और एंटी-वैक्सीन लॉबी की चुनौतियां भी अपनी जगह होंगी। ऐसे में सरकार ने एक कम्युनिकेशन स्ट्रैटजी भी बनाई है। इसमें लोगों को जागरूक किया जाएगा कि वैक्सिनेशन क्यों जरूरी है? साथ ही सरकार लोगों को वैक्सीन के बारे में सबकुछ बताएगी। सभी वैक्सीन के साथ कुछ न कुछ साइड इफेक्ट्स होते हैं, जिसके बारे में लोगों को जानकारी दी जाएगी। ताकि कोई साइड इफेक्ट सामने आने पर लोग घबराए नहीं। इसी तरह ट्रेनिंग मॉड्यूल में भी वैक्सिनेटर्स को इसके लिए तैयार किया जाएगा।

वैक्सीनेशन में मोबाइल टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल

केंद्र सरकार ने वैक्सीन एडमिनिस्ट्रेशन के लिए कोविन (CO-WIN) ऐप बनाया है। सभी राज्यों में हेल्थकेयर वर्कर्स का डेटा जुटाने की प्रक्रिया चल रही है। इस डेटा को CO-WIN ऐप पर अपलोड किया जाएगा। उसके बाद उसे वेरीफाई किया जाएगा। इस ऐप पर वैक्सीन लगाने वालों का डेटा भी होगा। इसके साथ ही वैक्सीन की उपलब्धता, डिलीवरी और एडमिनिस्ट्रेशन के साथ ही जिन्हं वैक्सीन लगाई गई है उनकी निगरानी से जुड़ा डेटा भी इस पर होगा।

कोरोना वैक्सीन के लिए सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर की तैयारी

सरकार का दावा है कि मौजूदा कोल्ड-चेन की मदद से वह शुरुआती 3 करोड़ हेल्थकेयर वर्कर्स और फ्रंटलाइन वर्कर्स को वैक्सीन लगाने में सक्षम है। नियमित इम्युनाइजेशन प्रोग्राम साथ-साथ चलता रहेगा। मौजूदा कोल्ड चेन सिस्टम में देशभर में 28,947 कोल्ड चेन पॉइंट्स पर 85,634 से ज्यादा फंक्शनल इक्विपमेंट्स हैं। इनमें डीप फ्रीजर्स, वॉक-इन कूलर्स, वॉक-इन रेफ्रिजरेटर्स, बिना बिजली के चलने वाले आइस बॉक्स जैसे पैसिव डिवाइस हैं। इनका इस्तेमाल स्वास्थ्य मंत्रालय के यूनिवर्सल इम्युनाइजेशन प्रोसेस (UIP) में किया जाता है। इस समय भारत में 13 वैक्सीन लगाई जाती हैं। इनमें 11 वैक्सीन नेशनल प्रोग्राम का हिस्सा है, जबकि 2 वैक्सीन कुछ राज्यों में कुछ जिलों में ही लगाई जाती हैं। कौन-सी वैक्सीन लगाई जाएगी?

को-विन (CO-WIN ) एप पर सेल्फ रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया क्या होगी?

सरकार ने कोविड-19 वैक्सीनेशन को एडमिनिस्टर करने के लिए जो ऐप बनाई है, उस पर इस तरह सेल्फ रजिस्ट्रेशन किया जा सकेगा

(1) ऐप को फ्री डाउनलोड किया जा सकता है। यह वैक्सीन डेटा रिकॉर्ड करने में मदद करेगा।

(2) यदि किसी को वैक्सीन चाहिए तो वह खुद भी रजिस्टर कर सकता है।

(3) CO-WIN प्लेटफॉर्म पर 5 मॉड्युल हैं- एडमिनिस्ट्रेटर, रजिस्ट्रेशन, वैक्सिनेशन, बेनेफिशियरी एक्नॉलेजमेंट और रिपोर्ट।

(4) एडमिनिस्ट्रेटर मॉड्यूल वैक्सिनेशन सेशन कंडक्ट करने वाले एडमिनिस्ट्रेटर्स के लिए है। इस मॉड्यूल के जरिए वे सेशन क्रिएट कर सकते हैं और इससे संबंधित वैक्सिनेटर और मैनेजर्स को तैनात किया जाएगा।

(5) रजिस्ट्रेशन मॉड्यूल उन लोगों के लिए होगा जो खुद को वैक्सीनेशन के लिए रजिस्टर्ड करना चाहते हैं। सर्वेयर्स या स्थानीय प्रशासन भी डेटा अपलोड कर सकता है।

(6) वैक्सीनेशन मॉड्यूल में बेनेफिशियरी के डिटेल्स और वैक्सीनेशन स्टेटस अपडेट होगा।

(7) बेनेफिशियरी एक्नॉलेजमेंट मॉड्यूल बेनेफिशियरी को SMS भेजेगा और वैक्सिनेशन के बाद QR (मैट्रिक्स बारकोड)-बेस्ड सर्टिफिकेट्स भी जारी करेगा।

(8) रिपोर्ट मॉड्यूल में रिपोर्ट्स तैयार होंगी कि कितने वैक्सीन सेशन आयोजित किए गए? कितने लोगों को वैक्सीन लगाई गई? और कितने लोग ड्रॉप आउट रहे?

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