जलवायु परिवर्तन को गंभीरता से लेना जरुरी
भारत ने पिछले कुछ सालों में पुरजोर तरीके से अपनी बात रखी है. इसने पेरिस में COP21 में 2030 तक ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जन को 2005 के स्तर से 33-35 फीसद कम पर लाने का वादा किया. इसने नॉन-फॉसिल फ्यूल पावर सोर्स की क्षमता बढ़ाने और एक कार्बन सिंक बनाने का भी वादा किया. “पंचामृत” स्ट्रेटजी, जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2021 में COP26 में पेश किया था, का मकसद 2030 तक 500 गीगावॉट नॉन-फॉसिल एनर्जी क्षमता, 2030 तक कार्बन उत्सर्जन में एक अरब टन की कमी, 2030 तक 50 प्रतिशत रिन्यूबल एनर्जी क्षमता, 2030 तक कार्बन इनटेंसिटी में 45 फीसद की कमी, और 2070 तक नेट-जीरो. अभी भी भारत अपने इन्ही लक्ष्यों पर अपना ध्यान केन्द्रित कर रहा है .