हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
वैक्सीन की कमी या राजनीति?

वैक्सीन की कमी या राजनीति?

by शशांक व्दिवेदि
in मई - २०२१, सामाजिक
0

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने वैक्सीन की कमी के इन दावों को पूरी तरह नकार दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्य और नेता जनस्वास्थ्य जैसे मुद्दे के राजनीतिकरण में लगे हैं और वैक्सीन की कमी जैसी बातें कहकर बेवज़ह लोगों में घबराहट फैला रहे हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र जैसे राज्यों पर वैक्सीन को लेकर ‘मिसमैनेजमेंट’ और ‘मनमानी’ का आरोप लगाया।

देश में कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच कोरोना वैक्सीन से जुड़ी सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी ने रूस की स्पूतनिक वैक्सीन को मंजूरी दे दी है। कोवीशील्ड और कोवैक्सीन के बाद भारत सरकार की तरफ़ से यह तीसरी वैक्सीन है, जिसके आपात इस्तेमाल को मंजूरी दी गई है। स्पूतनिक वैक्सीन को मंजूरी ऐसे वक्त पर दी गई है जब कई राज्यों की तरफ से केन्द्र पर पर्याप्त वैक्सीन की सप्लाई न करने का आरोप लगाया जा रहा है। ऐसे में इस वैक्सीन के आने के बाद यह उम्मीद की जा रही है कि भारत में कोरोना के खिलाफ वैक्सीनेशन की जंग और तेज़ होगी।

फ़िलहाल देश में सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोवीशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को ही इस्तेमाल किया जा रहा है। ये वैक्सीन युद्धस्तर पर 45 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों को लगाई जा रही हैं। इस बीच महाराष्ट्र समेत देश के कई राज्यों से वैक्सीन की कमी की खबरें भी आ रही हैं। इसी वजह से अब अन्य वैक्सीन निर्माताओं की वैक्सीन को भी देश में मंजूरी दिए जाने की अपील की जा रही थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक, देश में अब तक 10 करोड़ से ज्यादा लोगों का वैक्सीनेशन किया जा चुका है। प्रतिदिन औसतन 35 लाख के करीब लोगों को कोरोना डोज दी जा रही हैं।

भारत की ‘वैक्सीन डिप्लोमेसी’ पर सवाल

कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए भारत सरकार ने पिछले महीने वैक्सीन के निर्यात पर अस्थायी रूप से रोक लगा दी थी लेकिन इसके बावजूद देश के भीतर वैक्सीन की कमी से जुड़ी शिकायतें लगातार सामने आ रही हैं। ऐसे में ये सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या भारत की ‘वैक्सीन डिप्लोमैसी’ से इसकी घरेलू ज़रूरतों को नुक़सान पहुँचा है?विदेश मंत्रालय के हालिया आंकड़ों के अनुसार भारत ने ‘वैक्सीन मैत्री’ पहल के अंतर्गत अब तक 6.45 करोड़ वैक्सीन डोज़ का निर्यात किया है। इनमें से 1.04 करोड़ ख़ुराकें अनुदान के तौर पर, 3.57 करोड़ ख़ुराकें व्यापारिक तौर पर और 1.82 करोड़ ख़ुराकें संयुक्त राष्ट्र की ‘कोवैक्स पहल’ के अंतर्गत निर्यात की गई हैं।

संक्रमण में लगातार आती तेज़ी के मद्देनज़र कुछ विपक्षी पार्टियों ने मांग की है कि जब तक भारत की पूरी आबादी का टीकाकरण नहीं हो जाता, वैक्सीन के निर्यात पर रोक लागू रहनी चाहिए। कोरोना वैक्सीन के निर्यात पर रोक कब तक लगी रहेगी, इस बारे में भारत सरकार ने फ़िलहाल स्पष्ट रूप से कुछ नहीं कहा है लेकिन केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने पिछले महीने संसद में एक बयान में कहा था कि कोरोना वैक्सीन का निर्यात भारतीयों की क़ीमत पर नहीं किया जाएगा।

चार और वैक्सीन के आने की उम्मीद

देश कई राज्यों में वैक्सीन की कमी होने के बाद अब अन्य वैक्सीन निर्माताओं की वैक्सीन को भी देश में मंजूरी दिए जाने की अपील की जा रही थी। वैक्सीन से जुड़े इन तमाम विवादों के बीच अब एक और सवाल ज़ोर-शोर से पूछा जाने लगा है कि फ़्री मार्केट और फ़्री इकॉनमी होने के बावजूद भारत में फ़ाईज़र, मॉडर्ना और जॉनसन ऐंड जॉनसन की वैक्सीन को एंट्री क्यों नहीं मिली है?

विशेषज्ञों के अनुसार स्पूतनिक के अलावा ये चार वैक्सीन जॉनसन एंड जॉनसन की वैक्सीन, नोवावैक्स वैक्सीन, भारत बायोटेक की इंट्रानेजल यानि नाक से दी जाने वाली वैक्सीन, जायडस कैडिला की वैक्सीन के अक्तूबर तक उपलब्ध होने की उम्मीद है।

कितनी असरदार है स्पुतनिक?

केंद्र सरकार द्वारा स्पूतनिक वैक्सीन को मंजूरी मिलने के बाद देश में वैक्सीनेशन की रफ़्तार तेज होगी।हालांकि इतने बड़े देश में टीकाकरण के लिए कई और वैक्सीन को मंजूरी मिलनी चाहिए तभी इतनी बड़ी जनसंख्या का टीकाकरण समय पर हो पायेगा।कोरोना वायरस वैक्सीन स्पूतनिक वी बनाने वाली कंपनी ने दावा किया है कि यह वायरस के खिलाफ लगभग 92 फीसदी कारगर है। कंपनी ने बताया कि वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल के डेटा के तीन फ़ाईनल कंट्रोल पॉइंट एनालिसिस करने के बाद यह रिज़ल्ट सामने आया है। पहले कंट्रोल पॉइंट में वैक्सीन का 92 फीसदी प्रभाव दिखा था, जबकि दूसरे कंट्रोल पॉइंट में यह आंकड़ा 91.4 फ़ीसदी आया। इसे बनाने वाली कंपनी गामलेया रिसर्च सेंटर फॉर एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी ने दावा किया है कि वैक्सीन ने कोरोना वायरस के गंभीर मामलों के खिलाफ 100 प्रतिशत तक असर दिखाया है। स्पूतनिक को 2 से 8 डिग्री के तापमान के बीच स्टोर किया जा सकता है। सीरम इंस्टिट्यूट की वैक्सीन कोवीशील्ड के असर की बात करें तो यह 62 फीसदी से 90 फीसदी के बीच कारगर पाई गई है। कोवीशील्ड की दो डोज़ 4-8 हफ्तों के अंतराल पर दी जाती हैं। हाल ही में सीरम इंस्टिट्यूट के सीईओ ने दावा किया था कि अगर 2 डोज़ के बीच अंतराल बढ़ा दिया जाए तो वैक्सीन और ज्यादा असरदार साबित हो सकती है। इसे स्टोर करने के लिए सब ज़ीरो तापमान (शून्य से कम) की जरूरत नहीं है। इस वैक्सीन को 2 से 8 डिग्री तापमान के बीच रखना आदर्श माना जाता है।

कोवैक्सीन का सफल ट्रायल

केंद्र सरकार ने जब भारत बायोटेक की कोवैक्सीन को आपातकालीन इस्तेमाल की मंजूरी दी थी तो इसके ट्रायल को लेकर कई तरह के सवाल उठे थे। कई एक्सपर्ट्स का कहना था कि ट्रायल का तीसरा चरण पूरा किए बिना इस तरह वैक्सीन को मंजूरी देना सही नहीं हैं। हालांकि भारत बायोटेक और केंद्र ने इस तरह की सभी आशंकाओं को खारिज किया था। अब इसी साल मार्च में कंपनी ने तीसरे चरण का ट्रायल पूरा होने का दावा किया है। कंपनी का कहना है कि यह वैक्सीन 81 फीसदी तक असरदार है। कोवैक्सीन को 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच स्टोर किया जा सकता है।

कितनी होगी स्पूतनिक वैक्सीन की कीमत?

स्पूतनिक त कीमत को लेकर अबतक कुछ साफ़ नहीं है। अंतरराष्ट्रीय मार्केट में इस वैक्सीन के 2 डोज़ के कीमत अभी 20 डॉलर से कम बताई जा रही है, हालांकि हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान में इसकी 2 डोज़ 80 डॉलर यानि लगभग 12,000 पाकिस्तानी रुपये है। हालांकि एक्सपर्ट्स उम्मीद जता रहे हैं कि भारत में स्पुतनिक की कीमत नियंत्रित की जाएगी और यह प्रतिस्पर्धी रहेगी। भारत में डॉ. रेड्डी लैबोरेटरीज से 10 करोड़ वैक्सीन की डोज़ बनाने की डील हुई है। इसके अलावा ठऊखऋ ने हेटरो बायोफार्मा, ग्लैंड फार्मा, स्टेलिस बायोफार्मा, विक्ट्री बायोटेक से 85 करोड़ डोज़ बनाने का भी करार कर रखा है।

वैक्सीन की कमी का सवाल

भारत में टीकाकरण अभियान साल 2021 की शुरुआत से जारी है। लेकिन, साढ़े तीन महीने बाद ही वैक्सीन की कमी की ख़बरें आ रही हैं। कई राज्यों ने इस कमी को दूर करने की गुहार केंद्र सरकार से लगाई है लेकिन, केंद्र सरकार ऐसी किसी कमी से इन्कार रही है। महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, हरियाणा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और ओडिशा ने वैक्सीन की सप्लाई में कमी की शिकायत की है। लेकिन, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन ने वैक्सीन की कमी के इन दावों को पूरी तरह नकार दिया है। उन्होंने कहा कि कुछ राज्य और नेता जनस्वास्थ्य जैसे मुद्दे के राजनीतिकरण में लगे हैं और वैक्सीन की कमी जैसी बातें कहकर बेवज़ह लोगों में घबराहट फैला रहे हैं।केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र जैसे राज्यों पर वैक्सीन को लेकर ‘मिसमैनेजमेंट’ और ‘मनमानी’ का आरोप लगाया।

कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच टीका उत्सव

देश में कोरोना के बढ़ते मामलों की वजह से 11अप्रैल से 14 अप्रैल तक देश में टीका उत्सव मनाया गया । स्वास्थ्य मंत्रालय का लक्ष्य चार दिन के टीका उत्सव में तकरीबन डेढ़ करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाने का है। लेकिन, कई राज्यों में वैक्सीन की कमी के कारण केंद्र सरकार के लक्ष्य के मुताबिक टीकाकरण शायद ही संभव हो सके। हालांकि उत्सव के पहले दिन देश में रोज़ाना लगने वाले टीके से ज्यादा वैक्सीन लगी। दिल्ली, पंजाब, छत्तीसगढ़ और ओडिशा जैसे कई राज्यों में टीका उत्सव फीका रहा। टीके की कमी की वजह से राज्यों में टीकाकरण नहीं हो पा रहा है। उससे अनुमान है कि टारगेट शायद ही पूरा हो सके। वहीं विपक्ष ने कोरोना की वजह से लगातार हो रही मौतों के बीच केंद्र की इस उत्सवधर्मिता पर सवाल उठाए हैं।

ओडिशा में 900 केंद्र बंद रहे

टीका उत्सव के पहले दिन सबसे बुरा हाल ओडिशा का रहा। राज्य में वैक्सीन नहीं होने की वजह से 900 टीकाकरण केंद्र बंद रहे। उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी टीकाकरण के पहले दिन सामान्य दिनों की तुलना में लगने वाली वैक्सीन की संख्या कम रही। टीका उत्सव के पहले दिन 27 लाख से ज्यादा लोगों को कोरोना की वैक्सीन लगाई गई।

अगले दो-तीन साल तक होगा वैक्सीनेशन!!

वायरस को देख कर लगता है कि वो इतनी जल्दी जाने वाला नहीं है। इसलिए कह सकते हैं कि जिस तरह से सीज़नल फ्लू के लिए वैक्सीन लगती है, कोरोना के लिए भी लगेगी। हालांकि समय के साथ ही स्थिति और साफ होगी। लेकिन मान कर चलिए अगले दो-तीन साल तक तो वैक्सीन की डोज़ लगती रहेगी।

वायरस से लड़ने में टीकाकरण कितना मददगार है?

दिल्ली स्थित एम्स के डॉ. नीरज निश्चल कहते हैं, ‘जब महामारी शुरू हुई तो लोगों के मन में एक ही सवाल था कि वैक्सीन कब आएगी, लेकिन जब वैक्सीन आई, तब देश में केस भी कम हो गए और इस वजह से लोगों के मन में बीमारी को लेकर जो डर था, वो कम हो गया था। अब जैसे-जैसे केस बढ़ रहे हैं, लोगों को समझना होगा कि वैक्सीन जान बचा सकती है। इसलिए वायरस से डरें, वैक्सीन से नहीं, क्योंकि वैक्सीन लगने के बाद भी अगर आप संक्रमित होते हैं तो वह आपको वेंटिलेटर पर जाने से बचाएगी। जो लोग गंभीर रूप से संक्रमित हो जाते हैं, ऐसे लोगों को भी वैक्सीन से इम्यूनिटी मिलेगी।

वैक्सीनेशन के बाद संक्रमण होगा या नहीं?

डॉ. नीरज निश्चल कहते हैं, ‘जी हां, कई लोगों को लगता है कि वैक्सीन लगाने के बाद कभी कोविड नहीं हो सकता है। ऐसा नहीं है। इसे ऐसे समझ सकते हैं, एक होता है संक्रमित होना और दूसरा होता है बीमारी होना। वैक्सीन का प्राईमरी रोल (प्राथमिक भूमिका) है, बीमार होने से बचाना, यानि अगर बीमार होते हैं तो यह गंभीरता कम करेगी। लेकिन वैक्सीन के बाद संक्रमण फिर भी हो सकता है। वैक्सीन का मतलब ये नहीं है कि आप संक्रमित नहीं होंगे, ये आपको बीमार होने से बचाएगी। कोई भी वैक्सीन 100 प्रतिशत तक प्रभावी नहीं है। इस बात का भी ध्यान रखा है कि अगर कोई संक्रमित है तो दूसरे में ट्रांसमिशन भी कर सकता है, यानि फैला सकता है। इसलिए मास्क लगाकर रखें, सुरक्षित दूरी का पालन करें और हाथ साफ़ करते रहें’।

रात में कर्फ्यू का क्या लॉजिक है?

बहुत लोगों के मन में यह प्रश्न होता है की जब भीड़ दिन में होती है तो रात में कर्फ्यू क्यों ? तो असल में ये सरकार और प्रशासन की एक तरह की रणनीति होती है। चूंकि, पूरी तरह लॉकडाउन नहीं लगा सकते हैं, इसलिए जो पहले कम जरूरी होते हैं, उनपर रोक लगाते हैं। इसे एक तरह की चेतावनी या अपील कह सकते हैं कि लोग वायरस के खिलाफ सतर्क रहें। आप देख सकते हैं, बहुत जरूरी होता है, तभी कर्फ्यू लगाया जाता है। जब तक जनता का सहयोग नहीं मिलेगा, तब तक कोरोना को नहीं हरा सकते हैं। पूरी तरह से लॉकडाउन न लगाना पड़े, इसके लिए लोगों को समझना होगा कि दिन या रात को बेवज़ह बाहर न जाएं, मास्क लगाएं और नियमों का पालन करें।

Tags: hindi vivekhindi vivek magazinesubject

शशांक व्दिवेदि

Next Post
कोरोना की विध्वंसक लहर

कोरोना की विध्वंसक लहर

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0