ऋतुओं की रानी बारिश

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सूर्यदेवता के कोप से धरती जली जा रही थी। सूर्यदेवता आसमान में चढ़ते ही जा रहे थे। घरों और सड़कों पर मानो आग बरस रही थी। बिजली भी चली गई थी। पंखा झलने वाले हाथ थकने लगे थे। दोपहर की झपकी आखों से कोसों दूर थी। लू चल रही थीं। सडकें तवे के समान तप रही

दो नावों पर सवार

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महिलाओं को सुपर वुमन बनने में और खुद को नजरअंदाज करने में महानता का अहसास होता है। यह सोच बदलनी होगी। कामकाजी महिला हो तो घर के सभी की मिलजुलकर काम करने की जिम्मेदारी बढ़ती है। इस नए परिवेश को अपनाए बगैर और कोई चारा नहीं है। प्रिया की सुबह की गहमागहमी, अफ

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