हिन्दी का व्यावहारिक व्याकरण
किसी समाज में भाषा अथवा बोली का प्रयोग शुरू होने के काफी समय बाद उसके व्याकरण की रचना होती है| भाषा मूलतः व्याकरण की आश्रित नहीं होती, किन्तु व्याकरण के माध्यम से संस्कारित होकर वह बोली और लिखी जाती है| व्याकरण में भाषा के इन्हीं नियमों को सिद्धांत रूप में प्रस्तुत किया जाता है|