खाड़ी देशों में नौकरियों का संकट

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खाड़ी देशों में तेल के दामों में बेहद मंदी के कारण नौकरियों पर संकट आ गया है। कई लोगों को नौकरी से अचानक हटा दिया गया है, क्षण में वे बेरोजगार हो गए हैं और उन्हें भारत लौटना पड़ रहा है। यह अब चुनिंदा मामलों में हो रहा है और इसकी मीडिया में केवल यदा-कदा ही चर्चा हो रही है। खाड़ी में खूब पैसा कमाकर भारत में अपने को संवारने के सपने देखने वाले कर्मचारियों को सतर्क होने की जरूरत है।

बी स्कूल : समय की आवश्यकता

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स्वतंत्रता के बाद जब देश में उच्च शिक्षा की नींव पड रही थी तब विज्ञान, तमनीकी चिकित्सा के बाद कामर्स विषय को भी उच्च शिक्षा की एक महत्वपूर्ण शाखा के रुप में पहचान प्रदान की गयी। कामर्स शिक्षा के लिये प्रावधान करने के पीछे उद्देश्य यह था कि उद्योंग धंधो व व्यापार की समझ तथा शोध देश के तीव्र विकास को बल देगा। स्वतंत्रता के बाद के दो दशकों में हुए वैज्ञानिक व तकनीकी विकास की तीव्र गति की जटीलता को पेशेवा टच देने की आनिवार्यता सर्वप्रथम देश के लब्ध प्रतिष्ठा वैज्ञानिक डॉ. विक्रम साराभाई ने समझा।

भ्रमित आज़ादी का बौद्धिक आतंकवाद

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राष्ट्र तथा समाज की स्वतंत्रता को कुचलने और उनके जीवन मूल्यों को समाप्त करने की कोशिश का नाम है आतंकवाद। हथियारों का उपयोग करके भयभीत करने तक ही अब आतंकवाद सीमित नहीं रहा है, वरन् वैचारिक रूप से किसी को भ्रमित करना भी एक तरह का सोचा-समझा आतंकवाद ही है। छद्म युद्ध के रूप में कभी माओवाद, कभी अलगाववाद तो कभी आज़ादी के नाम पर पूरे देश में संभ्रम निर्माण किया गया है।

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