नेहरू के विकृत सोच की विष बेल है राहुल गांधी

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वह केरल में वामपंथ के आतंक पर खामोश हैं। वह सेना के पराक्रम सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठाते हैं। वह ठीक डोकलाम विवाद के समय चीन से गुपचुप मुलाकात करते हैं। वह लंदन में ही युवाओं के बीच भारत की निंदा करने से बाज नहीं आते। वह राम मंदिर से राष्ट्र मंदिर के खिलाफ आवाज उठाते हैं। पर जो संघ अखंड भारत का पुजारी है। उसके गणवेश को जला कर अपना परिचय दे रहे हैं। वह बता रहे हैं कि वह कह भले ही यह रहे हैं कि वह भारत जोड़ो यात्रा पर हैं, पर उनके साथ भारत तेरे टुकड़े होंगे इंशा अल्लाह का नारा लगाने वाले कन्हैया कुमार और उनकी पूरी गैंग है। राहुल गांधी के नाना जवाहर लाल नेहरू ने एक किताब लिखी थी। डिस्कवरी ऑफ इंडिया। वह कितना भारत खोज पाए, यह उनके तिबत के रवैये से साबित हो गया। जब एक बड़ा भू-भाग उन्होंने यह कह कर दे दिया कि उधर घास का तिनका भी नहीं उगता। यह नेहरू का विकृत सोच था। राहुल उन्हीं की विष बेल हैं। उनसे यही अपेक्षा थी। समय कांग्रेस को इतिहास बनाने का तय कर चुका है। राहुल ने एक ओर कदम आगे बढ़ा दिया है।

संघ विरोधी गाँधी नेहरु परिवार और कांग्रेस

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क्या संघ की इस शक्ति को वर्तमान कॉंग्रेस नहीं समझती या अपरिपक्व नेतृत्व समझने को तैयार ही नहीं है।  क्या आज कॉंग्रेस उन परजीवियों के चंगुल में फंस गई है जो कहता है भगवा जलेगा।  वर्तमान कॉंग्रेस का अपरिपक्व नेतृत्व भारतीय मूल्यों से इतना दूर हो चुका है कि भारत का वह इतिहास भी भूल गया कि अहंकार और घृणा के आकंठ में डूबे रावण ने हनुमानजी की पूछ में आग लगा कर खुद की ही लंका का दहन कर बैठा था।  आज कॉंग्रेस संघ के गणवेश में आग लगा जश्न मना रही है इस जश्न को अंतिम परिणाम समझने की भूल न करें, लंका - दहन अभी बाकी है। 

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