स्वतन्त्रता के नायक भगवान् गणपति
इस क्रांतिकारी दल के सदस्य रहे श्री खानखोजेजी लिखते हैं " गणानां त्वा गणपतिं हवामहे" -इस व्यापक दृष्टिसे गणराज्य दिलाने वाले गणपति हमारे स्वातन्त्र्यके देवता हैं ,इस प्रकार का प्रचार शुरू हुआ । गणेशोत्सवके माध्यमसे प्रभावशाली और देशभक्त वक्ता एवं कीर्तनकारों द्वारा क्रांतिकारी कार्यकर्ताओं को इकट्ठा करने का काम सुलभ हुआ । धार्मिक उत्सव् होने के कारण पुलिस भी गणेशोत्सव में हस्तक्षेप करने में हिचकिचाती थी । खुद लोकमान्य तथा अन्य राजनीतिक कार्यकर्ता गणेशोत्सवके अवसरपर व्याख्यानद्वारा स्वराजका ही प्रचार किया करते थे ।" अब आप स्वयं ही निर्णय कर सकते हैं भारतीय स्वातन्त्र्य समर में पौराणिकोंका कितना महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।