नियति के शिकंजे में अफगानिस्तान
अफगानिस्तान किसी जमाने में भारत का ही अंग था। भारतीय और अफगानी जनता में मैत्रीभाव था। अफगानिस्तान के सुदूर इलाकों तक हिंदुओं के व्यवहार थे। इसे ध्यान में रखकर अफगानिस्तान को फिर करीब लाने की चुनौती भारत के समक्ष है।
अफगानिस्तान किसी जमाने में भारत का ही अंग था। भारतीय और अफगानी जनता में मैत्रीभाव था। अफगानिस्तान के सुदूर इलाकों तक हिंदुओं के व्यवहार थे। इसे ध्यान में रखकर अफगानिस्तान को फिर करीब लाने की चुनौती भारत के समक्ष है।
हामिद कर्जई इस सच्चाई को जानते हैं। इसी लिए वह पाकिस्तान पर संपूर्ण भरोसा नहीं करते हैं। यह बात उन्होंने खुल कर भी कही है। अब देखना है कि अमेरिकी सेना की वापसी के बाद हानिद कर्जई और उनका प्रशासक किस तरह नई चुनौतियों का सायना करता है?