मातृभूमि छोड़कर शरणार्थी बनना पड़ेगा
अफगानिस्तान में अब एक भी हिंदू या एक भी सिख नहीं बचेगा ..जबकि मात्र 10 साल पहले तक अफगानिस्तान में 17% सिख और 5% हिंदू रहते थे
अफगानिस्तान में अब एक भी हिंदू या एक भी सिख नहीं बचेगा ..जबकि मात्र 10 साल पहले तक अफगानिस्तान में 17% सिख और 5% हिंदू रहते थे
इस्लाम को मानने वाले अधिकांश लोग भयावह ग़रीबी व भुखमरी में जी लेंगें पर मज़हब का ज़िहादी जुनून और ज़िद पाले रहेंगें। वे लड़ते रहेंगें, तब तक, जब तक उनके कथित शरीयत का क़ानून लागू न हो जाए, जब तक दुनिया का अंतिम व्यक्ति भी इस्लाम क़बूल न कर ले! वे लड़ते रहेंगें, क्योंकि उनका विस्तारवादी-वर्चस्ववादी कट्टर इस्लामी चिंतन उन्हें लड़ने की दिशा में उत्प्रेरित करता है।
जो रूस एक समय तालिबान के साथ काम करने के बारे में बार-बार बयान दे रहा था, उनको मान्यता देने तक का संकेत दे चुका था उसकी ओर से कहा गया कि अभी मान्यता देने में जल्दबाजी नहीं की जानी चाहिए। यह भारत की विदेश नीति का ही परिणाम है कि वह मध्य एशिया में अपने सैनिकों की संख्या बढ़ा रहा है। उसे लग गया कि तालिबान के वहां होने से उनके यहां आतंकवाद का खतरा बढ़ सकता है।
यह नाम ‘ऑपरेशन देवी शक्ति’ इसलिए रखा गया क्योंकि जैसे ‘मां दुर्गा’ राक्षसों से बेगुनाहों की रक्षा करती हैं, उसी प्रकार इस मिशन का लक्ष्य बेकसूर नागरिकों को तालिबान के आतंकियों की हिंसा से रक्षा करना है। यह ऑपरेशन वायुसेना की भूमिका और तालिबानियों की निर्ममता पर एक साथ टिप्पणी है।
दुनिया सकते में है कि इस संकट का मुकाबला कैसे करें? लेकिन क्या सच में यह शरणार्थी संकट है या फिर एक गहरा षड्यंत्र? कुछ वर्षो बाद फिर किसी अन्य इस्लामिक देश में ऐसा ही कुछ घटनाक्रम हो, तो आश्चर्य मत कीजिएगा क्योंकि ऐसा ही होगा।
इस समय जिस तरह का जन प्रदर्शन अफगानिस्तान में हो रहा है, उसकी कल्पना शायद ही किसी को रही हो। ‘हमें काबुल से लेकर कई शहरों में आजादी चाहिए। अल्लाहू अकबर, हमें एक मुल्क चाहिए। हमें पाकिस्तान की कठपुतली सरकार नहीं चाहिए।’ ‘पाकिस्तान, अफगानिस्तान छोड़ो’ जैसे नारे लगते हुए दृश्य हमारे सामने आ रहे हैं। सोशल मीडिया पर वायरल कुछ वीडियो में लोगों को ‘राष्ट्रीय प्रतिरोध मोर्चा ज़िंदा रहो’ और पाकिस्तान विरोधी नारे लगाते हुए सुना जा सकता है।
अफगानिस्तान में तेजी से सब कुछ बदल रहा है इस बदलाव की ना तो किसी को उम्मीद थी और ना ही किसी ने ऐसा सोचा था कि एक दिन अफगानिस्तान आतंकियों के हाथों में आ जाएगा। वह लोग अपने आप को बहुत ही खुश नसीब मान रहे हैं जो वहां से…
अफगानिस्तान पर तालिबानी आतंकियों ने पूरी तरह से कब्जा कर लिया और अब सरकार बनाने का काम भी करीब करीब पूरा हो चुका है जिसे संयुक्त राष्ट्र ने अभी तक आतंकियों की लिस्ट में शामिल किया था वह लोग अब अफगानिस्तान की सरकार में कैबिनेट मंत्री बनाए जा रहे है।…
भारत की अफगानिस्तान और तालिबान संबंधी नीतियों को लेकर जिस तरह के दुष्प्रचार और अफवाह बार-बार सामने आ रहे हैं उनसे आम भारतीय के अंदर भी कई प्रकार की आशंकाएं पैदा हो रही है। सोशल मीडिया पर सबसे बड़ा प्रचार यह हुआ कि भारत ने तालिबान को मान्यता दे दिया।…
तालिबानियों को समाप्त करने का लक्ष्य लेकर अमेरिका 20 वर्ष पूर्व अफगानिस्तान में दाखिल हुआ। परंतु 20 वर्ष बाद उन्ही तालिबानियों के हाथों अफगानिस्तान को सौंपकर अमेरिकी सेना स्वदेश वापस लौट गई है। इससे अमेरिका की विश्वसनीयता और प्रतिष्ठा पर अनेक प्रश्न चिन्ह लग गए हैं। उनकी चर्चा हो रही…
क्रिस डोनाह्यू अमेरिका के सबसे आखरी जनरल थे जिन्होंने 30-31 अगस्त की करीब 3.30 बजे रात को अफगानिस्तान की धरती से अमेरिका जाने वाले विमान पर कदम रखा। अंधेरी रात में उनके शरीर पर प्रकाशमान सैनिक वर्दी वाली तस्वीरें पूरी दुनिया में वायरल हुई। इसके साथ अफगानिस्तान में अमेरिका का…
अफगानिस्तान की राजधानी काबुल पर हुए बम धमाकों ने पूरी दुनिया को कुछ स्पष्ट संदेश दिया है। आरंभ में केवल दो धमाकों और 13 -14 लोगों के मारे जाने की खबरें आ रही थीं। हालांकी यह अंदेशा था कि धमाके भी ज्यादा हो सकते हैं और मृतकों की संख्या भी।…