संकल्पशक्ति से होगा अखंड भारत का निर्माण

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जो राष्ट्र अपनी सीमाओं का विस्तार नहीं करता वह धीरे-धीरे सिमटता चला जाता है और अपने पतन को प्राप्त होता है. भारत के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ इसलिए आज हम सिमट कर रह गए है. ऐसे समय में अखंड भारत की संकल्पना ही वह एकमात्र उर्जा शक्ति है…

14 अगस्त विशेष : भारत विभाजन की त्रासदी

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कहते हैं आगे बढ़ने के प्रयासों के दौरान पड़ने वाले आराम दायक पड़ावों को मंजिल मान लिया जाए, तो फिर प्रगति के रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं। यही बात भारत की खंड-खंड आजादी को संपूर्ण आजादी मान लिए जाने पर लागू होती है। दुर्भाग्य की बात तो यह है कि…

स्वतंत्रता के 75 साल बाद भी भारतीयकरण शेष है

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आजादी के 7 दशकों के बाद भी देश के तंत्र का भारतीयकरण करना शेष है। स्वदेशी, स्वभाषा और स्वाभिमान किसी भी राष्ट्र की स्वतंत्रता के मुख्य स्तंभ होते हैं। जब तक इनके आधार पर हम अपना शासन तंत्र नहीं बदलते तब तक तो राज्य को सुराज्य में बदलना संभव नहीं होगा। जब तक भारत स्वदेश, स्वभाषा और स्वाभिमान के साथ उठकर विश्व के सामने खड़ा नहीं हो जाता, तब तक स्वतंत्रता प्राप्ति का अर्थ और लक्ष्य अधूरा ही रहेगा।

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