जो राष्ट्र अपनी सीमाओं का विस्तार नहीं करता वह धीरे-धीरे सिमटता चला जाता है और अपने पतन को प्राप्त होता है. भारत के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ इसलिए आज हम सिमट कर रह गए है. ऐसे समय में अखंड भारत की संकल्पना ही वह एकमात्र उर्जा शक्ति है जिसके दम पर हम फिर से सम्राट विक्रमादित्य की तरह अमिट तेजस्वी अखंड राष्ट्र के रूप में विद्यमान हो सकते है. अपनी सरहदों का विस्तार ही राष्ट्र की अवधारणा होनी चाहिए और हमारा सर्वप्रथम लक्ष्य होना चाहिए.
- अखंड भारत के लिए इजराइल है प्रेरणास्त्रोत
लगभग ढाई हजार साल तक दुनिया के अलग-अलग देशों में रहने के लिए यहूदियों को मजबूर होना पड़ा क्योंकि उन्हें उन्ही की धरती येरुशलम से आक्रान्ताओं ने खदेड़ दिया था. उनका कोई देश नहीं था. राष्ट्र नहीं था. वह दर-दर की ठोकर खाने पर विवश थे. इसके बावजूद उन्होंने कभी हार नहीं मानी. वह अपनी एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक अपने मातृभूमि के बारे में बताते रहे. उसके बारे में विस्तार से जानकारी देते रहे. इसी तरह उन्होंने सदियां बिता दी. उनकी यह खासियत थी कि साल में एक बार दुनिया भर के यहूदी समुदाय के लोग एक निश्चित स्थान पर एकत्रित होते थे और संकल्प लेते थे कि अगली चाय हम येरुशलम मैं बैठ कर पियेंगे.
यह संस्कार पीढ़ी दर पीढ़ी यहूदी अपने बच्चों को देते रहे और यह एक परंपरा बन गई. अपने मातृभूमि पर फिर से बसने का सपना लेकर यहूदी समुदाय निरंतर प्रयासरत रहा. द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान आख़िरकार वह अवसर आ ही गया जब उन्हें अपनी पुरखों की जमीं पर वापस लौटने का मौका मिला और उन्होंने इस मौके को हाथ से नहीं जाने दिया. अपने पुरुषार्थ के बल पर अदम्य इच्छाशक्ति का परिचय देते हुए उन्होंने यरूशलम में अपना झंडा गाड़ दिया और वहां जाकर बस गए. इसके आगे की कहानी से हम सभी परिचित होंगे.
- खंड-खंड हुए भारत को करना होगा अखंड
क्या आप जानते है आज का पाकिस्तान, अफगानिस्तान, बंगलादेश, तिब्बत, भूटान, श्री लंका, म्यांमार, कम्बोडिया, सिंगापूर, आदि देश कभी अखंड भारत का हिस्सा हुआ करते थे. लेकिन आज वह सभी हमसे अलग हो गए है. यदि अब भी हम नहीं चेते तो अंजाम क्या होगा ? इसका अनुमान सहज ही लगा सकते है. क्या हमसे छिना हुआ राज्य फिर से हमें नहीं लेना चाहिए ? जिस तरह इजराइल ने अपने शौर्य पराक्रम से पुनः अपने वतन पर वापसी की और दुनिया को अपना लोहा मनवा दिया कि हम जिन्दा कौम है.
यदि मात्र एक करोड़ से भी कम आबादी वाले देश के लोग ऐसा कर पाने में सक्षम है तो क्या १०० करोड़ की हिन्दू आबादी वाले देश भारत से ऐसा करना मुमकिन नहीं है ? यह प्रश्न मैं आप लोगों के लिए छोड़ जाता हूं, इसका उत्तर आप स्वयं दे. सनद रहे एक ओर इस्लामिक और दूसरी ओर इसाई आक्रमण भारत पर अप्रत्यक्ष रूप से लगातार जारी है. यदि हमें इनके आक्रमण से बचना है तो हमें इनका पुरजोर प्रतिकार करना ही होगा और अखंड भारत का निर्माण कर दुनिया में भारत को महाशक्ति बन कर उभरना होगा.
- १४ अगस्त को मनाया जाता है अखंड भारत संकल्प दिवस
आज ही के दिन १४ अगस्त की रात को भारत का फिर से विभाजन कर पाकिस्तान नामक इस्लामिक राष्ट्र का निर्माण हुआ था. इसलिए भारत में इसी दिन को संकल्प दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की गई. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सहित विश्व हिन्दू परिषद् (विहिप) हर वर्ष जोरशोर से संकल्प दिवस मनाती आ रही है.
इस वर्ष भी विहिप के क्षेत्र संगठन मंत्री केशव राजू जी ने घोषणा की है कि पुरे भारत वर्ष में सभी प्रखंड मुख्यालयों में अखंड भारत दिवस मनाया जायेगा तथा साथ ही भारत के गौरवशाली अतीत की जानकारी दी जाएगी और यह संकल्प लिया जायेगा कि एक न एक दिन हम सभी देशवासी मिलकर भारत को फिर से अखंड बनायेंगे. और भारतमाता को पुनः परम वैभवशाली बनाकर विश्वगुरु पद पर आसीन करेंगे. वंदेमातरम्…