‘आनंदमठ ‘ : वंदे मातरम् का अमर गान

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'आनंदमठ ' अपने समय के श्रेष्ठतम उपन्यासों में से है। कथानक प्लासी के युद्ध के बाद का है जब बंगाल में मुस्लिम नवाबशाही और अंग्रेजों का संयुक्त शासन था। कहानी संतानों के सन्यासी विद्रोह की है। संतान कौन?वही जो वंदे मातरम् का अमर गान करते हुए जन्मभूमि के लिए प्राणोत्सर्ग…

‘आनंदमठ’ हिन्दुओं की संघर्षगाथा

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बंकिम बाबू रचित "आनंदमठ" बंगाल के दुर्भिक्ष और आक्रांता राज के शोषण के कालखंड की सत्यकथा है, जिसे अक्सर लोग "संन्यासी विद्रोह" कहकर भी पुकारते हैं; मगर मेरी दृष्टि में यह संन्यासी आंदोलन या विद्रोह नहीं था बल्कि यह कालखंड "संन्यासी जागरण" था। जिसमें जाग्रत सन्यासियों ने अपने तेज से बाकी समाज…

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