संघ दर्शन की साक्षात प्रतिमूर्ति बालासाहब देवरस

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धर्मांतरण केवल पैसों के कारण नहीं होता, अपने समाज में जो कुछ गलत धारणाएं एवं परंपराएं है, उनके कारण भी होता है। अगर धर्मांतरण की समस्या सुलझानी है तो, उसकी ओर देखने का हमारा दृष्टिकोण बदलना होगा। हमारी यह सोच गलत है कि केवल बाहरी शक्तियां ही धर्मांतरण का कारण हैं। बालासाहब का दृष्टिकोण स्पष्ट था। इसी चिंतन से आगे चलकर सामाजिक समरसता विषय प्रारंभ हुआ।

हिन्दू चेतना के प्रचार प्रमुख – पंडित आनंद शंकर पंड्या

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हिन्दुत्व के लिए उनका सबसे बड़ा योगदान उनका हिन्दुत्व के प्रचार-प्रसार तथा जन जागरण के लिए करोड़ों की संख्या में समय-समय पर वितरित किए जाने वाले हस्त पत्रक (हैंड बिल), पत्रक, पुस्तिकाएं तथा समाचार पत्रों में विज्ञापन का रहा है। उन्होंने विगत पचास वर्षों में अपने आलेखों, पत्रकों तथा साक्षात्कार…

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