भगवान श्रीनाथजी के भक्त कुम्भनदास जी

Continue Readingभगवान श्रीनाथजी के भक्त कुम्भनदास जी

एक भक्त थे कुम्भन दास जी, गोवर्धन की तलहटी में रहते थे । एक बार की बात है कि भक्त कुम्भन दास जी भगवान श्रीनाथजी के पास गये जाकर देखा कि श्रीनाथजी अपना मुँह लटकाये बैठे हैं । कुम्भन दास जी बोले - प्रभु क्या हुआ है, मुँह फुलाये क्यों…

जल्दबाजी कर पगडंडियों में न भटकें !!

Continue Readingजल्दबाजी कर पगडंडियों में न भटकें !!

"जीवन" एक वन है, जिसमें "फूल" भी हैं और "काँटे" भी । जिसमें "हरी-भरी सुरम्य घाटियाँ" भी है और "ऊबड़-खाबड़ जमीन" भी । अधिकतर वनों में वन्य पशुओं और वनवासियों के आने_जाने से छोटी-मोटी "पगडंडियाँ" बन जाती हैं । सुव्यवस्थित दीखते हुए भी ये जंगलों में जाकर लुप्त हो जाती…

तेरा विश्वास शक्ति बने, याचना नही

Continue Readingतेरा विश्वास शक्ति बने, याचना नही

हे प्रभो! मेरी केवल एक ही कामना है कि मैं संकटों से डर कर भागूँ नहीं, उनका सामना करूँ। इसलिए मेरी यह प्रार्थना नहीं है कि संकट के समय तुम मेरी रक्षा करो बल्कि मैं तो इतना ही चाहता हूँ कि तुम उनसे जूझने का बल दो। मैं यह भी…

End of content

No more pages to load