बैंक-सहकारिता के पुरोधा ‘भालचन्द्र भांगे’

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आज दुनिया में जहां लोग एक छोटा-सा काम करके भी नाम पाने की इच्छा रखते हैं, वहीं अपने कामों का कही भी प्रचार किये बिना कामों को निरंतर आगे बढ़ाने वाले लोग विरले ही होते हैं। भालचंद्र श्रीनिवास भांगे ऐसे ही विरले लोगों में से एक हैं।

पत्राचार और सहकारी गोंद

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लाला मनसुखदास ने आज आते ही ते से वक्तव्य झाड़ दिया। बोले- ‘सर’! आजकल पत्र लिख्खा बेवकूफी है। मैं उनसे सहगत होते हुए बोला ‘अब पत्र लिखता ही कौन है!’

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