मानव मात्र के आराध्य दाशरथि राम

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भारत ऋषि-मुनियों का देश है। ऋषियों की प्रज्ञा मानवता के संविधान वेद के मन्त्रों का प्रत्यक्ष दर्शन किया करती थी- ऋषय मंत्रद्रष्टार:। उन ऋषियों ने ही भारतभूमि को देवभूमि, यज्ञभूमि, योगभूमि, त्यागभूमि, आर्यभूमि के रूप में कीर्ति प्रदान की है। इस भूमि में उन्होंने जीवन की सम्पूर्णता के, जीवन के सौन्दर्य के दर्शन किये थे।

अब श्रवण कुमार कहां?

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बुढापा व्यक्ति की विवशता होती है। कोई बुढ़ापे को नहीं चाहता मगर बुढ़ापा आता ही है। और उसे सहना, भोगना पड़ता ही है। बुढ़ापा व्यक्ति को निष्क्रिय बना देता है। जैन समाज के तेरापंथ के नवम आचार्य अणुव्रत अनुशास्ता गणाधिपति श्री तुलसी ने कहा था-

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