जीत सदैव धर्म की ही होती है …

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कौरव पक्ष में भी धर्म था उसका नाम विदुर था । पर धर्म को कौरव पक्ष ने सेवक बनाकर रखा था । धर्म की बात नहीं सुनी जाती थी । जब धर्मराज विदुर ने राजा धृतराष्ट्र को सलाह दी कि तुम्हारे पुत्र दुर्योधन इत्यादि कलियुग के रूप हैं अतः युधिष्ठिर…

पुरुषार्थ चतुष्ट्य

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भारतीय संस्कृति में जीवन को सर्व प्रकारेण आनंदपूर्ण मनाने के लिए पुरुषार्थ चतुष्टय-धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की उद्भावना को रखा गया है। सबसे पहले धर्म की अवधारणा है। यदि धर्म को सर्वप्रथम न रखा गया होता, तो ‘अर्थ’ और ‘काम’ के पीछे-पीछे भागते रहने से समाज में अव्यवस्था फैल जाती।

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