भाषा की होली
होली की भाषा और भाषा की होली दोनों में हम माहिर हैं। होली की भाषा की खासियत यह है कि वह बिना किसी के सिखाए आ जाती है और भाषा की होली खेलना इस बहुभाषी देश की फितरत बन गई है। आइये तीन किस्से सुनाए देते हैं-
होली की भाषा और भाषा की होली दोनों में हम माहिर हैं। होली की भाषा की खासियत यह है कि वह बिना किसी के सिखाए आ जाती है और भाषा की होली खेलना इस बहुभाषी देश की फितरत बन गई है। आइये तीन किस्से सुनाए देते हैं-
तपती हुई ग्रीष्म ऋतु के अवसान पर कृष्ण रंग के मेघों को आकाश में उमड़ते-घुमड़ते देखकर पावस ऋतु के प्रारंभ में वर्षा की फुहार से आप्लावित और आनंदित होकर भारतीय लोक जीवन झूम उठता है।