चीन एक ‘अलग-थलग’ और ‘मित्रविहीन’ भारत चाहता है

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क्या भारत, चीन से निपट सकता है? यह प्रश्न बीते छह दशकों से प्रासंगिक है। क्या इस संकट का समाधान उन नीतियों में छिपा है, जिसका अनुसरण मई 2014 से पहले 13 पूर्ववर्ती प्रधानमंत्री कर चुके है?— इसके परिणामस्वरूप ही आज भी 38 हजार वर्ग कि.मी. भारतीय भूखंड पर चीनी…

युद्ध से चुनौतियां बढ़ने के आसार

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भारत द्वारा रूस से सस्ती दर पर कच्चे तेल की खरीद से रूपये को मजबूती मिलेगी और भारतीय विदेशी मुद्रा के भंडार में भी कमी नहीं आएगी। साथ ही, इससे व्यापार घाटे की खाई भी ज्यादा चौड़ी नहीं होगी। भारत की इस कूटनीतिक पहल से अंतरराष्ट्रीय बाजार और दुनिया के देशों में भारत की साख में बढ़ोत्तरी होने की संभावना भी बढ़ी है।

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