मंदी के गिरफ्त में आने के आसार नहीं

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दुनिया के विकसित देश मंदी की गिरफ्त में आने के कगार पर हैं, लेकिन भारतीय अर्थव्यवस्था अभी भी मजबूत बनी हुई है. मंदी के प्रमुख कारकों, चाहे वह जीडीपी हो, चाहे बेरोजगारी दर हो या फिर महंगाई दर, सभी मामलों में भारत दुनिया के विकसित देशों से बेहतर स्थिति में है. साथ ही,अर्थव्यवस्था के दूसरे जरुरी पैमानों पर भी उम्दा प्रदर्शन कर रहा है.

युद्ध से बढ़ेंगी मुश्किल

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रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच चीन और ताइवान में भी गम्भीर स्थितियां पैदा हो गई हैं। चीन और ताइवान सम्पूर्ण विश्व में सेमी कंडक्टर चिप के सबसे बड़े सप्लायर हैं इसलिए यदि इनके बीच युद्ध की स्थिति आती है तो समूचे कम्प्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक और वाहन उद्योग पर उसका विपरीत प्रभाव पड़ेगा। भारत में शीघ्र ही शुरू होने जा रही 5जी सेवाओं पर भी इसके प्रतिकूल प्रभाव पड़ेंगे।

मौद्रिक समीक्षा पर महंगाई का साया

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वैसे,अभी भी समग्र मांग एवं निवेश के लिहाज से अनिश्चितता का माहौल दिखरहा है। विश्व की लगभग सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं अपनी वृद्धि रफ्तार को दुरुस्त करने की को​शिश कर रही हैं और भारत भी मामले में अपवाद नहीं है, लेकिन भारत की अर्थव्यवस्था अन्य देशों की तुलना में ज्यादा मजबूत है। इसलिए, ज्यादा चिंता करने की जरूरत नहीं है। फिर भी,महंगाई के दबाव में भारतीय कंपनियां भी अपने उत्पादों की कीमत बढ़ाने के लिए मजबूर हैं, जिससे महंगाई का बोझ अंतत: ग्राहकों को उठाना पड़ रहा है। 

पूर्वोत्तर भारत को विकसित करने की चुनौती

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हिमालय की वादियों में बसे होने के कारण पूर्वोत्तर राज्यों में भूमि समतल नहीं है, जिसके कारण सड़क और रेल मार्ग से ये राज्य आपस में नहीं जुड़ सके हैं। यहाँ, बिजली, पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा की भी समुचित व्यवस्था नहीं है। आधारभूत संरचना के विकसित नहीं होने के कारण इन प्रदेशों में उद्योग-धंधों का अभाव है। बाजार से ज्यादा दूरी होने की वजह से पूर्वोत्तर राज्यों के किसानों और उधमियों को अपने उत्पादों की या तो वाजिब कीमत नहीं मिल पा रही है या फिर समय पर उत्पादों के बाजार नहीं पहुँच पाने के कारण उन्हें भारी नुकसानउठाना पड़ रहा है।

मंदी की ओर बढ़ती वैश्विक अर्थव्यवस्था?

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कोरोना महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध की काली छाया का असर पूरे विश्व पर पड़ रहा है। तेल की बढ़ती कीमतों का असर अमेरिका जैसे देशों की मुद्रास्फीति पर काफी नकारात्मक असर दिखा रहा है तथा भविष्य में उसके और बिगड़ने की आशंका है, हालांकि भारत पर उसका उतना नकारात्मक असर नहीं पड़ा है और भविष्य में भी उसके स्टेबल रहने की प्रबल सम्भावना है।

युद्ध से चुनौतियां बढ़ने के आसार

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भारत द्वारा रूस से सस्ती दर पर कच्चे तेल की खरीद से रूपये को मजबूती मिलेगी और भारतीय विदेशी मुद्रा के भंडार में भी कमी नहीं आएगी। साथ ही, इससे व्यापार घाटे की खाई भी ज्यादा चौड़ी नहीं होगी। भारत की इस कूटनीतिक पहल से अंतरराष्ट्रीय बाजार और दुनिया के देशों में भारत की साख में बढ़ोत्तरी होने की संभावना भी बढ़ी है।

आर्थिकी के 75 साल

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आज सभी देशों की अर्थव्यवस्था कोरोना महामारी के कारण तहस-नहस हो गई है, जिसमें भारत भी शामिल है। अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार वित्त वर्ष 2020-21 की पहली तिमाही और आगामी तिमाहियों में नकारात्मक वृद्धि दर्ज होने के बावजूद भारत की विकास दर वर्ष 2021 में 11% रहने का अनुमान है।

राष्ट्र निर्माण में वित्तीय संस्थानों की भूमिका

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निज़ी बैंक का मुख्य उद्देश्य मुनाफ़ा कमाना है, जबकि सरकारी बैंकों का उद्देश्य सामाजिक सरोकारों को पूरा करते हुए मुनाफ़ा कमाना है। इसी वजह से देश में समावेशी विकास की संकल्पना को साकार किया जा रहा है। हालांकि, बीते 73 सालों में भारतीय अर्थव्यवस्था काफ़ी मज़बूत हुई है।

वित्तीय बदलावों से होगा सुधार

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नए वित्त वर्ष में सरकार ने आर्थिक क्षेत्र में अनेक बदलाव किये हैं, जिनका सीधा प्रभाव नौकरीपेशा, आमजन और बुजुर्गों पर पड़ा है। हालांकि,ये बदलाव लोगों के वित्तीय जीवन में बेहतरी लाने के लिये किये गए हैं। भविष्य निधि और आयकर के तहत किये जाने वाले बदलावों से सरकार की आय में इजाफा होगा, जिससे सरकार विकास केंद्रित कार्यों को अमलीजामा पहना सकेगी।

स्टार्टअप, उद्यमिता और बैंकिंग को मिलेगी मजबूती

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नए केंद्रीय बजट में ऐसे अनुकूल प्रावधान हैं, जिनसे कोरोना महामारी के नकारात्मक प्रभावों से बैंकिंग क्षेत्र और भारतीय अर्थव्यवस्था को बहुत जल्द उबारने में मदद मिलेगी। स्टार्टअप, उद्यमिता, कृषि, रोजगार और बैंकिंग क्षेत्र की मजबूती के लिए उठाए जा रहे कदमों से अर्थव्यवस्था और अधिक गतिशील होगी।

यूरोपीय यूनियन ने दिया भारत को समर्थन

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अब दो दिवसीय दौरे पर आये यूरोपीय संघ (ईयू) के 23 सांसदों ने भी कहा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाना भारत का आंतरिक मामला है। ईयू के सांसदों ने कहा कि वे वैश्विक आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई लड़ने में भारत के साथ हैं। ईयू के सांसदों के इस बयान को भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है।

बैंकिंग क्षेत्र में सुधार लाने की पहल करता बजट

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मोदी सरकार बैंकिंग क्षेत्र में सुधार लाने के लिए गंभीरता से प्रयास कर रही है। ...सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के पुनर्पूंजीकरण हेतु पूंजी उपलब्ध कराने, आईबीसी के तहत वसूली में तेजी लाने और बैंकों के एकीकरण से बैंकों की सेहत में सुधार आएगा।

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