राष्ट्र स्वाभिमान पुनर्जागरण के पुरोधा वीर सावरकर

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भारतीय स्वाभिमान और स्वातंत्र्य वोध जागरण केलिए यूँ तो करोड़ों महापुरुषों के जीवन का बलिदान हुआ है किन्तु उनमें कुछ ऐसे हैं जिनके जीवन की प्रत्येक श्वाँस राष्ट्र के लिये समर्पित रही । स्वातंत्र्यवीर सावरकर जी ऐसे ही महान विभूति थे जिनके जीवन का प्रतिक्षण राष्ट्र और स्वत्व बोध कराने…

स्वाधीनता संग्राम के महानायक स्वातंत्र्यवीर सावरकर

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भारतीय स्वाधीनता संग्राम के महानायक विनायक दामोदर सावरकर का जन्म महाराष्ट्र के नासिक जिले के भगूर ग्राम में 28 मई 1883 को हुआ था। विनायक के पिता का नाम दामोदर पन्त तथा माता का नाम राधाबाई था। सावरकर जी चार भाई बहन थे। वीर सावरकर न केवल स्वाधीनता संग्राम सेनानी…

बंगभूमि के सपूत क्रांतिकारी रासबिहारी बोस

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बीसवीं सदी के पूर्वार्द्ध में प्रत्येक देशवासी के मन में भारत माता की दासता की बेडियां काटने की उत्कट अभिलाषा जोर मार रही थी। कुछ लोग शान्ति के मार्ग से इन्हें तोड़ना चाहते थे, तो कुछ जैसे को तैसा वाले मार्ग को अपना कर बम-गोली से अंग्रेजों को सदा के…

क्रांतिवीर सुखदेव 

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स्वतन्त्रता संग्राम के समय उत्तर भारत में क्रान्तिकारियों की दो त्रिमूर्तियाँ बहुत प्रसिद्ध हुईं। पहली चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल तथा अशफाक उल्ला खाँ की थी, जबकि दूसरी भगतसिंह, सुखदेव तथा राजगुरु की थी। इनमें से सुखदेव का जन्म ग्राम नौघरा (जिला लायलपुर, पंजाब, वर्तमान पाकिस्तान) में 15 मई, 1907 को…

अल्लूरी सीताराम राजू का बलिदान

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अल्लूरि सीताराम राजू आन्ध्र प्रदेश के पश्चिम गोदावरी जिले के मोगल्लु ग्राम में 4 जुलाई, 1897 को जन्मे थे। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा राजमुंन्दरी व राजचन्द्रपुरम् में हुई। छात्र जीवन में ही उनका सम्पर्क निकट के वनवासियों से होने लगा था। उनका मन पढ़ाई में विशेष नहीं लगता था। कुछ समय…

राष्ट्रप्रेमी पत्रकारिता के अग्रदूत के. नरेन्द्र

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के.नरेन्द्र उन राष्ट्रप्रेमी पत्रकारों में अग्रणी थे, जो देश और धर्म पर होने वाले आक्रमणों के विरुद्ध आजीवन अपने पाठकों को जाग्रत करते रहे। उनका जन्म 24 अप्रैल, 1914 को लाहौर में उर्दू के प्रखर पत्रकार महाशय कृष्ण जी के घर में हुआ था। अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते…

क्रान्ति और सेवा के राही जोगेश चन्द्र चटर्जी

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क्रान्तिवीर जोगेश चन्द्र चटर्जी का जीवन देश को विदेशी दासता से मुक्त कराने की गौरवमय गाथा है। उनका जन्म अखंड भारत के ढाका जिले के ग्राम गोकाडिया, थाना लोहागंज में तथा लालन-पालन और शिक्षा कोमिल्ला में हुई। 1905 में बंग-भंग से जो आन्दोलन शुरू हुआ, योगेश दा उसमें जुड़ गये।…

युवा बलिदानी अनंत लक्ष्मण कान्हेरे

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भारत माँ की कोख कभी सपूतों से खाली नहीं रही। ऐसा ही एक सपूत थे अनंत लक्ष्मण कान्हेरे, जिन्होंने देश की स्वतन्त्रता के लिए केवल 19 साल की युवावस्था में ही फाँसी के फन्दे को चूम लिया। महाराष्ट्र के नासिक नगर में उन दिनों जैक्सन नामक अंग्रेज जिलाधीश कार्यरत था।…

अंग्रेजों की क्रूरता का गवाह जलियाँवाला बाग नरसंहार

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आज जलियाँ वाला बाग नरसंहार को एक सौ चार वर्ष हो गये । इस दिन जनरल डायर के आदेश पर स्त्री बच्चों सहित निर्दोष नागरिकों पर गोलियाँ चलीं थी, और लगातार दस मिनट तक चलतीं रहीं थीं । इसमें तीन सौ से अधिक लोगों का बलिदान हुआ और लगभग डेढ़…

वीर खाज्या एवं दौलतसिंह नायक

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खाज्या नायक अंग्रेजों की भील पल्टन में एक सामान्य सिपाही थे। उन्हें सेंधवा-जामली चैकी से सिरपुर चैक तक के 24 मील लम्बे मार्ग की निगरानी का काम सौंपा गया था। खाज्या ने 1831 से 1851 तक इस काम को पूर्ण निष्ठा से किया।  एक बार गश्त के दौरान उन्होंने एक…

स्वाभिमान और स्वराष्ट्र के लिये जीवन समर्पित

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भारत राष्ट्र के स्वत्व और स्वाभिमान की रक्षा केलिये हुये असंख्य बलिदानों में झलकारी बाई का भी एक ऐसा नाम है जिनका संघर्ष स्वयं के लिये नहीं था । न तो स्वयं के लिये राज्य प्राप्ति की चाह थी और न अपना कोई हित । पर उन्होंने संघर्ष किया और…

सागरपार भारतीय क्रान्ति के दूत श्यामजी कृष्ण वर्मा

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भारत के स्वाधीनता संग्राम में जिन महापुरुषों ने विदेश में रहकर क्रान्ति की मशाल जलाये रखी, उनमें श्यामजी कृष्ण वर्मा का नाम अग्रणी है। चार अक्तूबर, 1857 को कच्छ (गुजरात) के मांडवी नगर में जन्मे श्यामजी पढ़ने में बहुत तेज थे। इनके पिता श्रीकृष्ण वर्मा की आर्थिक स्थिति अच्छी न…

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