क्रांतिकारी पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी का बलिदान 

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सार्वजनिक जीवन या पत्रकारिता में ऐसे नाम विरले हैं जिनका व्यक्तित्व व्यापक है और जो विभिन्न विचारों में समन्वय बिठा कर राष्ट्र और संस्कृति की सेवा में समर्पित रहे हों । ऐसे ही  क्राँतिकारी पत्रकार थे गणेश शंकर विद्यार्थी । उन्हे उनके जीवन में और जीवन के बाद भी सब…

हेमू कालाणी ने जगाया सिंध में देशप्रेम का भाव

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अखंड भारत का सिंध प्रांत वैसे तो सूफियाना अंदाज एवं आध्यात्म के लिए जाना जाता है, परंतु, सिंध प्रांत में व्यापार भी बहुत उन्नत स्तर पर होता रहा है एवं प्राचीन भारत में सिंध प्रांत के निवासी सामान्यतः सुखी, समृद्ध एवं सम्पन्न रहे हैं। साथ ही, भारत माता को अंग्रेजों…

आजाद हिन्द फौज के सेनानी लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट

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द्वितीय विश्व युद्ध में अंग्रेजों एवं मित्र देशों की सामरिक शक्ति अधिक होने पर भी आजाद हिन्द फौज के सेनानी उन्हें कड़ी टक्कर दे रहे थे। लेफ्टिनेंट ज्ञानसिंह बिष्ट भी ऐसे ही एक सेनानायक थे, जिन्होंने अपने से छह गुना बड़ी अंग्रेज टुकड़ी को भागने पर मजबूर कर दिया।  16…

गदरपार्टी के संस्थापक लाला हरदयाल का बलिदान

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सुप्रसिद्ध क्रान्तिकारी और विचारक लाला हरदयाल की गणना उन विरले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में होती है जिन्होंने केवल भारत ही नहीं अपितु अमेरिका और लंदन में भी अंग्रेजों के अत्याचारों के विरुद्ध जनमत जगाया था । लालाजी को अपने पक्ष में करने केलिये अंग्रेजों ने बहुत प्रलोभन दिये । उस…

स्वतन्त्रता सेनानी लाला हरदयाल

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देश को स्वतन्त्र कराने की धुन में जिन्होंने अपनी और अपने परिवार की खुशियों को बलिदान कर दिया, ऐसे ही एक क्रान्तिकारी थे 14 अक्तूबर, 1884 को दिल्ली में जन्मे लाला हरदयाल। इनके पिता श्री गौरादयाल तथा माता श्रीमती भोलीरानी थीं। इन्होंने अपनी सभी परीक्षाएँ सदा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण…

युवा क्रान्तिवीर गोपीमोहन साहा

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पुलिस अधिकारी टेगार्ट ने अपनी रणनीति से बंगाल के क्रान्तिकारी आन्दोलन को भारी नुकसान पहुँचाया। प्रमुख क्रान्तिकारी या तो फाँसी पर चढ़ा दिये गये थे या जेलों में सड़ रहे थे। उनमें से कई को तो कालेपानी भेज दिया गया था। ऐसे समय में भी बंगाल की वीरभूमि पर गोपीमोहन…

सम्बलपुर का क्रांतिवीर सुरेन्द्र साय

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भारत में जब से ब्रिटिश लोगों ने आकर अपनी सत्ता स्थापित की, तब से ही उनका विरोध हर प्रान्त में होने लगा था। 1857 में यह संगठित रूप से प्रकट हुआ; पर इससे पूर्व अनेक ऐसे योद्धा थे, जिन्होंने अंग्रेजों की नाक में दम किये रखा। वीर सुरेन्द्र साय ऐसे…

चंद्रशेखर आजाद, जो सदा आजाद रहे

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भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के सेनानियों में चन्द्रशेखर आजाद का नाम सदा अग्रणी रहेगा। उनका जन्म 23 जुलाई, 1906 को ग्राम माबरा (झाबुआ, मध्य प्रदेश) में हुआ था। उनके पूर्वज गाँव बदरका (जिला उन्नाव, उत्तर प्रदेश) के निवासी थे; पर अकाल के कारण इनके पिता श्री सीताराम तिवारी माबरा में आकर…

वीर सावरकर : इतिहास की काल कोठरी में दमकता हुआ हीरा 

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भारतीय राजनीति में स्वातन्त्र्य वीर विनायक दामोदर सावरकर का नाम सदैव चर्चा में रहता है। मात्र चौदह वर्ष की अल्पायु से अपना जीवन स्वतन्त्रता की बलिवेदी में आहुत कर देने वाले सावरकर। अपने भाई बाबाराव सावरकर सहित पूरे के पूरे परिवार क्रान्तिकारी कार्य में हवन करने वाले सावरकर। जिन्होंने राष्ट्र…

पूरा जीवन तिहरे संघर्ष में बीता

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स्वातंत्र्यवीर विनायक दामोदर सावरकर अकेले ऐसे बलिदानी क्रांतिकारी हैं जिन्हें दो बार आजीवन कारावास हुआ, उनका पूरा जीवन तिहरे संघर्ष से भरा  है । एक संघर्ष राष्ट्र की संस्कृति और परंपरा की पुनर्स्थापना के लिये किया । दूसरा संघर्ष अंग्रेजों से मुक्ति के लिये । और तीसरा संघर्ष भारत के…

स्वतंत्रता के बाद समाज और संस्कृति की प्रतिष्ठा का संघर्ष

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भाई उद्धवदास जी मेहता देश के उन विरले स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों में एक हैं जो दस वर्ष की बालवय में स्वाधीनता संघर्ष केलिये सामने आये और पन्द्रह वर्ष की आयु में बंदी बनाये गये । उनका सारा जीवन समाज, संस्कृति और राष्ट्र की सेवा और संघर्ष में बीता । स्वाधीनता…

विभाजन की विभीषिका में पीड़ितों की सेवा

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स्वाधीनता से पूर्व राष्ट्र और संस्कृति की रक्षा का कार्य तीन प्रकार से हुआ । स्वतंत्रता संघर्ष में सेनानी जेल गये, क्राँतिकारी बलिदान हुये । इस पक्ष से हम सब अवगत हैं किन्तु उस संघर्ष की पृष्ठभूभि में एक और संघर्ष हुआ वह था भारत विभाजन की पृष्ठभूमि में राष्ट्र…

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