भाषा विहीन संस्कृति की ओर
भाषा जातीय संस्कृति की संवाहिका होती है, इस विचार से सभी विद्वान सहमत हैं। अलग-अलग और समाजों की संस्कृति भिन्न-भिन्न होती है। जैसी इसी प्रकार, उस संस्कृति को अभिव्यक्ति प्रदान करने वाली भाषाएं भी भिन्न-भिन्न होती हैं। अत: किसी भाषा का क्षरण और मरण उससे संबंद्ध संस्कृति पर गहरे आघात का सूचक होता हैं।