बेटे बेटियों पर निगरानी, संस्कार से जोड़ने की जरूरत

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देश की राजधानी दिल्ली से अक्सर क्रूरतम घटनाओं के समाचार आते हैं। कभी बेटी तंदूर में जलाई जाती है, कभी निर्भया काँड होता है, कभी छत्तीस टुकड़े किये जाते और अब कार में फँसा कर 12 किलोमीटर तक घसीटा गया है । ये घटनाएँ केवल संबंधित परिवारों को ही दर्द…

व्यापक बुराइयों की चर्चा नहीं समाधान पर कार्य करें

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व्यापक बुराइयों की अधिक चर्चा करने से कुछ लाभ नहीं नहीं । वस्तुस्थिति को हम सब जानते ही हैं । इस चर्चा से चित्त में क्षोभ और संताप ही उत्पन्न होता है । यों भले मनुष्यों का भी अभाव नहीं है वे प्रत्येक क्षेत्र में, बदनाम क्षेत्रों में भी मौजूद…

लोकमानस में श्रेष्ठता वाणी से नहीं आचरण से आती है

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लोकमानस में "सद्ज्ञान" की प्रतिष्ठापना करने का कार्य हमें अपने व्यक्तिगत जीवन में सुधार एवं परिवर्तन करके ही संपन्न करना होगा । प्रवचन और लेख इस कार्य में सहायक तो हो सकते हैं, पर केवल उन्हीं के आधार पर अभीष्ट उद्देश्य की प्राप्ति संभव नहीं । दूसरों पर वास्तविक प्रभाव…

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