दिव्यांग विश्वविद्यालय के निर्माता स्वामी रामभद्राचार्य 

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किसी भी व्यक्ति के जीवन में नेत्रों का अत्यधिक महत्व है। नेत्रों के बिना उसका जीवन अधूरा है; पर नेत्र न होते हुए भी अपने जीवन को समाज सेवा का आदर्श बना देना सचमुच किसी दैवी प्रतिभा का ही काम है। जगद्गुरु रामानन्दाचार्य स्वामी रामभद्राचार्य जी महाराज ऐसे ही व्यक्तित्व…

कलिकाल में हनुमान जी की भक्ति का महत्व

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रामायण युग में दिव्य शक्तियों से परिपूर्ण होकर अवतरित रामभक्त हनुमान जी को कौन नहीं जानता और कौन नहीं मानता ? रामभक्त हनुमान जी सर्वगुण सम्पन्न,बाल ब्रह्मचारी और प्रभु राम तथा उनके भक्तों के कठिन से कठिन कार्य करने के लिए सदा तत्पर हैं । हनुमान जी आज कलयुग के…

थाईलैंड में है श्रीराम पुत्र कुश के वंशजों का राज

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भारत के बाहर थाईलैंड में आज भी संवैधानिक रूप में राम राज्य है l वहां भगवान राम के छोटे पुत्र कुश के वंशज राज्य कर रहे हैं , जिन्हें राम कहा जाता है l भगवान राम का संक्षिप्त इतिहास वाल्मीकि रामायण एक धार्मिक ग्रन्थ होने के साथ एक ऐतिहासिक ग्रन्थ…

कहाँ है दशानन रावण की सुवर्णमयी लंका

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विरोधाभास और मतभिन्नता भारतीय संस्कृति के मूल में रहे हैं। यही इसकी विशेषता भी है और कमजोरी भी। विशेषता इसलिए कि इन कालखंडों के रचनाकारों ने काल और व्यक्ति की सीमा से परे बस शाश्वत अनुभवों के रूप में अभिव्यक्त किया है। इसीलिए वर्तमान विद्वान रामायण और महाभारत के घटनाक्रमों,…

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