संत रविदास जी पर मेरी एक कविता
मैं कठौती की गंगा मैं सीधा मेरूदंड मैं अगरबत्ती का गंध धूम मैं ज्योति शिखा निषकम्प मैं विनय मै अभय मैं कठौती की गंगा अध्यात्म मेरा पुरुषार्थ मैं ममता समता के हितार्थ मैं भक्ति का छंद मैं निष्ठा अनुबंध श्रम में राम राम में श्रम मेरा पराक्रम पारस पत्थर नहीं…