मन ही वैरी और मन ही मित्र है !!

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अंतःकरण में ज्ञान, आँखों में वैराग्य और मुख में भक्ति रखो तो दुनिया में नहीं फँसोगे। मन को संसार के विषयों से निकालकर अंतर्मुख करो, तब सभी वासनाएँ मिट जायेंगी, विकार दूर हो जायेंगे। दुनिया में कोई किसीका वैरी नहीं है। मन ही मनुष्य का वैरी और मित्र है। कोई…

गुरु बिन भ्रम ना जासी

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गुरु के सत्संग के प्रहार से व्यक्ति के जीवन में प्रकाश आता है। लेकिन वर्तमान में शिक्षा और अध्यात्म व्यापार बन गया है, ऐसे में नैतिक मूल्यों की शिक्षा देने वाले गुरुओं की तलाश करना हमारे लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है। सच्चे गुरु की आज भी उतनी ही दरकार है, जितनी पहले थी।

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