चारा घोटाला में लालू यादव को सजा के मायने

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बहुचर्चित चारा घोटाले का यह पांचवां मामला है जिसमें बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और पूर्व केंद्रीय रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव दोषी करार दिए गए।

झारखंड के डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ 35 लाख रुपए की अवैध निकासी में 75 लोग दोषी पाए गए। इसके पूर्व देवघर,  चाईबासा, डोरंडा कोषागार का एक मामला और दुमका मामले में उन्हें सजा हो गई थी। पिछले वर्ष मिली जमानत पर हुए अभी बाहर थे। पूरा मामला न्यायालय में जिस दिशा में जा रहा था उसमें साफ था कि लालू यादव भले जमानत पर छूटे हो लेकिन उन्हें राहत नहीं मिलने वाली। वास्तव में चारा घोटाले में सजा के कारण ही लालू यादव चुनावी राजनीति से बाहर हो गए।

जुलाई 2013 में उच्चतम न्यायालय ने अपने महत्वपूर्ण फैसले में 2 वर्ष से ज्यादा सजायाफ्ता के लिए चुनाव लड़ने का निषेध कर दिया। लालू यादव को सितंबर 2013 में सजा मिली और वह वंचित हो गए। अगर उच्चतम न्यायालय का फैसला नहीं होता तो वे जेल के अंदर से भी चुनाव लड़ते और इस समय शायद राजनीति में एक सांसद या विधायक के विशेषाधिकार के साथ सक्रिय होते।सच कहा जाए तो चारा घोटाले में मिली सजा ने लालू यादव का व्यक्तिगत राजनीतिक कैरियर नष्ट कर दिया। यही नहीं बिहार की राजनीति में भी इसने परिवर्तनकारी भूमिका निभाई तथा राष्ट्रीय राजनीति तक इसकी प्रतिध्वनि पहुंची।

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950 करोड़ का चारा घोटाला और 26 साल से चल रही जांच, लालू यादव दोषी करार

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साल 2022 एक बार फिर से लालू यादव के लिए हितकारी नहीं होने वाला है। रांची की सीबीआई कोर्ट ने लालू को चारा घोटाले मामले में दोषी करार दिया है जिस पर 21 फरवरी को फैसला सुनाया जाएगा। चारा घोटाले में इससे पहले भी सुनवाई हुई है जिसमें लालू यादव…

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