950 करोड़ का चारा घोटाला और 26 साल से चल रही जांच, लालू यादव दोषी करार

साल 2022 एक बार फिर से लालू यादव के लिए हितकारी नहीं होने वाला है। रांची की सीबीआई कोर्ट ने लालू को चारा घोटाले मामले में दोषी करार दिया है जिस पर 21 फरवरी को फैसला सुनाया जाएगा। चारा घोटाले में इससे पहले भी सुनवाई हुई है जिसमें लालू यादव को दोषी करार दिया गया था। मंगलवार को डोरंडा कोषागार से 139.35 करोड़ के गबन पर सुनवाई हुई और कोर्ट ने लालू यादव सहित 35 लोगों को इस मामले में भी दोषी करार दिया जबकि 24 लोगों को बरी किया गया है। लालू यादव ने इस घोटाले के आरोप में कई सालो की सजा काट ली है जिससे बाद यह अनुमान है कि अगर लालू यादव को 3 साल से कम की सजा होती है तो उन्हें कोर्ट से ही जमानत मिल जाएगी।  

चारा घोटाले में कुल 177 लोगों को आरोपी बनाया गया था जिसमें से 55 लोगों की मौत हो चुकी है जबकि 7 लोग सरकारी गवाह बन चुके है 6 लोग फरार चल रहे है और 2 लोगों ने अपना आरोप स्वीकार कर लिया है। कोर्ट ने लालू यादव, जगदीश शर्मा, ध्रुव भगत, बेक जूलियस और डॉक्टर के. एम. प्रसाद को मुख्य आरोपी बनाया है। इन सभी के खिलाफ 2001 में चार्जशीट दायर की गयी थी जबकि 2005 में सभी पर चार्ज फ्रेम हुआ था। चारा घोटाले के कुल 5 मामले थे जिसमें से यह अंतिम मामला था इससे पहले सभी चार मामलों में कोर्ट ने लालू यादव को दोषी करार दिया है। चाईबासा कोषागार केस में 7 साल की सजा, दुमका कोषागार केस में 5 साल, देवघर कोषागार केस में 4 साल और डोरंडा कोषागार केस में आरोपी बनाया गया है।    

बिहार का चारा घोटाला अभी तक का सबसे बड़ा घोटाला रहा है जो लालू यादव के शासनकाल में हुआ था। मुख्यमंत्री लालू यादव की सरकार में पशुओं को खिलाए जाने वाले चारे के नाम पर 950 करोड़ रुपये गैरकानूनी तरीके से निकाल लिए गये थे। इस घोटाले का खुलासा हुआ तो तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव को इस्तीफा देना पड़ा। 1996 में हुए इस घोटाले की वजह से देश की विश्व स्तर पर बदनामी भी हुई थी और विदेशी मीडिया ने भी इस खबर को कवर किया था। करीब 2 दशक तक इसकी जांच चली और दर्जनों लोग इसमें शामिल पाये गये। लालू यादव व पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र पर भी घोटाले का आरोप लगा। लालू यादव व जगदीश शर्मा को घोटाले में शामिल होने के बाद लोकसभा से अयोग्य ठहराया गया और इन पर 11 साल के लिए लोकसभा चुनाव लड़ने पर बैन लगा दिया गया। लालू यादव देश के पहले नेता हैं जिनकी लोकसभा सदस्यता छीन ली गयी।  

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