क्रांतिवीर सुखदेव 

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स्वतन्त्रता संग्राम के समय उत्तर भारत में क्रान्तिकारियों की दो त्रिमूर्तियाँ बहुत प्रसिद्ध हुईं। पहली चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल तथा अशफाक उल्ला खाँ की थी, जबकि दूसरी भगतसिंह, सुखदेव तथा राजगुरु की थी। इनमें से सुखदेव का जन्म ग्राम नौघरा (जिला लायलपुर, पंजाब, वर्तमान पाकिस्तान) में 15 मई, 1907 को…

कैसा था भगत सिंह के सपनों का भारत

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23 मार्च 1931 को भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव थापर ने देश की आजादी के लिए फांसी के फंदे को स्वीकार कर लिया था और शायद मन में सपना लिए उस पर झूल गए कि आने वाला भारत आजाद होगा और वहां सभी सुख, चैन व भाई चारे से…

भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव, आजादी के दिवाने!!

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भारत में आजादी के 75 वर्षो के अवसर पर सभी ओर “आजादी का अमृत महोत्सव ” मनाया जा रहा है लेकिन यह आजादी मिली कैसी जो आज हम इस महोत्सव को मना रहे हैं इस आजादी के अमृत महोत्सव को वर्तमान परिदृश्य में मनाने तक के सफर में ना जाने…

शहीद दिवस: आखिर अंग्रेजों के निशाने पर क्यों थे भगत सिंह?

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देश की आजादी में लाखों लोगों ने अपना योगदान दिया है जिसमें से कुछ को दुनिया जानती है और कुछ को नहीं, कुछ लोगों को देश का बड़ा राष्ट्रभक्त कहा गया जबकि कुछ गुमनाम ही रह गये। यह कहना गलत नहीं होगा कि उस समय भी राजनीति हुई और तमाम…

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