‘आनंदमठ ‘ : वंदे मातरम् का अमर गान

Continue Reading‘आनंदमठ ‘ : वंदे मातरम् का अमर गान

'आनंदमठ ' अपने समय के श्रेष्ठतम उपन्यासों में से है। कथानक प्लासी के युद्ध के बाद का है जब बंगाल में मुस्लिम नवाबशाही और अंग्रेजों का संयुक्त शासन था। कहानी संतानों के सन्यासी विद्रोह की है। संतान कौन?वही जो वंदे मातरम् का अमर गान करते हुए जन्मभूमि के लिए प्राणोत्सर्ग…

मजदूरों के मसीहा ठाकुर प्यारेलाल सिंह

Continue Readingमजदूरों के मसीहा ठाकुर प्यारेलाल सिंह

देश की आजादी के लिए लाखों लोगों ने अपना बलिदान दिया है। कुछ लोगों के अलावा दुनिया किसी को नहीं जानती है जबकि ऐसे लोगों की संख्या अधिक है जिन्होंने देश के लिए बड़ा योगदान दिया लेकिन उनके बलिदान का कोई प्रचार नहीं हो सका। तत्कालीन अंग्रेजी सरकार ने उनके…

‘आनंदमठ’ हिन्दुओं की संघर्षगाथा

Continue Reading‘आनंदमठ’ हिन्दुओं की संघर्षगाथा

बंकिम बाबू रचित "आनंदमठ" बंगाल के दुर्भिक्ष और आक्रांता राज के शोषण के कालखंड की सत्यकथा है, जिसे अक्सर लोग "संन्यासी विद्रोह" कहकर भी पुकारते हैं; मगर मेरी दृष्टि में यह संन्यासी आंदोलन या विद्रोह नहीं था बल्कि यह कालखंड "संन्यासी जागरण" था। जिसमें जाग्रत सन्यासियों ने अपने तेज से बाकी समाज…

End of content

No more pages to load