गौरक्षक पर कसाइयों का प्राणघातक हमला

देश की आर्थिक राजधानी महानगर मुंबई के समीप बदलापुर क्षेत्र में स्थित अवैध कत्लखानों में से गायों को बचाने के लिए गए गौरक्षक चेतन शर्मा पर कसाइयों की भीड़ ने प्राणघातक हमला कर दिया।इस सनसनीखेज वारदात के बाद से ही पुलिस की भ्रष्ट गतिविधियों पर प्रश्नचिन्ह लग गया है।
प्राप्त जानकारी के अनुसार 300 से 400 कसाई समर्थकों की भीड़ ने पुलिस के घेरे में से निकाल कर गौरक्षक चेतन शर्मा पर जानलेवा हमला किया और उसे अधमरा कर दिया।चेतन शर्मा के सिर पर लोहे की रोड से हमला किया गया जिससे उसके सर पर गम्भीर चोट आई है।चारों ओर से हो रहे आक्रमण से अपनी जान बचाने के लिए चेतन शर्मा ने अपनी बंदूक से हवा में फायरिंग की।तब कही जाकर कसाई थोड़ा पीछे हटे और मौका मिलते ही पुलिस ने घायल अवस्था में ही चेतन शर्मा को अपनी गाड़ी में बिठा कर ले जाने लगे।तभी पुनः कसाइयों की भीड़ दौड़ कर आई और फिर से हमला कर दिया।पुलिस ने किसी तरह वहां से गाड़ी बाहर निकाली और वहां से भागने लगे।इसके बाद भी हिंसाप्रेमी कसाइयों का गुस्सा शांत नहीं हुआ और उन्होंने लगभग 25 किलोमीटर से अधिक तक गाड़ी का पीछा किया।आखिरकार जद्दोजहद के बीच पुलिस ने अंबरनाथ के एक अस्पताल में भर्ती कराने का निर्णय लिया।उसी समय ‘ पीपल फ़ॉर एनिमल ‘ के कार्यकर्ता वहां पहुंच गए और अस्पताल ने गम्भीर रूप से घायल चेतन शर्मा को तुरंत किसी अन्य अस्पताल में ले जाने की सलाह दी।जिसके बाद डोम्बिवली के नेप्च्यून अस्पताल में चेतन शर्मा को इलाज के लिए भर्ती कराया गया।जहां उनका उपचार आईसीयू में किया जा रहा है।उनकी हालत नाजुक बताई जा रही है।
◽पुलिस की संदिग्ध भूमिका
बता दें कि गाय को बचाने के लिए गौरक्षक चेतन शर्मा बाकायदा पुलिस की टीम लेकर कत्लखाने की ओर गए थे।जिसमें 40 से 50 पुलिसकर्मी शामिल थे।इसके बावजूद बुलंद हौसलों के दम पर कानून को हाथ में लेकर कसाइयों के भीड़ ने पुलिस के बीच जाकर चेतन शर्मा को मारा-पीटा और प्राणघातक सशस्त्र हमला किया।पुलिस केवल मूकदर्शक की भूमिका अदा करती रही।पुलिस ने भीड़ को रोकने के लिए लाठीचार्ज तक नहीं किया।पुलिस द्वारा कड़ा एक्शन नहीं लेने के कारण दंगाइयों के हौसले बढ़े और उन्होंने पुलिस के साथ भी दुर्व्यवहार एवं हाथापाई की।पुलिस केवल खानापूर्ति के लिए आम लोगों की तरह बीच बचाव की भूमिका में दिखाई दी।इसके बाद भी बार-बार हो रहे हमले का प्रतिकार करने के लिए पुलिस ने अतिरिक्त पुलिस फोर्स घटना स्थल पर क्यों नही बुलाये ? और दंगाइयों को गिरफ्तार क्यों नहीं किया गया ? इसके अलावा पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ हल्की धाराओं में मामला दर्ज किया है।क्या स्थानीय पुलिस आरोपियों को नही पहचानती ? ऐसे अनेकों सवालों के जवाब पुलिस को देने होंगे।
◽अवैध कत्लखानों और कसाइयों को पुलिस का संरक्षण
महाराष्ट्र में गोवंश हत्या बंदी कानून लागू है।इसके बावजूद पुलिस के साथ आर्थिक व्यवहार कर चोरी छिपे गोवंश की तस्करी और अवैध कत्लखानों में उनकी हत्या गैरकानूनी रूप से जारी है।महाराष्ट्र के कई जिलों और मुस्लिम बहुल क्षेत्रों में खुलेआम अवैध कत्लखाने चलाये जा रहे है तथा उनमें गोवंश हत्या की जा रही है।कसाइयों का मनोबल बढ़ाने में पुलिस का सबसे बड़ा हाथ है।बीफ माफिया और पुलिस के मिलीभगत की स्वतंत्र जांच होनी चाहिए और दोषी पाए जाने वाले भ्रष्ट पुलिसकर्मियों को तत्काल पद से बर्खास्त करना चाहिए।
◽पीपल फ़ॉर एनिमल संस्था ने किया विरोध प्रदर्शन
गौरक्षक चेतना शर्मा पर हुए प्राणघातक हमले के खिलाफ पीपल फ़ॉर एनिमल संस्था के लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया।उक्त संस्था के साथ अनेक संगठनों ने ठाणे के सहायक पुलिस आयुक्त से भेंट कर कार्रवाई की मांग की।सभी कसाइयों के खिलाफ कार्रवाई करने का आश्वासन सहायक पुलिस आयुक्त ने दिया है।
ज्ञात हो कि बदलापुर स्थित अवैध कत्लखानों में गोवंश हत्या की जाती है।ऐसी चर्चा कई महीनों से क्षेत्र में चल रही थी।प्राणी मित्र,गोसेवक,गौरक्षक और अनेक समाजसेवी संगठनों ने इस ओर पुलिस सहित सभी का ध्यान आकर्षित कराया।बावजूद इसके किसी भी प्रकार की ठोस कार्रवाई नही की गई।परिणामतः पुलिस के मौन संरक्षण में फल – फूल रहे कसाइयों ने बुलन्द हौसलों का परिचय दिया और चेतन शर्मा पर प्राण घातक हमला कर अपने मंसूबे जता दिए।
अवैध कत्लखानों पर कार्रवाई करने के लिए हम गए।पुलिस की गाड़ियां आती देख कत्लखानों के समीप स्थित मोहल्लों से लोग जमा होने लगे।चेतन शर्मा को हमारे साथ देख कर वे लोग हमारी ओर बढ़ने लगे और चेतन शर्मा पर उन्होंने हमला कर दिया।मार – पिट से बचने के लिए डरकर चेतन शर्मा ने हवा में फायरिंग की।उसके बाद हमने तुरन्त भीड़ में से चेतन शर्मा को बाहर निकाला क्योंकि यह जवाबदारी हमारी थी।अब हमने हमलावरों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है।
– लक्ष्मण सारिपुत्र,वरिष्ठ पुलिस निरीक्षक,बदलापुर पुलिस ठाणे

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  1. सचिन उदगीरकर

    पारदर्शक कारवाई ची ग्वाही देणाऱ्या मुख्यमंत्र्यांच्या नाकाखाली गृह विभागात हे प्रकार सर्रास चालु आहेत

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