हिंदी विवेक
  • Login
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
No Result
View All Result
हिंदी विवेक
No Result
View All Result
28 मार्च से होंगे भगवान राम, लक्ष्मण और माता सीता के दर्शन

रामायण: अधःपतन की अवधि में फिर से खड़े होने का विश्वास

by अमोल पेडणेकर
in ट्रेंडींग, सामाजिक
0

रामायण ….महर्षि वाल्मीकि की दिव्य प्रतिभा से प्रसवित एक विलक्षण साहित्यिक सृजन है। विश्व साहित्य में इसकी कोई तोड़ नहीं है। यह भारतीयों की मानवता को अनमोल देन है।  भौतिकता के शिखर पर आरूढ और आधुनिकता की जानलेवा स्‍पर्धा में उतरे विश्व के समक्ष भारत आज भी सिर ऊंचा कर खड़ा है। इस तरह की अनेक असाधारण महत्व की विशेषताएं भारत की खासियत है। उसमें से एक है प्रभु श्रीरामचंद्र जैसे मर्यादा पुरुषोत्तम का भारत में जन्म। महर्षि वाल्‍मीकि जैसे सिद्धहस्त कलमयोगी की  दिव्य कलम से रामायण जैसा महान सांस्कृतिक ग्रंथ निर्माण हुआ है। इसी अद्भुत कारण हजारों वर्षों से भारत की वैभवपूर्ण सांस्कृतिक परंपरा में गणना होती है। और यही नहीं, आगे अनादि-अनंत काल तक वह विस्तृत होती ही रहेगी।

रामायण का महत्व भारत में बहुत प्राचीन समय से ही स्वीकार किया जाता रहा है। वह हिंदुओं को वेद जैसा ही पवित्र और प्रिय है। वाल्‍मीकि रामायण के मानजाति के लिए सर्वव्यापी महत्व को विशद करते हुए स्‍वयं बह्मदेव वाल्‍मीकि को वरदान देते हुए कहते हैं, ‘‘तुम्‍हारे इस महाकाव्य का एक भी शब्द झूठा साबित नहीं होगा। तुमने राम की पवित्रता स्पष्ट करने वाली श्लोकबद्ध कथा निर्माण की है। जब तक धरती पर नदियां व पर्वत हैं तब तक तेरा यह महाकाव्य विश्व का मार्गदर्शन करता रहेगा। जब तक तेरा यह महाकाव्य दुनिया में रहेगा तब तक तू  इस विश्व में सर्वत्र संचार करता रहेगा।’’  आगे वे यह भी कहते हैं, ” धर्म को बढ़ाने वाला, यश देने वाला, आयु बढ़ाने वाला व समस्त मानव जाति को धर्म की विजय के लिए पराक्रम की स्फूर्ति देने वाला महर्षि वाल्‍मीकि का यह महान काव्य विश्व को हमेशा संकटों से मुक्त करने वाला साबित होगा। ”

महर्षि वाल्‍मीकि ने स्‍वयं कहा है, ‘‘रामायण कोई सामान्य काव्य नहीं है, बल्‍कि हर व्यक्‍ति, समाज, राष्‍ट्र व विश्व के जीवन विकास का मार्गदर्शक तत्व है। जीवसृष्टि के जीवन मार्ग को प्रज्वलित करने वाला वह एक महान दीपस्‍तंभ है। रामायण तो त्रिभुवन में  विश्वास जगाने की सामर्थ्य देने वाला एक महान ग्रंथ है।”

इतिहास काल से अब तक के घटनाक्रमों पर ध्यान दें तो महर्षि वाल्‍मीकि का यह कथन एकदम सही साबित होता दिखाई देगा। भारत के राजनीतिक, सामाजिक व आध्यात्मिक व्यावहारिक और पारिवारिक जीवन पर रामायण का प्रभाव दिखाई देता है। कुछ और पीछे चलें तो उसकी गहराई अनुभव होगी। फिलहाल मानवी जीवन उलझनों और भागमभागी में उलझता दिखाई देता है। ऐसे दौर में किसी एक आदर्श बिंदु का उल्‍लेख करना हो तो सीधे प्रभु रामचंद्र के जीवन आदर्श के विभिन्न पहलुओं की ओर दिशानिर्देश करना होगा। भारतीय संस्कृति को विश्व में क्‍या निर्माण करना है? इसका जवाब रामायण से मिलता है।  भारतीय  समाज जब-जब सामाजिक और धार्मिक पतन की सीमारेखा पर आया तब-तब भारतीयों में सामाजिक और राष्ट्रीय भावनाओं को जगाने में रामायण कारगर रहा है। इसके लिए भारत के तत्‍कालीन समाज मनीषियों ने रामायण का उपयोग किया है। जब जुल्‍मी मुस्लिम शासकों के शिकंजे में फंस कर हिंदू समाज का नैतिक अधःपतन हो रहा था, तब संत एकनाथ ने लोकभाषा में रामायण का भावार्थ रूप से प्रचार किया है। जब सम्‍पूर्ण उत्तर भारत मुस्लिमों के शासन में पिसा जा रहा था और सामाजिक, सांस्कृतिक आणि धार्मिक दृष्टि से अधःपतन की गर्त में फंस गया था तब धर्म, तत्वज्ञान, नैतिकता व सामाजिक  दृष्टि से आदर्श जीवन राम कथा के माध्यम से संत तुलसीदास ने सीधे जनभाषा के जरिए समाज के समक्ष रखा। उत्तर भारत में हिंदू धर्म और राष्ट्रीय भावना पिछली कुछ सदियों में फिर से प्रज्वलित  हुई है। इसमें तुलसी के रामचरित मानस का बहुत बड़ा योगदान है। इसीलिए उत्तर भारत में रामचरित मानस को वेद जैसा ही महत्व दिया जाता है। राष्ट्रीयत्व, धर्मप्रेम, स्वराज्य का उदात्त ध्येयवाद महाराष्ट्र में निर्माण करने के लिए संत समर्थ रामदास ने रामायण का उत्तम उपयोग किया है। इसलिए जीवन के सभी स्तरों पर आदर्श स्थापित करने वाले, हिंदवी स्वराज्य की स्थापना करने वाले, हिंदुओं का लुप्तप्राय विश्वास फिर से जगाने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज महाराष्‍ट्र में निर्माण हो सके।

प्रभु श्रीरामचंद्र ने एकवचनी, सत्यवचनी, कर्तव्यरत और एक पत्‍नीव्रती रहने का जीवन आदर्श स्वयं अपने जीवन में उतारा।  व्यक्ति, परिवार, समाज, राष्ट्र आणि वैश्विक स्तर पर किस तरह नियमों का प्रतिपालन किया जाना चाहिए इसका मार्गदर्शन प्रभु रामचंद्र के जीवन से मिलता है। समाज में केवल राज्य निर्मित करने से नहीं चलता। एक महान जीवन दृष्टि पर आधारित, एक जीवनसूत्र में बंधे राष्ट्र का निर्मित होना जरूरी होता है। श्रीराम के आदर्श के रूप में इस तरह का राज्य भूतकाल में निर्माण हुआ है। इसलिए आज भी रामायण एक शक्ति है। हम पीछे मुड़ कर देखें तो दिखाई देगा कि रामायण ने अधःपतन की ओर जा रहे मानव समाज को और भारतीयों को निरंतर मार्गदर्शन किया है। रामायण में दीपस्तंभ की तरह अखिल मानव जाति का मार्गदर्शन करने की सामर्थ्य रामायण में निस्‍संदेह रूप से है। विश्व को उपहार देने जैसा बहुत कुछ भारत के पास है। इन गुणों के आधार पर ही भारत भविष्य में विश्वगुरु के पद पर पुनः आसीन होगा, यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विश्वास है। इसकी पृष्ठभूमि में भारत को प्राप्त दैवी सम्पदाओं में रामायण भी एक महान सम्‍पदा है।

इस बीच रामायण पर अनुसंधान करने वाली एक रूसी महिला से मुलाकात हुई थी। रामायण के बारे में बोलते हुए उन्होंने स्पष्ट कहा था कि, ‘‘भारत की भूतकाल की तिजोरी में विश्व को देने लायक अनेक अनमोल रत्न हैं। उनमें रामायण एक महान ग्रंथ है। हमारी रूसी भाषा में रामायण का अनुवाद हो चुका है। रामायण का जीवन आदर्श स्‍वीकार करने के बारे में रूसी समाज का आग्रह है।”

भारत विश्व को क्‍या दे सकेगा? आज विश्व के आर्थिक शोषण के लिए, अपने साम्राज्य विस्तार के लिए दुनिया को को बंधक बनाने वाले चीन जैसे साम्राज्यवादी देश को हम देख रहे हैं। लाखों लोगों को मौत के मुंह में ढकेलने वाले चीन जैसे साम्राज्यवादी राष्ट्र पर गौर करें तो यह विश्वास जगता है कि विश्व को देने के लिए भारत के पास बहुत कुछ है।  अपनी जनता की रक्षा के लिए सत्ता और शक्‍ति का उपयोग करने वाला, सत्ता और सम्पत्ति का अपने लिए उपयोग करने की स्वप्न में भी कल्पना न करने वाला अद्भुत  व्यक्तित्व  राजा श्रीरामचंद्र के रूप में भारत ने विश्व को दिया है। सत्ता, सम्पत्ति, सुख का स्वामित्व अपने पास ही रखने की लालसा रखने वाला और उसके लिए लाखों लोगों को बलि चढ़ाने वाला चीन जैसा देश विश्व के मानचित्र पर दिखाई दे रहा है। अधिकारों की परिभाषा का उपयोग कर सम्‍पत्ति और सुख का अपने स्वयं के लिए अतिरेकी उपभोग न करने का जीवन का तत्वज्ञान अपने आचरण में लाने वाली कई विभूतियां भारत में पैदा हुई हैं जैसे प्रभु रामचंद्र, छत्रपति शिवाजी महाराज, लाल बहादुर शास्त्री से वर्तमान में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। भारत की अनमोल संस्कृति के कारण ही यह संभव हो सकता है।

दो विश्वयुद्ध के प्रहार विश्व झेल चुका है। वर्तमान में वैश्विक स्तर पर जो जानलेवा घटनाक्रम जारी है उसे देखें तो निकट भविष्‍य में इस मानवजाति का संहार करने का खतरा पैदा हो सकता है इस तरह का माहौल फिलहाल तो कहीं दिखाई नहीं देता। कोरोना महामारी के रूप में चीन जैसे लालची देश की साम्राज्य विस्‍तार की अघोरी मंशा विश्व के सामने प्रकट हो चुकी है। ऐसे समय में सम्‍पूर्ण विश्व को इस विनाश से कैसे बचाए? इससे सारा विश्व चिंता में हैं. अखिल मानवता के समक्ष उत्पन्न इस कठिन प्रश्न का उत्तर भारतीय तत्त्वज्ञान दे सकता है। भारतीय चिंतन में उत्पन्न अनेक महान विभूतियों में से श्रीराम, श्रीकृष्ण, छत्रपति शिवाजी महाराज, महाराणा प्रताप के दिव्य जीवन का वर्तमान मानवी जीवन में आविष्कार होना जरूरी है। चीन जैसा विश्व के सिर पर हाथ रख कर सम्‍पूर्ण विश्व को भस्म  करने की लालसा रखने वाला भस्मासुर विश्व को विनाश के मार्ग पर ले जा रहा है। हमारे राष्ट्र जीवन में अपनी दिव्य प्रतिभा के माध्यम से जीवन के मार्गदर्शक तत्वों का आविष्कार करने वाले प्रभु श्रीराम जैसी अनेक महान विभूतियां जन्म पाई हैं। इस सच्चाई के स्मरण से ही हमारे मन में भारतीय होने के बारे में गर्व उत्पन्न होता है। इसी तरह आज की अधःपतन की अवधि में फिर से खड़े होने का विश्वास भी जगाती है। कोरोना वायरस के प्रभाव-काल में भारतीय जनमानस का मनोबल टूटता दिखाई दे रहा है। उसे रोकने के लिए भारत सरकार ने इस अवधि में रामायण और महाभारत जैसी मालिकाओं का पुनः प्रसारण शुरू किया है। यह अत्यंत हर्ष का विषय है। हम मानते हैं कि रामायण के शाश्वत जीवन मूल्यफिर से खड़े होने का हम में विश्वास अवश्य जगाएंगे।

Share this:

  • Twitter
  • Facebook
  • LinkedIn
  • Telegram
  • WhatsApp
Tags: breaking newshindi vivekhindi vivek magazinelatest newstrending

अमोल पेडणेकर

Next Post
संघ ने फिर दिखाया देश प्रेम, विद्या भारती ने 100 स्कूलों को बनाया आईसोलेशन सेंटर

संघ ने फिर दिखाया देश प्रेम, विद्या भारती ने 100 स्कूलों को बनाया आईसोलेशन सेंटर

Leave a Reply Cancel reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

हिंदी विवेक पंजीयन : यहां आप हिंदी विवेक पत्रिका का पंजीयन शुल्क ऑनलाइन अदा कर सकते हैं..

Facebook Youtube Instagram

समाचार

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लोकसभा चुनाव

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

लाइफ स्टाइल

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

ज्योतिष

  • मुख्य खबरे
  • मुख्य खबरे
  • राष्ट्रीय
  • राष्ट्रीय
  • क्राइम
  • क्राइम

Copyright 2024, hindivivek.com

Facebook X-twitter Instagram Youtube Whatsapp
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वाक
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण
  • Privacy Policy
  • Terms and Conditions
  • Disclaimer
  • Shipping Policy
  • Refund and Cancellation Policy

copyright @ hindivivek.org by Hindustan Prakashan Sanstha

Welcome Back!

Login to your account below

Forgotten Password?

Retrieve your password

Please enter your username or email address to reset your password.

Log In

Add New Playlist

No Result
View All Result
  • परिचय
  • संपादकीय
  • पूर्वांक
  • ग्रंथ
  • पुस्तक
  • संघ
  • देश-विदेश
  • पर्यावरण
  • संपर्क
  • पंजीकरण

© 2024, Vivek Samuh - All Rights Reserved

0