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आत्मनिर्भर भारत अभियान

आत्मनिर्भर भारत अभियान

by प्रो. श्रीराम अग्रवाल
in ट्रेंडींग, मई - सप्ताह चार
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‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी का तथा भारत के उद्योगियों, किसानों तथा मजदूरों के लिए एक विराट सम्बल का काम करेगा, जिससे वे गिरकर हताश होने के स्थान पर, उठकर, खड़े होकर, नई ताकत से पुन: दौड़ पड़ेंगे- ‘उत्तिष्ठ, जाग्रत, चरैवेति-चरैवेति-चरैवेति।’

वैश्विक कोरोना महासंकट पर भारत में अभूतपूर्व सफल नियंत्रण के आत्मविश्वास से भरे, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दिनांक 12 मई 2020 को राष्ट्र के प्रति अपने सम्बोधन में, केवल राष्ट्र को ही नहीं, सम्पूर्ण विश्व को एक युगांतकारी संदेश दिया। हमें केवल आर्थिक विकास नहीं बल्कि मानव के सम्पूर्ण विकास के लिए लक्ष्य निर्धारित करने होंगे। केवल आत्मकेन्द्रित आत्मनिर्भरता नहीं, अपितु परस्परावलम्बी आत्मनिर्भरता की रणनीति अपनानी होगी। परंतु कोरोना महामारी पर प्रभावी नियंत्रण के लिए, राष्ट्र को बड़ी कीमत चुकानी पड़ी है।

‘जान है तो जहान है’ यह अमृत वाक्य था, हमारे प्रधानमंत्री का, पहले लॉकडाउन की घोषणा के समय। पिछले 2-3 महीनों से उत्पादन, बाजार, रेल, यहां तक की सड़कों पर आवाजाही भी बंद रही। राष्ट्रीय आय के सभी स्रोत, उत्पादन शुल्क, आयात-निर्यात शुल्क, जी.एस.टी., यहां तक कि आयकर की आमद भी बंद। दूसरी ओर कोविड-19 से निपटने के लिए महायुद्ध स्तर की तैयारी। नए अस्पताल, टेस्टिंग किट, पी.पी.ई. किट के उत्पादन और दवाइयों की भरपूर मात्रा, दूसरे देशों के नागरिकों के इलाज के लिए भेजने लायक भी। सम्पूर्ण प्रशासन, स्वास्थ्य एवं स्वच्छता कर्मी पूरी ताकत, लगन और बलिदान की भावना से, अपनी और अपने परिवार की चिंता किए बगैर, सेवा कर्म में जुटे रहेे।

इस महामारी ने हमारे आर्थिक तंत्र को पूरी तरह झकझोर कर रख दिया। उद्योग-धंधे ठप हो गए। मजदूर सड़कों पर आ गए। किसान को खेतों से बेखबर होना पड़ा। दिहाड़ी मजदूरों, ठेला और रेहड़ी वालों के सामने रोजीरोटी का संकट छा गया। ऐसे में, हमने कोरोना को नियंत्रण में रखने में तो सफलता पा ली परंतु अब उससे बड़ी चुनौती है सामने। ‘जान के साथ जहान भी’ की। अपने पैरों पर पुन: उठकर चल पड़ने की। इस दिशा में प्रधानमंत्री ने देश की जनता के आत्मविश्वास को मजबूत सम्बल देने के लिए, एक नई, एकसाथ 20 लाख करोड़ रूपये के विशेष पैकेज की महात्वाकांक्षी ‘आत्मनिर्भर भारत योजना’ प्रस्तुत कर दी। यह रकम राष्ट्र की सम्पूर्ण अर्थव्यवस्था के मूल्य का 10 प्रतिशत होती है। पैकेज में निर्बल आय वर्ग, छोटे और घरेलू उद्योगों, स्वरोजगारियों, छोटे किसानों, मजदूर किसानों तथा लाखों की संख्या में गांव की ओर पलायन कर रहे प्रवासी मजदूरों का विशेष ध्यान रखा गया है।

केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने, दिनांक 13 से 17 मई 2020 के मध्य, कुल रू.20,97,053 करोड़ के इस विशेष पैकेज का विवरण 5 हिस्सों में प्रस्तुत किया। पहला भाग रू.5,94,550 करोड़ का है। पैकेज के इस भाग में सूक्ष्म लघु तथा मध्यम उद्योगों (एम एस एम ई एस) गैर बैंकिंग वित्तीय कम्पनियों, म्यूच्युअल फंड कम्पनियों को विशेष सुविधाएं दी गई हैं। पैकेज का दूसरा भाग रू.3,10,000 करोड़ का है जो कि रेहड़ीवालों, दैनिक आय वाले स्वरोजगारियों, प्रवासी श्रमिकों, मध्यम आयवर्ग, कृषि क्षेत्र की सुविधाओं से संबंधित है। रू.1,50,000 करोड़ का तीसरा भाग कृषि, मत्स्य, पशुपालन, मधुमक्खी, आयुर्वेदिक पादप (हर्बल प्लान्ट्स) आदि के माध्यम से ग्रामीण अर्थव्यवस्था कीे मजबूती के लिए समर्पित है। पैकेज का चौथा एवं पांचवां भाग सम्मिलित रूप से रू.48,100 करोड़ का है जिसमें रक्षा, खनन, कोयला, नागरिक उड्डयन, ऊर्जा, अणुऊर्जा आदि क्षेत्रों में आई विगत सुस्ती को समाप्त करने तथा मनरेगा के माध्यम से ग्रामीण तथा प्रवासी मजदूरी के लिए अतिरिक्त धन की व्यवस्था की गई है।

इसके अतिरिक्त प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना (पी एम जी के वाई) के अंतर्गत शहरी व ग्रामीण सभी क्षेत्रों में गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन कर रहे परिवारों के लिए रू.1,70,000 करोड़ व्यय की व्यापक योजना है। पैकेज में रिजर्व बैंक द्वारा देश में उद्योग तथा व्यापार क्षेत्र में आई तरलता नकदी कमी को पूरा करने हेतु बैंकों तथा विभिन्न माध्यमों से अर्थव्यवस्था में रू.8,01,503 करोड़ की विशेष व्यवस्था भी सम्मिलित है। स्पष्ट है कि इस आत्मनिर्भर भारत योजना में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था का कोई भी क्षेत्र तथा जनता का कोई भी वर्ग अछूता नहीं है। इस विशाल महायोजना का लाभ किस अर्थक्षेत्र को और किस आयवर्ग को कैसे और कितना लाभ प्राप्त होगा, उसका विवरण जानने का प्रयास करते हैं।

सर्वाधिक कमजोर आय वर्ग

सबसे पहले गरीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले उस निर्बल आय वर्ग की बात करते हैं जिन्होंने, करोना महामारी में लागू कठोरतम लॉकडाउन के कारण, भूखे प्यासे, पैदल ही हजारों मीलों का सफर कर दर-दर भटकते हुए, सरकारी व गैर सरकारी सहायता संस्थानों से भोजन और पानी के लिए, चिलचिलाती धूप में भी लम्बी कतारों में खड़े रह कर सबसे अधिक त्रासदी सही है। इन जरूरतमंदों को, रू.1,70,000 करोड़ रूपये, अनाज व राशन तथा प्रत्यक्ष लाभ (डी.बी.टी.) के द्वारा खातों में धनराशि के हस्तांतरण माध्यम से उपलब्ध कराया जाना है।ं प्रवासी तथा आयहीन मजदूरों तथा नागरिकों को 2 माह तक 5किलो गेहूं/ चावल तथा 1 किलो दाल प्रति व्यक्ति का नि:शुल्क वितरण; जो जहां है उसे वहीं राशन प्राप्त कराने हेतु, ‘एक राष्ट्र एक राशन’ योजना के तकनीकी क्रियान्वयन द्वारा; 100 दिनों तक मनरेगा मजदूरी दर में रू.20 प्रतिदिन की वृद्धि का 5 करोड़ मजदूरों को लाभ; गरीब वरिष्ठ नागरिक तथा विधवाओं को 3 माह तक रू.1000 प्रतिमाह की अतिरिक्त सहायता; उज्ज्वला गैस योजना के अंतर्गत 3 माह तक नि:शुल्क एल.पी.जी.; बेरोजगार हो चुके 3.5 करोड़ भवन निर्माण मजदूरों के लिए रू.31,000 करोड़ की विशेष व्यवस्था; राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एन.आर.एल.एम) के अंतर्गत 63 लाख महिलाओं को 20 लाख रू. तक का गारंटी मुक्त ॠण; अगले 3 माह तक जनधन खातों में रू.500 प्रति खाते में हस्तांतरण; रेहड़ी तथा ठेला मजदूरों के लिए रू.5000 करोड़ की आसान ॠण योजना; प्रधानमंत्री नगरीय आवास योजना के ॠण पर, ब्याज अनुदान हेतु रू.70,000 करोड़; वन आच्छादित क्षेत्रों में आदिवासियों के लिए वनीकरण प्रबन्धन कोष (सीएएमपीए) से हेतु रू.6,000 करोड़ के अतिरिक्त रोजगार अवसर; प्रवासी मजदूरों को उनके गांवों में रहने हेतु, न्यूनतम किराए पर आवासीय संकुल का निर्माण भी प्रारम्भ किया जाएगा।

कृषि, कृषक एवं ग्रामीण विकास

भारत के कृषि क्षेत्र के विकास तथा किसानों की आय दोगुनी करने के लिए, पहले भी सरकार विशेष रूप से प्रयत्नशील रही है। अब इस योजना में कृषि के मूल विकासगत ढांचे के विकास के लिए रू.1,00,000 करोड़; सूक्ष्म खाद्य पदार्थ उत्पादन, संभरण तथा ग्रेडेसन उद्योग इकाइयों के लिए रू.10,000 करोड़; प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के लिए रू.20,000 करोड़; पशुपालन सुविधागत ढांचे के विकास के लिए रू.15,000 करोड़; अतिरिक्त 10,000 हेक्टेयर भूमि पर वनौषधि बागवानी के लिए रू.4,000 करोड़; मधुमक्खी पालन उद्योग हेतु रू.500 करोड;़ ऊपर से नीचे तक समग्र कृषि विकास वाले आपरेशन ग्रीन के लिए रू.500 करोड़ आवंटित किए गए हैं। कृषि क्षेत्र में कार्यशील पूंजी के लिए, नाबार्ड के माध्यम से रू.30,000 करोड़ की अतिरिक्त व्यवस्था तथा किसान क्रेडिट कार्ड योजना के माध्यम से 2.5 करोड़ किसानों को आसान किस्तों पर ॠण देने हेतु रू.2,00,000 करोड़ की व्यवस्था भी सम्मिलित हैं। शिशु मुद्रा ॠण योजना के अंतर्गत, ग्रामीण कुटीर उद्योगों में लगी स्वरोजगार आधारित इकाइयों के लिए, 2 प्रतिशत सस्ती ब्याज की दर पर रू.1,500 करोड़ के ॠण उपलब्ध कराए जाएंगे। मनरेगा योजना पर अतिरिक्त रू.4,0000 करोड़ व्यय कर, ग्रामीण खेतिहार मजदूरों को अतिरिक्त रोजगार लाभ दिया जाएगा।

सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग क्षेत्र

राष्ट्र के औद्योगिक विकास तथा रोजगार अवसर प्रदान करने की द़ृष्टि से सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निर्वाह करता है यह क्षेत्र। पूरे देश में औद्योगिक विकेन्द्रीकरण के अतिरिक्त, श्रम प्रधान होने के कारण देश की अर्थव्यवस्था का प्राण होता है। इस क्षेत्र में अतिरिक्त कार्यशील पूंजी विनियोजित करने हेतु रू. 3 लाख करोड़ की व्यवस्था; वित्तीय दबाव में कार्यरत इकाइयों के लिए रू.20,000 करोड़ की विशेष ॠण निधि; शेयर भागीदारी के द्वारा रू.5,000 करोड़ का अतिरिक्त विनियोजन; अगले 2 माह तक कर्मचारियों के प्रोविडेन्ट फण्ड में सरकार द्वारा नियोजकों के हिस्से का अनुदान; तीन महीने तक नियोक्ताओं तथा नियोजित कर्मचारियों के प्राविडेन्ट फण्ड में 2 प्रश्तिात कम की कटौती से दोनों के पास उपयोग हेतु अतिरिक्त मौद्रिक तरलता; इन इकाइयों के लिए ॠण सीमा 20 प्र्रतिशत तक बढ़ाने के साथ, भुगतान अवधि 4 वर्ष और बढ़ाकर 1 वर्ष तक ॠण भुगतान न करने की छूट भी प्रदान की जा रही है। इन सारी व्यवस्थाओं से लगभग 45 लाख सूक्ष्म लघु तथा मध्यम औद्योगिक इकाइयां लाभान्वित होंगी। उत्पादन इकाइयों के अतिरिक्त ऊर्जा उत्पादक कम्पनियों के लिए रू.90,000 करोड़ की विशेष ॠण योजना तथा स्रोत पर कर कटौती (टी.डी.एस.) तथा स्रोत पर कर संग्रह (टी.सी.एस.) पर वित्तीय वर्ष 2020-21 में 25 प्रतिशत की कमी की घोषणा की गई है।

वित्तीय, बैंकिंग तथा अन्य क्षेत्र

भारत सरकार के साथ कदम मिलाते हुए रिजर्व बैंक ने भी इस महासंकट में उद्योगों, व्यापारियों तथा बैंकों को आर्थिक संकट से निकालने के लिए, व्यावसायिक ॠणों की ब्याज दरों में निरंतर कमी की है। बैंकिंग प्रणाली में किसी भी प्रकार से ॠण देने हेतु साख की कमी न पड़े, अत: रू. 8,01,003 करोड़ की भारी भरकम साख तथा मौद्रिक तरलता की वृद्धि की है। ॠण लेने वालों से 3 माह तक ई.एम.आई. न दे सकने की भी छूट दे दी है। वित्तीय क्षेत्र में गैर बैंकिंग वित्तीय तथा म्यूच्युअल फंड कम्पनियों के लिए रू.30,000 करोड़ की विशेष ॠण योजना के साथ रू.45,000 करोड़ की विशेष ॠण गारंटी योजना की घोषणा भी की है। इसके अतिरिक्त, सरकार द्वारा कोयला खनन क्षेत्र में निजी भागीदारी बढाकर रू.50,000 करोड़ का नया निवेश; सामाजिक विकासगत ढांचे में रू.8,100 करोड़; नागरिक उड्डयन क्षेत्र में 6 नए अंतरराष्टृीय विमानतलों पर रू.13,000 करोड़; स्वास्थ्य संबंधित उत्पादनों के लिए रू.8,413 करोड तथा कोविड महामारी को समर्पित स्वास्थ्य व स्वच्छता कर्मियों को प्रति कर्मी रू.50 लाख का बीमा तथा राज्य सरकारों को रू.73,000 करोड़ धनराशि का भुगतान की महत्वपूर्ण योजनाएं भी सम्मिलित हैं। न्ीतिगत स्तर पर रक्षा उत्पादन क्षेत्र में एफ.डी.आई. में 49 से 75 प्रतिशत तक की वृद्धि; 5लाख हेक्टेयर क्षेत्र में 3376 नए औद्योगिक पार्क तथा विशेष आर्थिक जोन; खनन उद्योग, विद्युत, जल वितरण में निजी क्षेत्र की भागीदारी में वृद्धि आदि जैसे महत्वपूर्ण परिवर्तन सम्मिलित हैं।

स्पष्ट है कि ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी का तथा भारत के उद्योगियों, किसानों तथा मजदूरों के लिए एक विराट सम्बल का काम करेगा, जिससे वे गिरकर हताश होने के स्थान पर, उठकर, खड़े होकर, नई ताकत से पुन: दौड़ पड़ेंगें- ‘उत्तिष्ठ, जाग्रत, चरैवेति-चरैवेति-चरैवेति।’

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