उत्पादन के लिए उद्योंगों को मिले छूट

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अनिवार्य और गैर-अनिवार्य सेवाएं एक दूसरे पर अवलंबित और पूरी तरह एक दूसरे से जुड़ी हुई हैं। आप कह सकते हैं कि दोनों एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। सरकार ने हार्डवेयर, इलेक्ट्रॉनिक आदि दुकानों को खुले रखने की छूट दी है।

सुरक्षा व्यवस्था का ध्यान रखकर उद्योग शुरू हों

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सरकार ने छोटे मध्यम उद्योगों के लिये रियायत जाहीर की है, लेकिन अगर उसकी प्रक्रिया सही समय पर नहीं होगी तो 100% रिजल्ट नहीं आएगा। दूसरी बात आज अगर पैसा लेकर उसपर बैंकों में ब्याज भी भरना है तो वो मार्केट में कॉम्पिटेटिव कैसे होगा। सरकार ने ऐसा तो नहीं कहा है कि जिसको सहायता दी है उनका व्याज बैंक माफ़ करेगी।

गावों की और बढ़ता विकास

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अगर हमने गांव केंद्रित योजनाओं का निर्माण किया होता तो शायद हमें मजदूरों के पलायन की समस्या का सामना न करना पड़ता। डॉ. बाबासाहब आंबेडकर और पं. दीनदयाल उपाध्याय देशज मॉडल पर विकास की बात करते थे। मोदी सरकार अब इस दिशा में अग्रसर है। विकास का केंद्र अब गांवों की ओर बढ़ रहा है। भारत की आत्मनिर्भरता का यह वर्तमान माडल है।

आत्मनिर्भर भारत अभियान

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‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था के लिए संजीवनी का तथा भारत के उद्योगियों, किसानों तथा मजदूरों के लिए एक विराट सम्बल का काम करेगा, जिससे वे गिरकर हताश होने के स्थान पर, उठकर, खड़े होकर, नई ताकत से पुन: दौड़ पड़ेंगें- ‘उत्तिष्ठ, जाग्रत, चरैवेति-चरैवेति-चरैवेति।’

युद्धस्तर पर हो मजदूरों की वापसी

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अभी हाल ही में कांग्रेस की प्रियंका राबर्ट वाड्रा द्वारा 1000 बसों का इंतजाम करने का फर्जी मामला सामने आया था। इसी से कांग्रेस पार्टी की संवेदनहीनता के साथ मानसिक दीवालियेपन एवं निर्लज्जता का परिचय हो जाता है। इस घटना के प्रकाश में आने के बाद संभावना जताई जा रही है कि आगे भी मजदूरों को बलि का बकरा बनाकर राजनीतिक खेल खेला जा सकता है। बहरहाल हम बात करते हैं उन प्रवासी मजदूरों के दर्दनाक सफ़र की, जिन्होंने ट्रेन, टेम्पो, ट्रक और पैदल यात्रा की है।

प्रवासी मजदूरों पर दांव -पेंच

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लॉकडाउन में प्रवासी मजदूरों की स्थिति पर मद्रास उच्च न्यायालय और बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने भी चिंता जताई। मद्रास हाईकोर्ट ने कहा कि मजदूरों के हालात देखकर कोई अपनी आंख से आंसू नहीं रोक सकता है। यह और कुछ नहीं एक मानवीय त्रासदी है। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रवासी मज़दूरों का ध्यान रखना स़िर्फ मूल राज्यों का ही नहीं बल्कि उन प्रदेशों का भी कर्तव्य है, जहां वे काम करते हैं।

विदेश से लौटना और माह भर का एकांतवास……

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'मिशन वंदे भारत ' के अंतर्गत विदेशों में फसें भारतीय नागरिकों को भारत लाने का कार्य केंद्र सरकार ने किया। विदेशों में हिन्दू स्वंयसेवक संघ का कार्य करने वाले कार्य करता नियमित रूप से भारत से विदेश प्रवास पर जाते रहते हैं। कोरोना कल में यूके के प्रवास पर गई राष्ट्र सेविका समिति की अखिल भारतीय महाविद्यालयीन प्रमुख सुश्री चंदा (भाग्यश्री ) साठ्ये जी से उनके प्रवास और वापस भारत लौटने के अनुभवों के बारे में प्रदीर्घ चर्चा हुई। प्रस्तुत है उस चर्चा का प्रमुख अंश

मजदूरों का स्थलांतर त्रासदी और अवसर

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कोरोना वायरस से निर्माण हुई यह स्थिति इस सदी की सबसे बड़ी दर्दनाक घटना है। पहले स्थलांतर होते थे वह रोटी की तलाश में होते थे, लेकिन यहां स्थलांतर अपनी भूख प्यास मिटाने के लिए और जानलेवा कोरोना वायरस से जान बचाने के लिए हो रहा है।लोग अपने साथ जितना हो सके उतने सामान की गठरी लेकर, तो कोई अपने बदन पर पहने वस्त्र के साथ घर के बाहर निकले हैं।

भारत -चीन मित्रता खटास ज़्यादा, चीनी कम

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मई महीने की 5 और 6 तारीख को शुरू हुई इस टकराहट का संपूर्ण हल अब तक नहीं आ पाया है, लेकिन इस बार जो हालात बन पड़े हैं वे अपने साथ दोनों सेनाओं का जमावड़ा भी साथ लाए हैं।

चार ‘बी’ और एक ‘सी ‘

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18हवीं एवं 20वीं सदी में ऐसी जो घटनाएं घटित हुई हैं, वे ‘बी’ से प्रारंभ होती हैं। वे इस प्रकार हैं- बोस्टन, बेस्टाइल, बर्लिन और बाबरी। बोस्टन बंदरगाह पर 17 दिसंबर 1973 को स्वतंत्रता प्रेमी युवकों ने ईस्ट इंडिया कंपनी के दो जहाजों पर लदी सारी चाय समुद्र में फेंक दी।

मजदूर : संवाहक या योद्धा

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अभी संम्पूर्ण देश एक तराजू की तरह है, जिसके एक पलड़े पर पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात जैसे विकसित राज्य हैं। ये राज्य खेती-किसानी या उद्योगों के कारण प्रगति कर रहे हैं। तराजू के दूसरे पलड़े पर वे राज्य हैं जो तुलनात्मक दृष्टि से पिछड़े माने जाते हैं। कालांतर में पिछड़े राज्य के मजदूर अपनी आजीविका और भविष्य संवारने के उद्देश्य से इन विकसित राज्यों में आते रहे तथा इस ओर के पलड़े को अधिक भारी करते गए। परिणाम यह हुआ कि एक पलड़ा जरूरत से ज्यादा झुक गया और दूसरा बिलकुल रीता हो गया। अब इस कोरोना की त्रासदी के कारण जबकि अधिकतर मजदूर अपने रीते पलड़े की ओर वापस लौट गए हैं तो आवश्यकता है कि उन्हें वहीं रोके रखने की जिससे तराजू के दोनों पलड़े फिर से समान हो जाएं।

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